भोपाल

एमपी के माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में फिर सुनाई देगी बाघों की दहाड़, लाए जाएंगे पांच टाइगर

Sanjay Patel
6 Jan 2023 9:05 AM GMT
एमपी के माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में फिर सुनाई देगी बाघों की दहाड़, लाए जाएंगे पांच टाइगर
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माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में एक बार फिर बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। यहां पांच बाघों को लाने की तैयारी चल रही है। दो चरणों में इन बाघों को लाया जाएगा।

माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में एक बार फिर बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। यहां पांच बाघों को लाने की तैयारी चल रही है। दो चरणों में इन बाघों को लाया जाएगा। पहले चरण में तीन बाघ आएंगे जिनमें दो मादा एवं नर रहेगा। जबकि दूसरे चरण में दो बाघों को यहां लाया जाएगा। जिसके लिए वन विभाग द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

अभी इनका हो रहा दीदार

शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क पहले ग्वालियर के मुगल सम्राटों और महाराजाओं का शिकारगाह था। वर्ष 1958 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां पर दो एंट्री गेट हैं। एक गेट पुराना झांसी रोड जबकि दूसरा आगरा-मुंबई मार्ग पर स्थित है। माधव नेशनल पार्क में वर्तमान समय पर नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर, तेंदुए, भेड़िया, अजगर, साही, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, लोमड़ी, सियार आदि देखे जाते हैं। किन्तु अब यह पार्क टाइगरों से भी आबाद होगा।

दो चरणों में बाघों को लाने की तैयारी

भोपाल में वन विभाग के सीनियर अफसरों द्वारा माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में बाघों को बसाए जाने का प्लान तैयार किया जा रहा है। बताया गया है कि इसके लिए जल्द ही अफसर शिवपुरी नेशनल पार्क का दौरा कर सकते हैं। वन विभाग के अफसरों की मानें तो बाघों को दो चरणों में लाया जाएगा। पहले चरण में तीन बाघ लाए जाएंगे जिनमें एक नर एवं दो मादा होंगे। जबकि दूसरे चरण में दो बाघों को और लाया जाएगा।

एनटीसीए ने पहले ही दे दी थी मंजूरी

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनसीटीए) ने इसके लिए पहले से ही मंजूरी दे दी गई थी। जबकि माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगरों की पुर्नस्थापना के लिए केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने भी अनुमति दी थी। जिसके बाद अब माधव नेशनल पार्क में बाघों को लाने की तैयारी वन विभाग द्वारा की जा रही है। वन विभाग की मानें तो जनवरी माह में यहां बाघों की दहाड़ सुनाई देने लगी। पहले चरण में तीन बाघ यहां लाए जाएंगे। जो यहां खुले में विचरण करेंगे। इनको पिंजरे में नहीं रखा जाएगा। तीनों बाघों को लेकर पहले यहां अध्ययन किया जाएगा कि बाघ यहां किस तरह से रहते हैं और किस तरह खुद को अनुकूल करते हैं। इनके अध्ययन के आधार पर दूसरे चरण में बाघों को यहां लाया जाएगा।

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