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Jolly LLB 3 Review: किसानों की जमीन पर छिड़ी जंग, अक्षय और अरशद आमने-सामने; जानिए कैसी है फिल्म...

Bollywood Movie Review: जॉली एलएलबी 3
फिल्म की कहानी क्या कहती है?
जॉली एलएलबी 3 की कहानी किसानों की जमीन के लिए संघर्ष और अदालत की जंग पर केंद्रित है। कहानी loosely 2011 के उत्तर प्रदेश भट्टा-पारसौल किसान आंदोलन से प्रेरित है, जिसे राजस्थान के बीकानेर की पृष्ठभूमि में ढाला गया है। इम्पीरियल ग्रुप का मालिक हरीभाई खेतान (गजराज राव) किसानों की जमीन हड़पकर “बीकानेर टू बोस्टन” नामक परियोजना शुरू करना चाहता है।
गांव के लोककवि राजाराम सोलंकी अपनी जमीन खोने के दर्द में आत्महत्या कर लेते हैं। खेतान मीडिया में झूठी कहानियां फैला कर अपनी परियोजना पर किसी भी आंच को रोकता है। राजाराम की पत्नी जानकी (सीमा विश्वास) न्याय की तलाश में दिल्ली पहुंचती हैं और वकील जॉली (अरशद वारसी) से मदद मांगती हैं।
जॉली जनहित याचिका दायर करता है, लेकिन अदालत में उसका सामना अक्षय कुमार उर्फ जगदीश मिश्रा से होता है। मिश्रा की दलीलों से न्यायाधीश सुंदरलाल त्रिपाठी (सौरभ शुक्ला) याचिका खारिज कर देते हैं। इसके बाद जानकी सीधे मिश्रा से मिलती हैं और अपनी कहानी बताती हैं। मिश्रा का दृष्टिकोण बदलता है और वह किसानों के पक्ष में खड़े होते हैं। कहानी का climax अदालत में दोनों जॉली का खेतान के खिलाफ संघर्ष है।
फिल्म में एक्टिंग की समीक्षा
अरशद वारसी ने जॉली के किरदार में गहराई और सच्चाई के साथ अदाकारी की। उनके क्लोज-अप और अदालत के दृश्यों में अभिनय प्रभावशाली रहा। अक्षय कुमार ने हास्य और गंभीर दृश्यों में संतुलन बनाते हुए अपनी भूमिका निभाई, हालांकि कुछ सीन में उनका प्रदर्शन बनावटी लगता है। गजराज राव खलनायक के रूप में पूरी तरह फिट हैं और सौरभ शुक्ला न्यायाधीश के किरदार में मजबूत रहे। सीमा विश्वास ने कम संवादों में भी भावनाओं को बखूबी दर्शाया।
अमृता राव और हुमा कुरैशी की भूमिकाएँ सीमित हैं, इसलिए दर्शकों पर ज्यादा असर नहीं छोड़ पाईं। कुल मिलाकर, एक्टिंग फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है।
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निर्देशन और तकनीकी पहलू
सुभाष कपूर का निर्देशन किसानों की लड़ाई और न्याय की कठिनाइयों को प्रभावी तरीके से दर्शाता है। सिनेमैटोग्राफी में अदालत और गांव के दृश्य संतुलित और यथार्थवादी हैं। रंगों का प्रयोग हल्का गांव और गंभीर अदालत सीन को दर्शाता है।
एडिटिंग और 157 मिनट की लंबाई कुछ जगह फिल्म को धीमा बनाती है। यदि कुछ गैर-जरूरी सीन हटाए जाते तो फिल्म और भी मजबूत बन सकती थी।
फिल्म का कमजोर पक्ष
कुछ हास्य दृश्य कहानी की गंभीरता को कम करते हैं। सहायक पात्रों का विकास कम है और अदालत की लंबी बहसें फिल्म की गति को धीमा कर देती हैं।
फिल्म का मजबूत पक्ष
किसानों की पीड़ा और जमीन के अधिकार के लिए संघर्ष फिल्म का सबसे मजबूत पहलू है। अरशद वारसी और गजराज राव की दमदार अदाकारी कहानी को मजबूती देती है। फिल्म का संदेश स्पष्ट है कि अन्नदाता का हक लेना देश के विकास को अधूरा करता है।
संगीत और बैकग्राउंड म्यूजिक
फिल्म के गाने भुला देने योग्य हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक अदालत और भावनात्मक दृश्यों में सही प्रभाव डालता है। तकनीकी पहलू में संगीत ने फिल्म को संतुलन देने में मदद की है।
कुल मिलाकर समीक्षा
जॉली एलएलबी 3 में मनोरंजन और संदेश दोनों हैं। किसानों की जंग, अदालत का संघर्ष और अरशद वारसी का दमदार अभिनय इसे देखने लायक बनाते हैं, पर अक्षय के एक्टिंग की स्किल कमजोर दिखाई पड़ती है। साथ ही लंबाई और हास्य दृश्य इसे थोड़ा कमजोर करते हैं।
Review Rating: 🟉🟉⯨🟇🟇 (2.5/5)
FAQ
Q1: जॉली एलएलबी 3 की कहानी किस पर आधारित है?
A1: यह कहानी loosely उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों की जमीन के लिए संघर्ष पर आधारित है।
Q2: फिल्म में मुख्य अभिनेता कौन हैं?
A2: अरशद वारसी, अक्षय कुमार, गजराज राव, सौरभ शुक्ला और सीमा विश्वास प्रमुख भूमिका में हैं।
Q3: फिल्म की लंबाई कितनी है?
A3: फिल्म की लंबाई 157 मिनट है।
Q4: क्या जॉली एलएलबी 3 देखने लायक है?
A4: हां, फिल्म में मनोरंजन और संदेश दोनों हैं, खासकर किसानों की जंग और अदालत का संघर्ष देखने लायक है।
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