रीवा-मऊगंज के 5 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द: नियमों के उल्लंघन और व्यवस्थाओं में कमी के चलते हुई कार्रवाई

रीवा और मऊगंज के 5 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है. इन स्कूलों ने नियमों और रिन्युअल की शर्तों को पूरा नहीं किया था, जिसके कारण अब यहां के बच्चों को दूसरे स्कूलों में प्रवेश लेना होगा.;

Update: 2025-07-30 05:04 GMT

मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों का संचालन अब और सख्त हो गया है. रीवा और मऊगंज जिलों में पांच निजी स्कूलों पर ताला लग गया है, क्योंकि वे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित नियमों और पाबंदियों को पूरा नहीं कर पाए. इन स्कूलों ने अपनी मान्यता के नवीनीकरण (रिन्युअल) की शर्तों को पूरा नहीं किया, जिसके कारण उनकी मान्यता पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है. इस फैसले से इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बड़ी परेशानी होगी, क्योंकि अब उन्हें अपना शैक्षणिक सत्र जारी रखने के लिए कहीं और प्रवेश लेना पड़ेगा. 

क्यों हुई मान्यता रद्द? 

रीवा - मऊगंज के जिन पांच स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, उनमें कई तरह की खामियां पाई गईं. जिला शिक्षा केंद्र रीवा से मिली जानकारी के अनुसार, इन स्कूलों ने नवीनीकरण (रिन्युअल) के लिए आवश्यक ₹30,000 की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) राशि जमा नहीं की थी. यह राशि स्कूलों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा के तौर पर अनिवार्य होती है.

इसके अलावा, इन स्कूलों के पास पर्याप्त विषयमान शिक्षक (Subject-specific teachers) भी नहीं थे. वे निर्धारित मानकों के अनुसार शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कर पाए थे, जो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए बेहद जरूरी है. इन गंभीर खामियों के कारण ही उनकी मान्यता निरस्त कर दी गई.

कौन-कौन से स्कूलों की मान्यता रद्द हुई? देखें पूरी लिस्ट

रीवा जिला से:

  1. एसएस पब्लिक स्कूल, छत्रपति नगर
  2. मल्टी परपज गर्ल्स हाई स्कूल, रायपुर कर्चुलियान
  3. न्यू सैनिक स्कूल, सेमरिया
  4. मदर्स ब्लेसिंग पब्लिक स्कूल, मड़ैचा, जवा

मऊगंज से:

  1. सन राइज वैली स्कूल

ये सभी स्कूल अब शिक्षा विभाग की सूची से बाहर हो गए हैं और बच्चों को अब दूसरे मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला लेना होगा.

अवैध संचालन पर शिक्षा विभाग की सख्ती

यह बात सामने आती रही है कि रीवा और मऊगंज में निजी स्कूलों की जैसे 'बाढ़' सी आ गई थी. कई संचालक दो कमरों में ही स्कूल खोल देते थे, जिनके पास न तो पर्याप्त संसाधन होते थे और न ही प्रशिक्षित शिक्षक. फिर भी, ये स्कूल मान्यता लेकर बच्चों का दाखिला शुरू कर देते थे, सिर्फ कम समय में अधिक पैसा कमाने की सोच रखते थे.

हालांकि, अब शिक्षा विभाग इन पर सख्ती दिखा रहा है. ऐसे संचालक, जो स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों का पालन और गाइडलाइन की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं, इस दौड़ में पिछड़ते जा रहे हैं. नतीजा सबके सामने है: धीरे-धीरे ऐसी स्कूलों पर ताला लग रहा है. पर्याप्त शिक्षक और छात्र न होने के कारण ये स्कूलें प्रतिस्पर्धा से बाहर होती जा रही हैं.

स्कूल संचालकों को अपील का मौका मिला था, लेकिन...

जिन स्कूलों की मान्यता ऑनलाइन निरस्त की गई थी, उन्हें अपनी बात रखने और अपील करने का अवसर दिया गया था. स्कूल संचालकों को कलेक्टर के पास इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का मौका मिला था. हालांकि, रीवा जिले के जिन स्कूलों की मान्यता रद्द की गई, उनके संचालकों ने कलेक्टर के पास कोई अपील नहीं की. इसी कारण उनकी मान्यता को अंततः और स्थायी रूप से निरस्त कर दिया गया. वहीं, मऊगंज की एक और स्कूल की मान्यता रद्द की गई थी, लेकिन उसके संचालक ने कलेक्टर के पास अपील कर दी है. 

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