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नांबी नारायण की कहानी: देशद्रोह का आरोप लगा, 50 दिन जेल में रहे फिर पद्मभूषण से सम्मानित हुए

नांबी नारायण की कहानी: देशद्रोह का आरोप लगा, 50 दिन जेल में रहे फिर पद्मभूषण से सम्मानित हुए
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Nambi Narayanan Real Story In Hindi: एक्टर आर माधवन की फिल्म Rocketry: The Nambi Effect भारत के महान वैज्ञानिक और देशभक्त नांबी नारायण पर ही बनाई गई है

नांबी नारायण की असली कहानी: एक्टर आर माधवन एक फिल्म लेकर आ रहे हैं जिसका नाम है Rocketry: The Nambi Effect यह फिल्म भारत के ऐसे महान वैज्ञानिक के जीवन पर बनाई गई है, जिनको देशद्रोही साबित करने के लिए देश विरोधी ताकतों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. कहानी है वैज्ञानिक नांबी नारायण की जिनपर पाकिस्तान की जासूसी करने का आरोप लगाया गया, उन्हें जेल भेजा गया और बाद में जब सच का खुलासा हुआ तो उनके देश प्रेम और महान वैज्ञानिक कार्यों के लिए प्रद्मभूषण से सम्मानित किया गया.

वैज्ञानिक नांबी नारायण की कहानी

Story of Scientist Nambi Narayan: यह बात है साल 1994 की, तब नांबी नारायण भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान केंद्र (Indian Space Research Organization) में बतौर रॉकेट वैज्ञानिक के रूप में काम करते थे. इसी साल भारत सरकार ने क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) प्रोजेक्ट लॉन्च किया था जिसका बजट 300 करोड़ रुपए था. इसी प्रोजेक्ट की जानकरी भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान को देने के झूठे आरोप में नांबी नारायण को फंसा दिया गया था.

नांबी नारायणन ने देश को क्या योगदान दिया

12 December 1941 को कन्याकुमारी में साइंटिस्ट नांबी नारायणन का जन्म हुआ था नांबी नारायणन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कन्याकुमारी के ही डीवीडी हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। अपनी एमटेक कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग थिरुअनंतपुरम से पूरी करने के बाद इन्होने इसरो ज्वाइन किया। साराभाई के कहने पर इन्होने छुट्टी लेकर नासा से नासा फेलोशिप भी प्राप्त किया। वर्ष 1969 में प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी से केमिकल प्रोपल्शन में रिकॉर्ड 10 महीने में मास्टर्स पूरा किया। इसके बाद नारायणन वर्ष 1970 में लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी भारत में लाये। इससे पहले भारत की राकेट टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेल्लेंट्स पर निर्भर थी। इसके बाद इसरो ने अपनी टेक्नोलॉजी में काफी कुछ सुधार किया।

1994 में केरल पुलिस और तत्कालीन केरल कांग्रेस सरकार द्वारा मालदीव की रहने वाली मरियम नाशीदा को तिरुवंतपुरम से गिरफ्तार किया गया था, मरियम पर आरोप थे कि उसने रॉकेट का ब्लू मैप पाकिस्तान को बेचने के लिए जाने वाली थी, इसके बाद क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट में काम कर रहे वैज्ञानिक नांबी नारायण को जब गिरफ्तार किया तो पूरे देश में हड़कंप मच गया. उनके साथ ISRO के डिप्टी डायरेक्टर डी शशिकुमारन को भी हिरासत में लिया गया था, वहीं पाकितान से जासूसी के मामले में रूसी स्पेस एजेंसी के भारतीय प्रतिनिधि चंद्रशेखर, लेबर कॉन्ट्रैक्टर एसके शर्मा और नाशीदा की दोस्त फ़ौसिहा हसन को पुलिस ने अरेस्ट किया था.

नांबी नारायण पर क्या आरोप लगे थे

केरल पुलिस ने नांबी नारायण पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने मालदीव की रहने वाली मरियम रशीदा और फौज़िहा हसन को ISRO की गोपनीय जानकरी दी है, उन्हें इस झूठे आरोप पर 50 दिनों तक जेल में रखा गया था. जब CBI ने इस केस की जांच शुरू की तो पता चला केरल पुलिस के लगाए आरोप सिर्फ एक षड्यंत्र था। 1996 में उन्हें और अन्य लोगों को निर्दोष साबित कर दिया गया था. साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट में भी इन्हे बेसकूर बताया था. लेकिन तबतक महान वैज्ञानिक और देशभक्त नांबी नारायण देश की मिडिया और जनता की नज़र में एक देशद्रोही और पाकिस्तान का जासूस करार दे दिए गए थे. जब नांबी नारायण और ISRO के एक और वैज्ञानिक डी शशिकुमारन निर्दोष साबित हुए थे तब केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणाकरन को इस्तीफा देना पड़ा था. उस वक़्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी.

नांबी नारायण जांच एजेंसियों को समझाते रहे कि उन्होंने कभी पाकिस्तान से किसी भी चीज़ के लिए बात ही नहीं की है, और अगर बात CUS प्रोजेक्ट की जानकारी लीक होने की है तो जो प्रोजेक्ट अभी भारत में ही विकसित नहीं हो पाया है उसे चाहकर भी पाकिस्तान हासिल नहीं कर सकता, यह प्रोजेक्ट भारत की मदद के बिना विकसित नहीं हो सकता।

पहली जांच में आरोप झूठे निकले

जनवरी 1995 में पाकिस्तान से जासूसी के मामले में जिन ISRO के वैज्ञानिकों और अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए थे वो गलत साबित हुए, सभी को जमानत मिल गई, सिर्फ मालदीव के दो नागरिकों को जेल में रखा गया. साल 1996 में CBI ने केरल के कोर्ट में जो रिपोर्ट दी उसमे भी जासूसी के केस को जूठा बताया गया, सभी लोग अपने आरोपों से रिहा भी हो गए मगर जून 1996 में केरल की सरकार ने फैसला किया कि वह दोबारा से इस मामले की जांच करेगी। यहीं से नांबी नारायण और अन्य लोगों को प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हुआ था. मगर सुप्रीम कोर्ट ने दुबारा जाँच कराने से मना कर दिया था,

1999 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नारायणन के करियर, पारिवारिक, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना को ध्यान में रखते हुए केरल सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन्हे इसरो में डेस्क जॉब में लगाया गया।

वर्ष 2001 में नारायणन रिटायरमेंट हुआ और उसी वर्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केरल सरकार को आदेश दिया की वो नारायणन को मानहानि के मुआवजे के तौर पर 1 करोड़ रूपये का भुगतान करे। फिर केरल हाई कोर्ट ने भी केरल सरकार को दस लाख रूपये मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया।

साल 2012 में रिपोर्ट आयी की केरल सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है। बल्कि 2011 में वैज्ञानिक पर गलत आरोप लगाने वाले पुलिस अधिकारी को चीफ इनफार्मेशन अफसर भी बना दिया गया। वर्ष 2013 से नारायणन ने न्याय के लिए लड़ना शुरू किया। संघर्ष करते करते 5 वर्ष निकल गए और वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक प्रताड़ना को ध्यान में रखते हुए केरल राज्य सरकार को आदेश दिया की वैज्ञानिक नांबी नारायणन को मानहानि के मुआवजे के तौर पर पचास लाख रूपये का भुगतान आठ सप्ताह में करे एवं तीन सदस्यों की बेंच बनाई जिसने ये तय करना था की तत्कालीन दोषी पुलिस अधिकारीयों को क्या सजा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल सरकार ने मानहानी के तौर पर वैज्ञानिक नांबी नारायणन को एक करोड़ तीस लाख रूपये का भुगतान किया।

2019 में नांबी नारायणन को पद्मभूषण पुरस्कार मिला

कांग्रेस सरकार ने जिस महान वैज्ञानिक पर देशद्रोह का आरोप लगाया था उसे बीजेपी की सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया था, केरल कांग्रेस ने देशभक्त वैज्ञानिक को प्रताड़ित किया, अपमानित किया, उनके माथे में गद्दार का ठप्पा लगा दिया था.

रोकेट्री द नांबी इफ़ेक्ट कब रिलीज होगी

Rocketry The Nambi Effect Release Date: आर माधवन द्वारा निर्देशित फिल्म रोकेट्री इसी साल 1 जुलाई को सिनेमाहाल में रिलीज होने वाली है. जिसमे वैज्ञानिक नांबी नारायणन का रोल खुद माधवन ने किया है

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