रीवा में नल जल योजना के फिल्टर प्लांट में दर्दनाक हादसा: हेल्पर की उंगलियां कटीं, जबरन काम कराने और लापरवाही का गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश के रीवा में केंद्र सरकार की नल जल योजना के एक फिल्टर प्लांट में गंभीर लापरवाही के चलते 20 वर्षीय हेल्पर अनुराग तिवारी की उंगलियां कट गईं। पीड़ित ने एजेंसी संचालक पर जबरन और बिना सुरक्षा उपकरणों के अप्रशिक्षित काम कराने का गंभीर आरोप लगाया है। जलापूर्ति निगम ने मामले का संज्ञान लेते हुए एजेंसी को नोटिस जारी कर कार्रवाई की बात कही है।;

Update: 2025-06-15 19:13 GMT

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'नल जल योजना' के क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही का एक मामला सामने आया है, जहां एक फिल्टर प्लांट में काम करने वाले 20 वर्षीय हेल्पर की काम के दौरान मशीन में आकर उंगलियां कट गईं। यह घटना जिले के 184 गांवों में जलापूर्ति करने वाले एक महत्वपूर्ण प्लांट की है। पीड़ित युवक को एजेंसी संचालक द्वारा बिना पुलिस को सूचित किए एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। पीड़ित ने एजेंसी संचालक पर जबरन अप्रशिक्षित काम कराने, सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी करने और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

'मेरा काम नहीं था, फिर भी जबरन भेजा गया': पीड़ित की दर्दभरी जुबानी

अस्पताल में भर्ती घायल श्रमिक, अनुराग तिवारी, ने अपनी आपबीती सुनाते हुए उस खौफनाक पल को याद किया। अनुराग, जो गुढ़ थाना क्षेत्र के महसांव पुरास गांव का निवासी है और पिछले साल (2024) से इस फिल्टर प्लांट में हेल्पर के रूप में कार्यरत है, ने बताया, "एजेंसी के संचालक रणवीर सिंह ने मुझे जबरदस्ती 'बेस्ट वॉटर व्हील' का टायर बदलने के लिए भेजा। यह मेरा मुख्य काम नहीं था, और न ही मुझे कभी इस खतरनाक काम को करने का कोई प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन मुझे इसके लिए मजबूर किया गया।"

अनुराग ने आगे बताया, "जब मैं उस भारी-भरकम व्हील का टायर बदल रहा था, तभी वहां मौजूद एक अन्य सहयोगी ने अचानक मोटर चालू कर दी, जिससे मेरी उंगलियां घूमती हुई मशीन में आ गईं और कटकर अलग हो गईं। मैं इस दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया क्योंकि मुझसे वह काम कराया गया जिसके लिए मैं प्रशिक्षित नहीं था।"

एजेंसी संचालक पर लापरवाही, शोषण और कम वेतन देने का गंभीर आरोप

पीड़ित हेल्पर अनुराग तिवारी ने एजेंसी संचालक रणवीर सिंह पर न केवल लापरवाही, बल्कि कर्मचारियों के शोषण और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का भी गंभीर आरोप लगाया है। अनुराग का कहना है कि "एजेंसी संचालक कर्मचारियों से अक्सर दुर्व्यवहार करते हैं और प्लांट में सुरक्षा के लिए कोई भी आवश्यक उपकरण, जैसे कि सेफ्टी ग्लव्स, हेलमेट, या सेफ्टी शूज, उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, जिससे हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है।"

इसके अलावा, अनुराग ने कम वेतन दिए जाने का भी आरोप लगाया है। उसका कहना है कि उसे हर महीने केवल 8,000 रुपये का नकद भुगतान किया जाता है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित कलेक्टर दर के अनुसार एक अकुशल श्रमिक को प्रतिदिन 368.27 रुपये (जो लगभग 11,000 रुपये प्रति माह होता है) का भुगतान किया जाना चाहिए।

बिना पुलिस को बताए निजी अस्पताल में कराया भर्ती, मामले को दबाने की कोशिश?

इस मामले में एजेंसी संचालक की भूमिका और भी अधिक संदिग्ध हो जाती है क्योंकि उन्होंने इस गंभीर औद्योगिक दुर्घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने घायल अनुराग तिवारी को चुपचाप एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया, जबकि नियमतः ऐसे किसी भी गंभीर हादसे की सूचना तत्काल पुलिस को दी जानी चाहिए ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके। इस कदम को मामले को दबाने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है।

अधिकारी का बयान: जांच के बाद होगी वैधानिक कार्रवाई

यह मामला जब जलापूर्ति निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आया, तो उन्होंने इस पर तत्काल कार्रवाई करने की बात कही है। जलापूर्ति निगम के अधिकारी चित्रांशु ने मीडिया को बताया, "यह मामला हमारे संज्ञान में आ चुका है। हम संबंधित एजेंसी को तत्काल एक नोटिस जारी कर इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत जवाब मांगेंगे। यदि जांच में नियमों के विपरीत कार्य करना या सुरक्षा मानकों में किसी भी प्रकार की कोई भी लापरवाही पाई जाती है, तो जिम्मेदार फर्म के खिलाफ निश्चित रूप से कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित को हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।"

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