बिहार

पत्नी प्रेग्नेंट है, टीचर बन जाए इसलिए 1200 Km स्कूटी से परीक्षा दिलाने ले गया

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:31 AM GMT
पत्नी प्रेग्नेंट है, टीचर बन जाए इसलिए 1200 Km स्कूटी से परीक्षा दिलाने ले गया
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पत्नी प्रेग्नेंट है, टीचर बन जाए इसलिए 1200 Km स्कूटी से परीक्षा दिलाने ले गया झारखंड । गोड्डा ज़िला. यहां गंटा टोला नाम का एक गांव है. इस

पत्नी प्रेग्नेंट है, टीचर बन जाए इसलिए 1200 Km स्कूटी से परीक्षा दिलाने ले गया

झारखंड (विपिन तिवारी) । गोड्डा ज़िला. यहां गंटा टोला नाम का एक गांव है. इस गांव में धनंजय कुमार नाम के एक व्यक्ति रहते हैं. 26 बरस के हैं. एजुकेशन के मामले में 10वीं पास भी नहीं हैं, लेकिन कुछ ऐसा किया है, जो चर्चा में आ गया. दरअसल, धनंजय अपनी पत्नी को पढ़ाना चाहते हैं, और इसके लिए हर ज़रूरी मदद भी कर रहे हैं. उनकी पत्नी सोनी 24 बरस की हैं. गर्भवती हैं. प्रेग्नेंसी को छह महीने हो चुके हैं. सोनी की परीक्षा थी, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में. गोड्डा से ग्वालियर आने का कोई साधन नहीं मिला, तो धनंजय खुद स्कूटी से पत्नी को ग्वालियर लेकर आ गए.

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‘इंडिया टुडे’ से जुड़े सर्वेश पुरोहित की रिपोर्ट के मुताबिक, धनंजय ने करीब 1200 किलोमीटर का सफर पत्नी के साथ स्कूटी पर तय कर डाला. सिर्फ इसलिए कि पत्नी डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (D.El.Ed.) का एग्ज़ाम दे सकें.
धनंजय पेशे से बावर्ची हैं. लेकिन कोरोना की वजह से लगे कई प्रतिबंधों के कारण पिछले तीन-चार महीनों से काम नहीं चल रहा. उनकी पत्नी को सेकंड ईयर की परीक्षा देनी थी. ग्वालियर के एक स्कूल में सेंटर था. गोड्डा से ग्वालियर तक कोई ट्रेन नहीं थी. बस वाले 30 हज़ार रुपए मांग रहे थे. ऐसे में दोनों ने फैसला किया कि स्कूटी से सफर तय किया जाए.
घरवाले और बाकी रिश्तेदारों ने ऐसा करने से मना किया, क्योंकि बारिश का मौसम है, रास्ते खराब हैं, सोनी प्रेग्नेंट हैं. लेकिन धनंजय ने कहा कि वो चाहते हैं कि उनकी पत्नी की पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए. स्कूटी से आने के लिए भी पैसे चाहिए थे. काम न होने के कारण पैसे थे नहीं. इसलिए सोनी की शादी के गहने गिरवी रख दिए. इससे 10 हज़ार रुपए मिल गए. अब उन गहनों को छुड़ाने के लिए हर महीने 300 रुपए का ब्याज देना है.

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खैर, इन 10 हज़ार रुपयों से स्कूटी के पेट्रोल का खर्च और ग्वालियर में रुकने और वापस जाने का खर्च निकल गया. दोनों ने ग्वालियर में ठहरने के लिए 1500 रुपए में 10 दिन के लिए एक कमरा किराए पर लिया.
गोड्डा से ग्वालियर के रास्ते में बिहार और यूपी के कई गांव और शहर पड़े. बिहार में तो बारिश और बाढ़ ने कहर बरपा रखा है. ऐसे बुरे हालात को पार करके किसी तरह 30 अगस्त को दोनों ग्वालियर पहुंचे. धनंजय बताते हैं,
“रास्ते में बारिश हो रही थी. मेरी पत्नी भीग रही थी और मैं भी. बहुत दिक्कतें आईं. बिहार में तो वैसे भी बाढ़ आई हुई है. मेरी पत्नी गर्भवती है. डर भी लगता था कि आने वाले बच्चे को कोई दिक्कत न हो जाए. लोग और परिवार वाले बोले, तुमने कितना बड़ा रिस्क लिया है. अब रिस्क तो हमने लिया है, लेकिन कल अच्छा बनाने के लिए लिया है.”
सोनी कहती हैं “मुझे अच्छा लग रहा है कि मेरे पति इतना सपोर्ट कर रहे हैं. मेरे परिवार वाले, सब लोग बोल रहे थे कि ऐसे हाल में मत जा. मेरे पति ही बोले कि चलो, हम किसी तरह तुम्हें लेकर जाएंगे, एग्ज़ाम दिलाकर ही रहेंगे. एग्ज़ाम दे रही हूं तो अच्छा लग रहा है. टीचर बनने की तैयारी कर रही हूं. आने में परेशानी भी बहुत आई. 1200 किलोमीटर बैठे-बैठे शरीर दर्द करने लगा था. पैर भी फूल गए थे. पानी में भीगते-भीगते आए हैं. यहां आने के बाद बीमार भी हो गए. लेकिन एग्ज़ाम से पहले ठीक हो गए.”

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