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कश्मीर फाइल्स हिंदी रिव्यु: जिस फिल्म ने हर दर्शकों को रुला दिया वह फिल्म कैसी है, कितनी कमाई हुई

कश्मीर फाइल्स हिंदी रिव्यु:  जिस फिल्म ने हर दर्शकों को रुला दिया वह फिल्म कैसी है, कितनी कमाई हुई
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Kashmir Files Review Hindi: जिस मुद्दे में कोई चर्चा नहीं करता, जिस घटना के बारे में कोई सुनना नहीं चाहता उस विषय पर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने फिल्म बनाई है

Kashmir Files Review Hindi: श्मीर ने हिन्दू और कश्मीरी पंडितों की हत्या, बलात्कार और पलायन के बारे में एक-एक सच्चाई को बयां करने वाली फिल्म कश्मीर फाइल्स देश के लिए अब एक बड़ा मुद्दा बन गई है, शुक्रवार को सिनेमाहॉल्स में रिलीज हुई विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कश्मीर फाइल्स एक फिल्म से ज़्यादा है, यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे सुनाकर, या पढ़कर कश्मीरी हिन्दुओं के दर्द को समझा नहीं जा सकता था, विवेक अग्निहोत्री ने क्रूर समुदाय और जिहादी मानसिकता वाले लोगों के दरिंदगी से भरे चेहरे को देश की अवाम के सामने पेश करने की हिम्मत दिखाई है।

कैसी है द कश्मीर फाइल्स

यह फिल्म नहीं है, कोई फिक्शन नहीं ना ही कोई ड्रामा है. यह एक कड़वी सच्चाई है जिसे लोगों को ना चाहते हुए भी स्वीकार्य करना ही होगा, फिल्म देखने के बाद दर्शकों की आंखें भर आई, लोगों ने फिल्म देखने के बाद डायरेक्टर के पैर छुए, दर्शक फुट-फुट कर रोए, जाहिर है फिल्म की एंडिंग बॉलीवुड की कमर्शियल फिल्मों की तरह खुश करने वाली नहीं है। क्योंकि जिन लोगों ने जुल्म सहे हैं उनकी हैप्पी एंडिंग 32 साल बाद भी नहीं हुई है।

द कश्मीर फाइल्स की कहानी क्या है ये तो सबको मालूम है, इतिहास के पन्नों में जिस भयावह घटना को जानबूझ कर दबाने की कोशिश की गई और दबा भी दी गई उसे विवेक रंजन ने फिर से उजागर करने का सफल प्रयास किया है, फिल्म देखने के बाद लोग उस दर्द, उस जुल्म सहते कश्मीरी हिन्दुओं की जगह खुद को महसूस करते हैं. यह फिल्म लोगों की भावना से जुड़ गई है।

फिल्म में आतंक के उस चेहरे को दिखाया गया है, जिसे भारत में गंगा-जमुना तहज़ीब के चादर से ढक दिया जाता है. फिल्म में मेकर्स ने हर एक पहलु को ध्यान में रखते हुए अच्छे से रिसर्च की है, एक बार फिर शुरू होती है तो ऐसा कोई भी सेकेण्ड नहीं होता है जब फिल्म में किसी को बोरियत महसूस हो, हालाँकि यह फिल्म मनोरंजन के लिए नहीं लोगों को जागरूक करने के लिए बनाई गई है।

हिन्दुओ के नरसंहार और उनकी ही जमीन से पलायन की इस घटना को इससे ज़्यादा सही तरीके से बड़े परदे में नहीं दिखया जा सकता। इससे पहले भी कई डायरेक्टर्स ने कश्मीर में हिन्दुओं के साथ हुई घटना में फिल्म तो बनाई थी लेकिन, उनके सच्चाई कुछ भी नहीं थी।

फिल्म में हर किरदार ने जबरजस्त एक्टिंग की है

फिल्म में अनुपम खेर की एक्टिंग का कोई जवाब नहीं है, अनुपम खेर खुद कश्मीरी पंडित हैं और उन्होंने इस फिल्म में जैसे दर्द का दरिया बहा दिया है। इस फिल्म में अनुपम खेर की एक्टिंग इतनी जबरजस्त है कि उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कार मिलना बनता है। चिन्मय मांडलेकर का अभिनय फिल्म की एक और मजबूत कड़ी है। तकनीकी तौर पर फिल्म बहुत कमाल की भले न हो लेकिन उदय सिंह मोहिले ने अपने कैमरे के सहारे फिल्म का दर्द धीरे धीरे रिसते देने में कामयाबी पाई है।

Kashmir Files Frist Day Collection:

शुक्रवार को देश के सिर्फ 561 सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज हुई, फिल्म की ओपनिंग सिर्फ 4 करोड़ रही, इस हफ्ते इस फिल्म की कमाई 14 से 15 करोड़ के बीच पहुंच सकती है जो की एक अच्छी शुरुआत मानी जा रही है। कश्मीर फाइल्स का बजट भी 14 करोड़ है।

क्या फिल्म देखने लायक है

अगर आप सच्चाई जानना चाहते हैं तो इस फिल्म को देखना चाहिए, जरूरी नहीं है कि आप किस धर्म या किस मजहब से ताल्लुख रखते हैं. 1990 में कश्मीरी हिन्दुओं के पलायन की कालिख जिस पिछली सरकार ने देश के इतिहास में पोती है उस फिल्म को हर हिंदुस्तानी नागरिक को देखना चाहिए। अलबत्ता अगर आप फिल्म में हैप्पी एंडिंग चाहते हैं, तो बॉलीवुड की घिसीपिटी कहानियों वाले बड़े स्टार्स की पकाऊ फिल्मों में अपने पैसे खर्च कर सकते हैं.

RewaRiyasat.com Kashmir Files को 5 में से 5 स्टार्स देता है। और यह फिल्म पैरलर सिनेमा की सबसे अच्छी फिल्म साबित हुई है।


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