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REWA: मेयर इन काउंसिल सदस्यों को कोर्ट से राहत, संभागायुक्त का नोटिस खारिज- पार्षद पद शून्य किए जाने निगम आयुक्त के...
रीवा। मेयर इन काउंसिल के सदस्यों का पार्षद पद शून्य किए जाने के मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। संभागायुक्त द्वारा जारी किए गए नोटिस को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। आने वाले कुछ महीने के बाद चुनाव होने हैं, नोटिस में पांच साल के लिए चुनाव लडऩे से अयोग्य किए जाने की चेतावनी दी गई थी। यदि संभागायुक्त पार्षदी शून्य करते हुए आगे चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य करते तो कई प्रमुख पार्षदों का राजनीतिक भविष्य संकट में पड़ जाता। कोर्ट ने नोटिस को खारिज कर बड़ी राहत दे दी है।
नगर निगम आयुक्त के प्रस्ताव पर संभागायुक्त ने एमआइसी के नौ सदस्यों को नोटिस जारी करते हुए 11 नवंबर तक जवाब पेश करने के लिए समय दिया था। बीते कुछ समय से मेयर इन काउंसिल और नगर निगम आयुक्त के बीच नियमों को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है। पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा निगम की विशेष जांच कराई गई थी, जिसमें कई मामलों में एमआइसी की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी।
इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए आयुक्त ने पार्षदी शून्य किए जाने का प्रस्ताव भेज दिया था। दोनों पक्षों के बीच विवाद शहर के स्कीम नंबर छह की जांच प्रारंभ होने के बाद से शुरू हुआ है। आयुक्त दो अधिकारियों पर कार्रवाई चाह रहे थे लेकिन एमआइसी ने करीब महीने भर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया, जिसकी वजह से टकराव बढ़ गया।
- दोषी शब्द के उपयोग पर जताई थी आपत्ति संभागायुक्त द्वारा जारी किए गए नोटिस में एमआइसी सदस्यों को निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने का दोषी बताते हुए जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। इसी पर सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि अभी तो उन पर आरोप है लेकिन संभागायुक्त ने दोषी लिख दिया। इस पर कोर्ट ने भी कहा है कि नोटिस से स्पष्ट होता है कि पूर्व निर्धारित दंड तय कर इस तरह के शब्दों का प्रयोग किया गया है। हाईकोर्ट में जस्टिस विशाल धागत ने संभागायुक्त की नोटिस खारिज कर दिया है लेकिन शासन को किसी तरह का अतिरिक्त निर्देश नहीं दिया है, इसलिए भविष्य में उक्त मामले में दोबारा कार्रवाई हो सकती है या नहीं इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
- आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने का था आरोप संभागायुक्त ने जो नोटिस एमआइसी सदस्यों को जारी किया था उसमें निगम आयुक्त के प्रस्ताव के मुताबिक वर्ष 2015 से लेकर 2018 तक संपत्तिकर के अधिभार की राशि में छह प्रतिशत की छूट देकर नगर निगम को आर्थिक रूप से हानि पहुंचाने। इसी तरह लेनदारियों में 18 प्रतिशत ब्याज वसूलने के बजाय 9 प्रतिशत की छूट देनेे। वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए अंबेडकर बाजार एवं शिल्पी प्लाजा के पीछे वाहन पार्किंग शुल्क का प्रीमियम कम निर्धारित कर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने के साथ ही अल्पकालिक निविदा बुलाने और उसमें नियमों की अनदेखी करते हुए निविदाओं की स्वीकृति देकर निगम को आर्थिक घाटा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
- नियम विरुद्ध निर्णय लेने का भी आरोप शहर के स्कीम नंबर छह के मामले में बीते 2 अगस्त को अधिकारियों के निलंबन के प्रस्ताव पर निर्धारित अवधि में कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप था। बीते 26 अगस्त को बुलाई गई बैठक में सदस्यों ने निर्णय पर कोई हस्ताक्षर नहीं कर 30 अगस्त को बिना एजेंडा जारी किए स्वयं बैठक कर निर्णय लेने का आरोप आयुक्त के प्रस्ताव में था।
- इन सदस्यों की पार्षदी शून्य करने जारी हुई थी नोटिस जिन एमआइसी सदस्यों की पार्षदी शून्य किए जाने का नोटिस संभागायुक्त की ओर से जारी किया गया था, उसमें प्रमुख रूप से वेंकटेश पाण्डेय, नीरज पटेल, शिवदत्त पाण्डेय, सतीश सिंह, मनीष श्रीवास्तव, संजू कोल, ललिता वर्मा, संजना सोनी, अखिल गुप्ता आदि शामिल थे। इसमें अखिल गुप्ता पर पूर्व के वर्षों में निर्णय लेने के आरोप नहीं थे, क्योंकि उन्हें एमआइसी में कुछ महीने पहले ही शामिल किया गया है। स्कीम छह में निर्णय लेने में लेटलतीफी करने का आरोप था। वहीं वेंकटेश पाण्डेय प्रभारी महापौर थे, इसलिए उन पर कुछ अतिरिक्त आरोप थे।