सतना / पंचतत्व में विलीन हुए रैगांव विधायक जुगल किशोर बागरी, कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ अंतिम संस्कार, ये जनप्रतिनिधि हुए शामिल

सतना. कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते सतना जिले के रैगांव विधानसभा के विधायक जुगल किशोर बागरी (Raigaon MLA Jugal Kishore Bagri Aka Kakka Ji) की मौत हो गई. उन्होंने सोमवार को भोपाल के चिरायु अस्पताल में अंतिम सांस ली.

Update: 2021-05-11 14:50 GMT

कुछ दिनों पहले कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, इलाज के लिए भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती कराए गए थें

सतना. कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते सतना जिले के रैगांव विधानसभा के विधायक जुगल किशोर बागरी (Raigaon MLA Jugal Kishore Bagri Aka Kakka Ji) की मौत हो गई. उन्होंने सोमवार को भोपाल के चिरायु अस्पताल में अंतिम सांस ली.

भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी उर्फ़ कक्का जी का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल (COVID Protocol) के तहत गृहग्राम बसुधा में मंगलवार की सुबह 11 बजे किया गया. उनके पुत्र पुष्पराज बागरी ने PPE Kit पहनकर उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद सभी लोग PPE किट पहने हुए थें. 

बताया गया है कि कोरोना वायरस की वजह से उनका अंतिम संस्कार पूरे कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया है. 5 बार विधायक रहें कक्का जी को उनके समर्थक अपने अपने घर में रहकर श्रद्धांजलि दे रहें हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से विस अध्यक्ष गिरीश गौतम ने पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की एवं श्रद्धांजलि दी है. 

उनके अंतिम संस्कार में दर्जन भर से अधिक सतना एवं रीवा जिलों के विधायक शामिल हुए. इसके बाद पुलिस की टीम ने फायर कर सशस्त्र सलामी दी. फिर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. 

इन्होने दी श्रद्धांजलि

विधायक के अंतिम संस्कार में गृह ग्राम बसुधा पहुंचने वालों में विस अध्यक्ष गिरीश गौतम, राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह, रामपुर बाघेलान विधायक विक्रम सिंह, पूर्व विधायक धीरेन्द्र सिंह धीरू, भाजपा जिला अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ​सहित कलेक्टर अजय कटेसरिया, एसपी धर्मवीर सिंह यादव व क्षेत्रीय एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी सहित अन्य विभागों के जिम्मेदार मौजूद रहे.

पांच बार विधायक, एक बार कैबिनेट मंत्री रहे

जुगल किशोर बागरी भाजपा से पांच बार के विधायक हैं. बढ़ती उम्र के साथ उनकी लोकप्रियता भी क्षेत्र में बढ़ती जा रही है. सबसे पहले वे वे 1993 में पहली बार विधायक बने थे.

इसके बाद 1998 में दूसरी बार और 2003 में उमा भारती की सरकार में तीसरी बार विधायक बने इसके साथ ही उन्हें कैबिनेट में मंत्री बनाया गया, लेकिन लोकायुक्त में प्रकरण की वजह से उन्हें अपनी कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था.

इसके बाद 2008 में वे लगातार चौथी बार विधायक बने और क्षेत्र में इतिहास रचा. विधायक बागरी की बढ़ती उम्र के कारण पार्टी ने उन्हें 2013 में टिकट नहीं दिया जबकि उनकी जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया. लेकिन जी तोड़ मेहनत के बाद भी पुष्पराज चुनाव नहीं जीत पाए और वे बहुजन समाज पार्टी की उषा चौधरी से हार गए.

अगली बार पार्टी ने दोबारा खतरा लिया और विकल्प ना होने पर उनके बुजुर्ग पिता जुगल किशोर बागरी को टिकट दिया. लेकिन उन्होंने पार्टी के भरोसे को बनाए रखा और एक बार फिर पांचवी बार 2018 में विधायक बने.

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