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स्वास्तिक के चिन्ह के बारे में जानकर हिल जाएगा आपका दिमाग, जानिए!

स्वास्तिक के चिन्ह के बारे में जानकर हिल जाएगा आपका दिमाग, जानिए!
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अक्सर हर शुभ कार्य में आपने देखा होगा कि स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है।

अक्सर हर शुभ कार्य में आपने देखा होगा कि स्वास्तिक (Swastik) का चिन्ह बनाया जाता है। कई बार आपके मन में भी यह प्रश्न उठा होगा कि आखिर इस चिन्ह को बनाने के पीछे क्या राज छिपा हुआ है। आज हम आपको स्वास्तिक चिन्ह से संबंधित कुछ जानकारियां उपलब्ध करवा रहे हैं। अगर स्वास्तिक चिन्ह के बारे में एक लाइन में कहा जाए तो हम यह कह सकते हैं के एक अकेले स्वास्तिक चिन्ह में जगत के कई देवी-देवताओं का वास होता है। इसी लिए हर शुभ कार्य में स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाता है।

शुभ माना गया है स्वास्तिक का चिन्ह

हिंदू धर्म में स्वास्थ्य के चिन्ह को शुभ बताया गया है। हर शुभ कार्य में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। हमारे सनातन धर्म में मान्यता है जिस स्थान पर स्वास्तिक का चिन्ह बना दिया जाता है वहां की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है।

काम की शुरुआत में बनाते हैं स्वास्तिक का चिन्ह

चाहे गृह प्रवेश हो, चाहे किसी फैक्ट्री दुकान या कार्यस्थल में शुरुआत करनी हो सभी जगह पूजा के साथ कई जगह स्वास्तिक चिन्ह अंकित किए जाते हैं। स्वास्तिक का सीधा संबंध गणपति गणेश जी से बताया गया है।

स्वास्तिक शब्द को संधि विच्छेद कर समझा जाए तो सु और अस्तिका से मिलकर स्वास्तिक बना है। जहां सु का अर्थ है शुभ और अस्तिका का अर्थ है होना। इसका मतलब स्वास्तिक का अर्थ है शुभ होना।

क्या है स्वास्तिक की विशेषता

  1. कहा गया है कि स्वास्तिक के चिन्ह में देवताओं का वास होता है।
  2. स्वास्तिक का निशान बनाने मात्र से उस स्थान की नकारात्मकता दूर हो जाती है।
  3. स्वास्तिक के चिन्ह को विघ्नहर्ता गणेश जी का स्वरूप बताया गया है।
  4. घर के बाहर मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती।
  5. स्वास्तिक का बाएं तरफ का हिस्सा गं बीज मंत्र होता है।
  6. घर में स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
  7. स्वास्तिक में लगने वाली चार बिंदी में माता गौरी, माता पृथ्वी, कुर्म और अन्य देवताओं का वास होता है।
  8. नकारात्मक शक्तियों के घर में प्रवेश होने से बचने के लिए स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाएं।
  9. स्वास्थ्य की चार रेखाओं का संबंध ब्रह्मा जी के 4 सिर के स्वरूप में है।
  10. स्वास्तिक के मध्य भाग में भगवान श्री नारायण का नाभि स्थल होता है।
  11. जिस स्थल पर स्वास्तिक का चिन्ह अंकित हो जाता है वहां श्री गणेश के साथ ही सभी देवी देवता मौजूद रहते हैं।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। ऐसे में किसी कार्य को शुरू करने के पूर्व विशेषज्ञ से जानकारी अवश्य प्राप्त कर लें।

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत

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