सतना : ठेकेदार से प्रताड़ित मजदूरों ने कलेक्ट्रेट परिसर में गुजारी रात, भूखे बच्चों के लिए जलाया चूल्हा
सतना। गरीबों, मजदूरों का शोषण करना सबके लिए आसान है। उनसे जबरिया काम कराना, मजदूरी न देना, प्रताड़ित करना, डराना, धमकाना आदि। यही नहीं गरीब मजदूर सबकुछ सहन कर अपने पथ पर डटा रहता है। इसे मजदूर की बेबसी कहें अथवा किस्मत का खेल। कुछ ऐसा ही मामला सतना जिले का सामने आया है जहां ठेकेदार से प्रताड़िता मजदूरों ने न्याय न मिलने की स्थिति में कलेक्ट्रेट परिसर में ही अपना आसियान जमा लिया और खुले आसमान के नीचे पेट की आग को शांत करने चूल्हा जलाया। जानकारी अनुसार उमरिया जिले के काफी संख्या में मजदूर सतना काम करने आए हुए हैं। पिछले तीन महीने से जैतवारा में मिट्टी की खुदाई कर केबिल डालने का कार्य कर रहे हैं।
सतना : ठेकेदार से प्रताड़ित मजदूरों ने कलेक्ट्रेट परिसर में गुजारी रात, भूखे बच्चों के लिए जलाया चूल्हा
सतना। गरीबों, मजदूरों का शोषण करना सबके लिए आसान है। उनसे जबरिया काम कराना, मजदूरी न देना, प्रताड़ित करना, डराना, धमकाना आदि। यही नहीं गरीब मजदूर सबकुछ सहन कर अपने पथ पर डटा रहता है। इसे मजदूर की बेबसी कहें अथवा किस्मत का खेल। कुछ ऐसा ही मामला सतना जिले का सामने आया है जहां ठेकेदार से प्रताड़िता मजदूरों ने न्याय न मिलने की स्थिति में कलेक्ट्रेट परिसर में ही अपना आसियान जमा लिया और खुले आसमान के नीचे पेट की आग को शांत करने चूल्हा जलाया। जानकारी अनुसार उमरिया जिले के काफी संख्या में मजदूर सतना काम करने आए हुए हैं। पिछले तीन महीने से जैतवारा में मिट्टी की खुदाई कर केबिल डालने का कार्य कर रहे हैं।
मजदूरों की मानें तो ठेकेदार पिछले तीन महीने से उसने काम करा रहा है लेकिन मजदूरी के नाम पर एक रुपये नहीं दिया, जिस कारण उनके सभी साथी भुखमरी की कगार पर पहुंच गये हैं। कई बार आरजू-मिन्नतें करने के बाद भी ठेकेदार का दिल नहीं पसीजा तो सभी मजदूर एकत्रित होकर सतना कलेक्ट्रेट पहुंच गये जहां अधिकारियों से शिकायत की। लेनि कोई समुचित आश्वासन नहीं मिला। मजदूरों का काफी समय कलेक्ट्रेट मंे ही गुजर गया और शाम हो गई। ऐसे में बेघर मजदूर कहां जायें। लिहाजा कलेक्ट्रेट परिसर में ही अपना ठिकाना बना लिया। लेकिन मजदूरों के साथ छोटे-छोटे भूख से तड़प रहे थे। जहां भोजन सामग्री एकत्रित कर ईटों का चूल्हा बनाकर रोटियां बनाई गई और कलेक्ट्रेट परिसर में ही रात गुजारी।