नाम 'सीधी', लड़ाई है 'टेढ़ी', यहाँ भाजपा और कांग्रेस के बीच रोचक मुकाबला

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Update: 2021-02-16 06:06 GMT

मध्य प्रदेश की सीधी लोकसभा सीट राज्य की अहम लोकसभा सीटों में से एक है. सीधी लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव 2019 के चौथे चरण में सोमवार को वोट डाले गए. सीधी लोकसभा सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच हुए मतदान में 69.45 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. इस लोकसभा क्षेत्र का नाम तो सीधी है, पर यहाँ लड़ाई इसके नाम के उलट कहीं टेंढ़ी है. यहाँ सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही है.

सीधी जिले का प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। सोन नदी इस जिले से होकर गुजरती है। यह नदी प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। सीधी की छवि गौरवशाली इतिहास और कला की है। यह राज्य की उत्तर-पूर्वी सीमा में स्थित है। राजनीतिक दृष्टि से सीधी लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस लोकसभा सीट पर मुकाबला बेहद रोचक माना जा रहा है। सीधी सीट को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए सांसद रीति पाठक पुरजोर कोशिश कर रही है। कांग्रेस पार्टी से उनके प्रतिद्वंदी अजय सिंह सीधी सीट पर कांग्रेस के खाते में देने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। अजय सिंह के साथ एक बात औऱ है। अजय सिंह विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इसलिए वो इस कोशिश में हैं कि किसी तरह से लोकसभा में जीत हासिल करके अपनी साख को बचा लें। लेकिन सीधी सीट पर जीत किसको नसीब होगी। यह वहां की जनता ने अपना मत 29 को ईवीएम में कैद कर दिया है।

सीधी लोकसभा सीट किसी पार्टी की परंपरागत सीट नहीं रही है। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का बराबर का दबदबा रहा है। कभी भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली है, तो कभी कांग्रेस प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है। हां, इतना जरूर है कि सीधी सीट पर भाजपा लगातार दो बार से जीत हासिल कर रही है। वहीं, इस बार कांग्रेस भाजपा से यह सीट छीनकर अपने नाम करना चाह रही है। पिछले चुनाव में रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था और जीत का अंतर एक लाख वोट से अधिक था।

सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें चुरहट, चित्रांगी, धौहानी, सिद्दी, सिंगरौली, ब्‍यौहारी, सिहावल, देवसर हैं। इनमें से सात सीटें भाजपा के खाते में हैं। केवल एक सीट पर कांग्रेस काबिज है। ऐसे में यह कह पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा। हालांकि, भाजपा से यह सीट छीनने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह पूरी कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी का कहना है सीधी की जनता अपने सांसद को बहुत कम पहचानती है। सीधी में काम भी कम हुआ है। लेकिन इस बात को अजय सिंह किस तरह से जनता के बीच में रखते हैं और लोगों को कितना कनविंस कर पाते हैं। यह बात भी मायने रखती है। यह बात अलग है कि अजय सिंह विधानसभा चुनाव हार गए थे। अब देखना यह है की भाजपा के लिए इस बार हैट्रिक लगा पाना सम्भव है या नहीं।

चुनाव मैदान में हैं ये उम्मीदवार

इस संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय के अलावा जो उम्मीदवार मैदान में हैं, उनमें  अजय अर्जुन सिंह(कांग्रेस), राम लाल पनिका(बहुजन समाज पार्टी), रीति पाठक (भारतीय जनता पार्टी), संजय नामदेव(कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया), अनूप सिंह सेंगर(समग्र उत्थान पार्टी), आशीष कुमार सिंह चौहान(श‍िवसेना), निर्मला एचएल प्रजापत‍ि(अख‍िल भारतीय गोंडवाना पार्टी), फत्ते बहादुर सिंह मरकाम(गोंडवाना गणतंत्र पार्टी), राम कृपाल बशोर(रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया), रामदास शाह(पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया), राम रहीस(कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया), रामविशाल पाल (राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी), रामाधर गुप्ता(सपाक्स पार्टी), श्याम लाल वैश्य(भारतीय शक्ति चेतना पार्टी) और ज्ञानी जैसवाल (समान आदमी समान पार्टी) शामिल हैं .

2014 का जनादेश 2014 के चुनाव में बीजेपी की रीति पाठक ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था. रीति पाठक को 4,75,678 वोट मिले थे तो वहीं इंद्रजीत कुमार को 3,67,632 वोट मिले थे. वहीं बसपा तीसरे स्थान पर रही थी. रीति पाठक ने इस चुनाव में 1,08,046 वोटों से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में रीति पाठक को 48.08 फीसदी वोट मिले थे, इंद्रजीत को 37.16 फीसदी वोट और बसपा उम्मीदवार को 3.98 फीसदी वोट मिले थे.

2009 के चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बीजेपी के गोविंद प्रसाद ने कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार को हराया था. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार वीणा सिंह तीसरे स्थान पर थीं. गोविंद प्रसाद को 2,70,914(40.09फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं इंद्रजीत कुमार को 2,25174(33.32फीसदी) वोट मिले थे.तीसरे स्थान पर रहीं वीणा सिंह को 66,985(9.91फीसदी) वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना सीधी मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है. यह क्षेत्र सिर्फ शहडोल ही नहीं बल्कि सीधी और सिंगरौली के पूरे जिले को कवर करता है.2011 की जनगणना के मुताबिक सीधी की जनसंख्या 2684271 है. यहां की 86.77 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 13.23 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. सीधी में 11.68 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 32.18 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में सीधी लोकसभा सीट पर 17, 36, 050 मतदाता थे.इनमें से 8,20,350 महिला मतदाता और 9,15,700 पुरुष मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 56.99 फीसदी मतदाता हुआ था.     

राजनीतिक पृष्ठभूमि सीधी लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ था. तब कांग्रेस के आनंद चंद्रा ने जीत हासिल की थी. 1962 से 1979 के उपचुनाव तक यह सीट सामान्य थी, लेकिन परिसीमन के बाद 1980 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई. परिसीमन के बाद पहले चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल सिंह को जीत मिली. मोतीलाल सिंह ने इसके अगले चुनाव में जीत हासिल की. परिसीमन के बाद 1989 में यह सीट फिर से सामान्य हो गई और बीजेपी को पहली बार यहां पर जीत मिली. बीजेपी के जगन्नाथ सिंह यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे.

1991 से 2004 तक यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए फिर से आरक्षित हुई. वहीं इसके बाद 2007 में यहां पर उपचुनाव हुआ और यह सीट एक बार फिर सामान्य हो गई. उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार माणिक सिंह की जीत हुई. उन्होंने बीजेपी के कुंवर सिंह को हराया था.

यहां की जनता ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों को बराबर मौका दी है. लेकिन पिछले 2 चुनावों में इस सीट पर बीजेपी को ही जीत मिली है. कांग्रेस ने इस सीट पर जीत 2007 के उपचुनाव में हासिल की थी. लेकिन 2007 के पहले तीन चुनावों में बीजेपी ने यहां पर लगातार जीत हासिल की थी. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 6-6 बार जीत मिली है. यहां पर विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. ये सीटें चुरहट, चित्रांगी, धौहानी, सिद्दी, सिंगरौली, ब्‍यौहारी, सिहावल, देवसर हैं. इन 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी और 1 पर कांग्रेस का कब्जा है.

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