Hartalika Teej 2021 : हरतालिका तीज कल, जानिए व्रत पूजन शुभ मुर्हूत से जुड़ी कई बातें

हरतालिका तीज का त्यौहार 9 सितम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं व्रत अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं।

Update: 2021-09-08 05:57 GMT

Hartalika Teej 2021: हरतालिका जीत का त्यौहार कल यानी कि 09 सितम्बर 2021 को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचागों की माने तो यह त्यौहार भाद्रपद की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ एवं माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन निर्जला व्रत रहकर भगवान भोलेशंकर की आराधना करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरतालिका त्यौहार कजरी एवं हरियाली तीज के बाद मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 33 मिनट तक है। यानी कि पूजा के लिए आपको कुल लगभग ढाई घंटे का समय मिलेगा। इसी तरह प्रदोष काल पूजा मुहूर्त शाम 6.33 बजे से शुरू होकर रात 8.51 बजे तक है।

हरतालिका व्रत नियम

हरतालिका तीज त्यौहार को हिन्दू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं। माता पार्वती एवं भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। ऐसे में इस व्रत के क्या नियम है चलिए जानते हैं।

1. हरतालिका तीज त्यौहार भाद्रपद की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। तृतीया तिथि में पूजा गोधली और प्रदोष काल में की किया जाता है। चतुर्थी तिथि में पूजा मान्य नहीं है। जबकि इस तिथि में पारण किया जाता है।

2. नवविवाहिताएं पहला व्रत जिस पर प्रकार रखेंगी। वैसा ही व्रत इन्हें आगे भी करना होगा। इसलिए इस बात का ध्यान रखना है कि पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका पालन आगे भी करते रहते। अगर आपने पहला व्रत निर्जला रखा है तो हमेशा इसे निर्जला ही रखें।

3. हरतालिका तीज व्रत में अन्न, जल, फल 24 घंटे कुछ नहीं खाया जाता है। इसलिए इस व्रत का हर किसी को श्रद्धा पूर्वक पालन करना चाहिए।

4. अगर आपने तीज का व्रत शुरू कर दिया है तो इसे हर साल रखना होगा। अगर आप किसी साल बीमार हैं तो व्रत छोड़ नहीं सकते। ऐसे में आपको उदयापन करना होगा यानी अपनी सास अथवा देवरानी को देना होगा।

5. यह व्रत बेहद कठिन हैं। मान्यता है कि इस व्रत में भूलकर भी सोना नहीं चाहिए। व्रती महिलाओं को रातभर जागरण करना चाहिए। भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए। व्रती महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए। साथ ही सुहाग का भी सुहागिन महिलाओं को दान करना चाहिए।

6. तृतीया तिथि के दूसरे दिन यानी कि चतुर्थी तिथि को व्रत खोला जाता है। इस दिन विधि अनुसार ही व्रत का पारण करना चाहिए।

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