बॉलीवुड

जब ओमपुरी की एक्टिंग को देखकर जलने लगे थे नसीरुद्दीन शाह

Ompuri
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जब ओमपुरी की जबरदस्त एक्टिंग को देखकर जलने लगे थे ये नसीरुद्दीन शाह अपनी किताब में इस बारे यूं लिखा

ओम पुरी की अदाकारी की असल पहचान दर्शकों को 'चाइना गेट' से हुई थी। ये फिल्म 1997 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में ओम पुरी ने बेहद जबरदस्त अंदाज में डायलॉग बोले थे जिसे सुनकर सिनेमा हॉल में उपस्थित दर्शको ने तालिया और सीटियों बजाने लगे।

बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी है। जोकि सामाजिक बुराइयों पर पर्दा उठाने का काम करती है। फिल्मे असल समाज का आइना होती है। ओम पुरी की ने फिल्मों में राजनीतिक और भी कई पहलू दर्शको को बखूबी रूप पेश किया है।ओम पुरी की पहली फिल्म का जिक्र करें तो ये अधिकतर गंभीर फिल्मों में अभिनय करते हुए दिखाई देते हैं। इनकी पहली फिल्म 'चोर -चोर छुप जा' ये बच्चों पर आधारित फिल्म थी। इसके अलावा ओमपुरी ने कई मराठी और कन्नड़ फिल्मों में भी अभिनय किया है। ओम पुरी की पहली हिंदी फिल्म भूमिका हिंदी फिल्म' भूमिका' थी। जिसमें इन्होंने बहुत बड़ा किरदार तो नहीं निभाया लेकिन इनका रोल काफी दमदार था। ओम पुरी इंडस्ट्री में कई दोस्त और दुश्मन भी रहे लेकिन अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के साथ इनका एक अलग ही रिश्ता था तो चलिए इनके ओमपुरी के साथ रिश्ते के बारे में पर्दा उठाते हैं।

ओम पुरी की जबरदस्त एक्टिंग को देखकर नसरुद्दीन शाह जलने लगे थे। इस बात का जिक्र नसरुद्दीन ने अपनी किताब' एंड वन डे देन' में इससे जुड़ा एक किस्सा लिखा है, जोकि इनकी बात को साबित करता है।

ये बात उस दौरान की है। जब हम दोनों ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में पढ़ते करते थे। ओम क्लास में बेहद शालीन, कम बोलने वाले और ज्यादा समय खुद के साथ बिताने वाले लड़कों में था। वही फाइनल ईयर के बाद जैसे ही हम दोनो छुट्टी से लौटे काबुकी प्ले 'इबारगी' के लिए उस दौरान ऑडिशन हो रहे थे। मुझे इस तरह के प्ले के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। इस प्ले में एक्टिंग के लिए स्टूडेंट का सिलेक्शन किया जाना था।वही हम डायरेक्शन के स्टूडेंट थे।इस प्ले में काम करने के लिए एक्टिंग थोड़ी अलग अंदाज में चाहिए थी। मुझे वैसे एक्टिंग करने में थोड़ी दिक्कतें हो रही थी,लेकिन इसके साथ ही मुझे यकीन था कि इस रोल के लिए मुझसे बेहतर लड़का कोई और हो ही नहीं सकता।

वही अगले दिन जब मैं डायरेक्शन के काम में बिजी था अचानक से मेरी नजर ओम पर पड़ी।जो कि इस रोल को प्ले कर रहे थे।ये ऐसा सधा हुआ रोल था। जिसे देखकर ओम से नजर हटा पाना मेरे लिए बेहद मुश्किल काम था।ये देख कर मुझे अंदर ही अंदर उससे जलन होने लगी, लेकिन ओम की एक्टिंग को नजरअंदाज करना,मेरे बस के बाहर था। उसी दिन से सभी की नजरों में आ गया और मैं मुझे भी ओम में बुराई से कहीं अधिक अच्छाइयां दिखने लगी। आगे चलकर हम दोनों ने साथ में आक्रोश फिल्म की। गोविंद निहलानी की फिल्म में मुझे एक चुप रहने वाला आदिवासी का किरदार दिया गया।वहीं ओम को वकील का रोल मिला था।

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