चित्रकूट में मोरारी बापू ने कहा, रामकथा चलता-फिरता मंदिर, भरत चरित्र का किया बखान

सतना। दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर चित्रकूट में रामकथा के चौथे दिन मोरारी बापू ने चौपाईयों के माध्यम से भरत चरित्र का बखान करते हुए कहा कि भरत का चरित्र श्रवण करने मात्र से जीवन में संजीवनी मिलती है। भरत जी के चरित्र को आप कहीं से भी श्रवण करें उससे आपका जीवन धन्य हो जाएगा। चित्रकूट में भरत चरित्र गाने से जप यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने रामकथा की महिमा बताते हुए कहा कि रामकथा चलता फिरता मंदिर है। नदी के बेह प्रवाह की तरह यह भी सारे संसार में बहती है। जिसमें डुबकी लगाने से सारे पापों का हरण हो जाता है।

Update: 2021-06-02 10:00 GMT

सतना। दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर चित्रकूट में रामकथा के चौथे दिन मोरारी बापू ने चौपाईयों के माध्यम से भरत चरित्र का बखान करते हुए कहा कि भरत का चरित्र श्रवण करने मात्र से जीवन में संजीवनी मिलती है। भरत जी के चरित्र को आप कहीं से भी श्रवण करें उससे आपका जीवन धन्य हो जाएगा। चित्रकूट में भरत चरित्र गाने से जप यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने रामकथा की महिमा बताते हुए कहा कि रामकथा चलता फिरता मंदिर है। नदी के बेह प्रवाह की तरह यह भी सारे संसार में बहती है। जिसमें डुबकी लगाने से सारे पापों का हरण हो जाता है। श्री बापू ने समझाते हुए कहा कि -
सिय राम प्रेम पियूष पूरन होत जनमु न भरत को।
मुनि मन अगम जम नियम सम दम विषम व्रतआचरत को।
दुख दाह दारिद दंभ दूषन सुजस मिस अपहरत को।
कलिकाल तुलसी से सठन्हि हठि राम सनमुख करता को।

उन्होंने समझाया कि श्री सीतारामजी के प्रेमरूपी अमृत से परिपूर्ण भरतजी का जन्म यदि न होता तो मुनियों के मन को भी अगम यम, नियम, शम, दम आदि कठिन व्रतों का आचरण कौन करता। दुःख, संताप, दरिद्रता, दम्भ आदि दोषों को अपने सुयश के बहाने कौन हरण करता तथा कलिकाल में तुलसीदास जैसे शठों को हठपूर्वक कौन श्री रामजी के सम्मुख करता।

चित्रकूट की महिमा का किया बखान

श्री मोरारी बापू ने चित्रकूट की महिमा पर कहा कि चित्रकूट में भूत, वर्तमान, भविष्य लागू नहीं हो सकता है। कलयुग का जो प्रभाव दिखता है उसकी वजह हम हैं। चित्रकूट तीनों कालों से मुक्त है। क्योंकि यह भगवान की विहार भूमि रही है। यहां भगवान कण-कण में है। चित्रकूट संतों की भी भूमि है। कभी कोई साधू किसी पर नाराज हो जाए तो बुरा नहीं मानना है, उसकी कठोरता क्षणिक रहती है। उसमें भी कोई हित छिपा रहता है। इस मौके पर रामकथा के आयोजक मंडल के सदस्य वाराणसी के व्यवसायी समाजसेवी किशन जालान, सूर्यकांत जालान, करुणेश खेमका, सतुआ बाबा, अखिलेश खेमका आदि मौजूद रहे।

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