एक बघेली रचना होली के शुभ अवसर के लिए...: Vindhya News
Vindhya News: जाय देय अइसन होली रंग म डूबा तन-मन नही है अपनेन केहीं संग नही है रंग गुलाल से सजा नहि अंबर ना भै धरतिउ गीली मास्क लगाए को रंग खेली,जाय देय अइसन होली। नही आएं रंग लगाबै साथी संगाती न एकौ हमजोली कोरोना के मकड़जाल है साली से भै न आंख मिचोली। नही नसीब हय भांग के गोली,जाय देय अइसन होली । पहिल बेर फागुन म अस फगुआ बीत रहा है बे-रंग है जब तक नही दवाई तब तक नही ढिलाई वाला ढंग गायब है फगुहारन के टोली,जाय देय अइसन होली।
Vindhya News: जाय देय अइसन होली
रंग म डूबा तन-मन नही है अपनेन केहीं संग नही है
रंग गुलाल से सजा नहि अंबर ना भै धरतिउ गीली
मास्क लगाए को रंग खेली,जाय देय अइसन होली।
नही आएं रंग लगाबै साथी संगाती न एकौ हमजोली
कोरोना के मकड़जाल है साली से भै न आंख मिचोली।
नही नसीब हय भांग के गोली,जाय देय अइसन होली ।
पहिल बेर फागुन म अस फगुआ बीत रहा है बे-रंग
है जब तक नही दवाई तब तक नही ढिलाई वाला ढंग
गायब है फगुहारन के टोली,जाय देय अइसन होली।
बुरा न माना होली है कहि-कहि हुड़दंग मचाबत रहेन
रंग से रंग मिलै पुनि दुश्मन तक का गले लगाबत रहेन
नही आय आसौं हंसी ठिठोली,जाय देय अइसन होली।
सगला विश्व जूझि रहा है इया कोराना वाले संकट से
कइसौ मइसौ जान बचय जो जानलेवा एँह कंटक से
खुशियन से फे भरी विधाता झोली,जाय देय अइसन होली।
आशीष तिवारी निर्मल रीवा