रीवा राजनिवास गैंगरेप कांड: महंत सहित 5 दोषियों को अंतिम सांस तक की सजा, ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय त्रिपाठी सहित 3 हुए बरी, राजीव सिंह शेरा ने की थी पैरवी
रीवा राजनिवास गैंगरेप केस 2025 में बड़ा फैसला, महंत सहित 5 दोषियों को अंतिम सांस तक सजा, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष संजय त्रिपाठी सहित 3 बरी—पूरी खबर
Rewa Rajnivas Gangrape Case 2025
रीवा की एक विशेष अदालत (POCSO कोर्ट) ने राजनिवास के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास उर्फ समर्थ त्रिपाठी सहित पांच दोषियों को उनके शेष प्राकृतिक जीवन (अंतिम सांस तक) के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
घटना का पूरा विवरण
यह सनसनीखेज मामला 28 मार्च 2022 का है। रीवा स्थित सरकारी सर्किट हाउस (राजनिवास) के कमरा नंबर 4 में एक नाबालिग किशोरी के साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया था। उस दौरान महंत सीताराम दास शहर में एक कथा वाचन कार्यक्रम के लिए आया हुआ था।
जांच में सामने आया कि आरोपी विनोद पांडे ने पीड़िता को काम दिलाने और "बड़े संत" का आशीर्वाद दिलाने के बहाने राजनिवास बुलाया था। वहां आरोपियों ने किशोरी को जबरदस्ती शराब पिलाई और फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना के बाद पीड़िता किसी तरह वहां से भागने में सफल रही और सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज कराया।
किसे मिली सजा और कौन हुआ बरी?
इस मामले में पुलिस ने कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया था। साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर माननीय न्यायालय ने निम्नलिखित 5 लोगों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई:
- महंत सीताराम दास (मुख्य आरोपी)
- विनोद पांडे
- धीरेंद्र मिश्रा
- अंशुल मिश्रा
- मोनू पयासी
वहीं, साक्ष्यों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने संजय त्रिपाठी, रविशंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी को दोषमुक्त (बरी) कर दिया है। जिसकी पैरवी अधिवक्ता राजीव सिंह शेरा के द्वारा की गई थी.
कड़ी कानूनी लड़ाई और अहम साक्ष्य
सरकारी वकील (APO) के अनुसार, यह मामला काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें एक प्रभावशाली महंत शामिल था। तत्कालीन थाना प्रभारी हितेंद्र नाथ शर्मा ने मामले की गहन विवेचना की। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट के समक्ष 22 गवाह, 140 दस्तावेजी सबूत और DNA रिपोर्ट जैसे पुख्ता साक्ष्य पेश किए। विवेचक का परीक्षण ही कई दिनों तक चला, जिसके बाद न्यायालय ने इस मामले को "गंभीरतम" मानते हुए दोषियों को कड़ी सजा दी।
निष्कर्ष
राजनिवास जैसे सुरक्षित और सरकारी स्थान पर एक धर्मगुरु द्वारा की गई इस दरिंदगी ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। अदालत के इस फैसले ने समाज में यह कड़ा संदेश दिया है कि कानून की नजर में कोई भी अपराधी छोटा या बड़ा नहीं होता। सभी दोषियों को आज न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया गया है।