टमस नदी पर बनेगा सबसे लंबा पुल, जल्द पूरा होगा रीवा-सतना रेल लाइन दोहरीकरण का कार्य पूरा

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Update: 2021-02-16 06:08 GMT

रीवा/सतना : दोहरीकरण परियोजना को पूरा करने की अवधि फिर बढ़ सकती है। पहले यह कार्य दिसबर 2017 में पूरा होना था, फिर रेल प्रशासन ने निर्माण के लिए नया लक्ष्य दिसबर 2019 दिया। अब उक्त अवधि तक भी निर्माण पूरा होने के आसार नहीं हैं। परियोजना के कार्य की मौजूदा गति को देखकर वर्ष 2020 तक रेललाइन दोहरीकरण होना सभावित लगता है। गौरतलब है कि पश्चिम मध्य रेलवे अंतर्गत रीवासतना के बीच रेललाइन दोहरीकरण की परियोजना वर्ष 2015 में स्वीकृत हुई थी। इसके लिए रेल मंत्रालय ने 490 करोड़ का बजट आवंटित किया। इसकी एक किस्त 75 करोड़ रुपये रेल मंत्रालय ने रेल बजट 2018 में दिया था। मौजूदा रेल बजट 2019 में भी 40 करोड़ रुपये इस कार्य के लिए दिए गए। इसके बावजूद रीवा-सतना के बीच रेललाइन दोहरीकरण का कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है। ठेकेदार को समय पर भुगतान न होना भी कार्य की धीमी गति का एक कारण बताया जा रहा है। खैर जो भी हो, रेल अधिकारियों के लापरवाह रवैये से इस महत्वपूर्ण योजना का फिलहाल बुरा हश्र है। अभी अर्थवर्क पूरा करने की चुनौती रीवा-सतना के बीच मौजूदा रेललाइन से साढ़े 5 मीटर दूर दूसरी रेललाइन बिछाई जानी है। इसके लिए अर्थवर्क का काम 70 फीसदी के लगभग हुआ है, लेकिन लाइन बिछाने का काम न के बराबर किया गया है। हालांकि पूर्व में रेल प्रशासन ने दोहरी नई रेललाइन के लिए सर्वे और एलाइनमेंट का काम पूरा कर लिया है। भूमि-अधिग्रहण व मुआवजा कार्यवाही भी पूरी हो चुकी है। अब मैदान पर सिर्फ तेजी से काम करने की जरूरत है।

टमस नदी पर बनेगा सबसे लंबा पुल

बताया गया कि लाइन दोहरीकरण कार्य में रीवासतना के बीच 127 छोटे-बड़े पुल बनाए जायेंगे। लगभग 50 किलोमीटर के इस रूट में सबसे लबा पुल टमस नदी पर बनेगा, जिसकी लबाई तकरीबन तीन सौ मीटर होगी। इसके अलावा लाइन पर दो ओवरब्रिज भी बनाए जायेंगे। इस तरह के कुछ और सिविल निर्माण भी रीवा-सतना के बीच 5 रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द होंगे।

छोटे-छोटे लक्ष्य बनाए,

पूरे नहीं हुए गत जनवरी 2018 में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने पश्चिम मध्य रेलवे अंतर्गत लंबित सभी परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए कहा था। उन्होंने रीवा-सतना रेलालाइन दोहरीकरण परियोजना को भी समय-सीमा में पूरा करने के दिए निर्देश थे। उक्त निर्देश के बाद स्थानीय स्तर पर पमरे अधिकारियों ने छोटे-छोटे लक्ष्य बनाए, ताकि समय रहते रेललाइन बिछाने का काम पूरा किया जा सके। लेकिन पमरे का यह प्रयास भी सफल नहीं हो सका।

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