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बिहार दिवस: बिहार का इतिहास, जिस बिहार की माटी में कई सम्राट जन्में, उसकी आज ऐसी हालत क्यों है

बिहार दिवस: बिहार का इतिहास, जिस बिहार की माटी में कई सम्राट जन्में, उसकी आज ऐसी हालत क्यों है
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Bihar Diwas: History of Bihar, बिहार का नाम बिहार कैसे पड़ा इसके पीछे का कारण जान लीजिये

Bihar Diwas, History of Bihar: 22 मार्च साल 1912 के दिन ब्रिटिश सरकार ने बंगाल से एक बड़े हिस्से को अलग कर दिया था और उस भूखंड का नाम बिहार रखा गया था। लेकिन बिहार का इतिहास सिर्फ 110 साल पुराना नहीं बल्कि हज़ारों साल पुराना है. आज पूरा देश बिहार दिवस मना रहा है क्योंकि आज ही के दिन बिहार राज्य बना था.

बिहार का इतिहास सिर्फ 1912 से नहीं बल्कि हज़ारों साल पहले से है, जिस माटी में अखंड भारत के महान सम्राटों ने जन्म लिया, जिस बिहार में नालंदा विश्विद्यालय था वह बिहार आज पिछड़े राज्यों में गिना जाता है. जिस भूखंड में जन्मे सम्राटों ने देश को अखंड रूप दिया वह बिहार समाज से अलग क्यों हो गया?

बिहार का इतिहास

बिहार का नाम बिहार क्यों पड़ा

भारत के प्राचीन इतिहास से लेकर आधुनिक इतिहास में बिहार की हिस्ट्री सबसे बड़ी है. बिहार के बिना आप भारत के इतिहास की कल्पना नहीं कर सकते। बिहार का इतिहास 2000 ईस्वी पूर्व मतलब 2000BC से भी पुराना है. ऐसा कहा जाता है कि बिहार में वाकई कभी बहार थी. बौद्ध धर्म का यह केंद्र बन चुका था. यहां बौद्ध धर्म के लोग विहार करने के लिए पहुंचते थे, इसी लिए इसे वन विहार कहा जाता था. लेकिन अंग्रेजों की जुबान कितनी कमजोर है आप वाकिफ है. जैसे मुंबई को बम्बई बोलते थे वैसे विहार को बिहार कहने लगे. और विहार से बिहार का नाम बिहार हो गया.

बिहार में कई सम्राटों और ज्ञानियों ने जन्म लिया

  • बिहार की मिट्टी ने कई सम्राटों और परमज्ञानियों को जन्म दिया। कह लीजिये कि देश में अध्यात्म चिंतन की शुरुआत बिहार से ही हुई थी. जब दुनिया के अन्य देशों में भाषा ही नहीं थे लोग इशारों में बात करते थे तब बिहार में नालंदा विश्विद्यालय संचालित होता था जहां दूर-दूर देशों से लोग शिक्षा के लिए आते थे. बिहार अध्यात्म और ज्ञान का केंद्र था.
  • बिहार के बोधगया में भगवान गौतम बुद्ध ने ध्यान किया, यहीं से बौद्ध धर्म की शुरुआत हुई, लोगों में शांति, अहिंसा, और प्रेम की अलख जगी लेकिन आज इसी बिहार में अशांति, हिंसा और नफरत की भावना पैदा हो रही है.
  • बिहार की भूमि में सम्राट अशोक, सम्राट समुद्रगुत, चाणक्य जैसे महांडित, अजातशत्रु, बिंबसार जैसे कई महान रजाओं का जन्म हुआ. सम्राट समुद्रगुप्त ने ही अपने राज्य का विस्तार कर अखंड भारत की नीव रखी थी. सिक्खों के 10 वें गुरु 'गुरु गोबिंद सिंह' का जन्म बिहार के पटना में हुआ था, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म भी बिहार में हुआ. आज भी भारत में सबसे ज़्यादा IAS बिहार से निकलते हैं और रोजगार के लिए भी बिहार के लोग सबसे ज़्यादा परेशान होते हैं.

सवाल यह है कि जिस भूखंड से भारत के इतिहास की शुरुआत हुई, जहां सम्राट अशोक, सम्राट समुद्रगुप्त जैसे राजाओं का जन्म हुआ इतहास में जिस बिहार की देश में महत्ता थी वह राज्य आज इतना पिछड़ा क्यों है? ऐसा क्या कारण है कि बिहार में गरीबी, बेरोजगारी, आपदा, भुखमरी, अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जिन राजाओं की कहानियां सुनकर हमें गर्व होता है आज उस राज्य के रहने वालों को बिहारी कहकर क्यों अपमानित किया जाता है?

बिहार में अब बहार क्यों नहीं है

यह सबसे बड़ा सवाल है जो बिहार सरकार और पिछली सरकारों से देश के लोगों को करना चाहिए' बिहार में अब बाहर क्यों नहीं है? प्राचीन इतिहास से लेकर मध्यकालीन इतिहास तक बिहार स्वर्ण युग में जी रहा था लेकिन मॉर्डन हिस्ट्री में बिहार गरीब, पिछड़ा और बीमारू राज्य बन गया था.

विदेशी आक्रांताओं ने बिहार की संस्कृति को ध्वस्त कर दिया था, इस्लामिक आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी ने चिढ़न के कारण नालंदा विश्विद्यालय को जलाकर खाख कर दिया था, और अंग्रेजों ने बिहार को इतना लूटा, यहां के लोगों को इतना प्रताड़ित किया कि लोगों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया था.

जब देश आजाद हुआ तो बिहार को पिछली सरकार ने सिरे से नजरअंजाद करना शुरू कर दिया, लोगों को रोजगार मिलना बंद हो गया, विकास के लिए जो पैसा मिलता उससे नेता अपनी हवेली खड़ी कर लेते। धीरे-धीरे यहां से अनुशासन घटने लगा और लोग अराजक होते गए. इसी लिए बिहार का क्राइम रेट बढ़ता गया जो रुकने का नाम नहीं ले रहा है.

इन्ही भ्रष्टाचारी नेताओं ने बिहार की बाहर छीन ली, इसे पनपने नहीं दिया, बिहार को एक बीमारू राज्य बना दिया।


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