भोपाल

कोरोना अनलाॅक के बाद सीएम हेल्पलाइन में जुलाई से दिसंबर बीच हर माह पहुंची 5 हजार शिकायतें?

News Desk
5 March 2021 4:42 PM GMT
कोरोना अनलाॅक के बाद सीएम हेल्पलाइन में जुलाई से दिसंबर बीच हर माह पहुंची 5 हजार शिकायतें?
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भोपाल। बीते साल जुलाई से दिसंबर की अवधि में हर माह औसतन करीब 5 हजार शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में आ रही हैं। इनमें भी सर्वाधिक शिकायतें विंध्य अंचल से आ रही हैं। यह शिकायतें भी पुलिस से संबंधित होती हैं। रीवा संभाग महज चार जिलों से सर्वाधिक शिकायतें पहुंच रही हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतों ऐसी होती हैं जो गलत पाई जाती हैं। इस मामले में सबसे अच्छी स्थिति बालाघाट जोन की है। सीएम हेल्पलाइन में जुलाई से दिसंबर 2020 के बीच 30856 शिकायतें मिली हैं, जिनमें पुलिस अधीक्षक एल-2 स्तर की लगभग 7 हजार शिकायतें शामिल हैं। यदि जोन वार शिकायतों पर नजर डाली जाय तो इस अवधि में सर्वाधिक 4 हजार शिकायतें रीवा जोन से हुई हैं। इस जोन में रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली शामिल हैं। 

भोपाल। बीते साल जुलाई से दिसंबर की अवधि में हर माह औसतन करीब 5 हजार शिकायतें मुख्यमंत्री आॅनलाइन में आ रही हैं। इनमें भी सर्वाधिक शिकायतें विंध्य अंचल से आ रही हैं। यह शिकायतें भी पुलिस से संबंधित होती हैं। रीवा संभाग महज चार जिलों से सर्वाधिक शिकायतें पहुंच रही हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतों ऐसी होती हैं जो गलत पाई जाती हैं। इस मामले में सबसे अच्छी स्थिति बालाघाट जोन की है। मुख्यमंत्री आॅनलाइन में जुलाई से दिसंबर 2020 के बीच 30856 शिकायतें मिली हैं, जिनमें पुलिस अधीक्षक एल-2 स्तर की लगभग 7 हजार शिकायतें शामिल हैं। यदि जोन वार शिकायतों पर नजर डाली जाय तो इस अवधि में सर्वाधिक 4 हजार शिकायतें रीवा जोन से हुई हैं। इस जोन में रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली शामिल हैं।

एक साल में शिकायतों की स्थिति

जानकारी अनुसार बीते एक साल में सीएम हेल्पलाइन में कुल डेढ़ लाख शिकायतें मिली हैं। इनमें सर्वाधिक पुलिस से संबंधित लगभग 68 हजार शिकायतें हैं। इन शिकायतों में लगभग एक लाख शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है जबकि 62 हजार शिकायतों में पुख्ता प्रमाण न मिलने के कारण उन्हें बंद कर दिया गया। इनमें ज्यादातर शिकायतें महिलाओं की हैं जो ससुराल पक्ष के खिलाफ मिली हैं। इनमें भी एल-1 निरीक्षक स्तर पर जांच होती है, अगर एक पखवाड़े में वहां निराकरण नहीं होता है तो फिर उसे एल-2 एसपी रैंक पर जांच के लिये भेजा जाता है। इसके बाद एल-3 डीआईजी एवं एल-4 पीएचक्यू स्तर पर निराकरण किया जाता है।

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