बांग्लादेशी घुसपैठियों का रीवा कनेक्शन: फर्जी मार्कशीट त्योंथर से बनी, जांच करने आ सकती है छत्तीसगढ़ पुलिस

छत्तीसगढ़ के रायपुर में पकड़े गए बांग्लादेशी दंपती का रीवा से कनेक्शन सामने आया है। उनकी फर्जी मार्कशीट रीवा के त्योंथर से बनवाई गई थी। रायपुर पुलिस जल्द ही रीवा में जांच कर सकती है।;

Update: 2025-06-19 18:53 GMT

रायपुर में पकड़े गए बांग्लादेशी दंपती का रीवा कनेक्शन: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पकड़े गए एक बांग्लादेशी दंपती के मामले में रीवा कनेक्शन सामने आया है। रायपुर पुलिस बांग्लादेशी घुसपैठियों की पूरी कुंडली खंगाल रही है, और जांच में पता चला है कि इस दंपती की फर्जी मार्कशीट रीवा जिले के त्योंथर से बनवाई गई थी। इस खुलासे के बाद, रायपुर पुलिस बहुत जल्द मामले की पड़ताल के लिए रीवा में दस्तक दे सकती है।

रीवा एसपी ने दी जानकारी

इस पूरे मामले पर रीवा एसपी विवेक सिंह ने बताया कि अभी कुछ सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े हैं। उनकी जाली मार्कशीट रीवा के त्योंथर से संबंधित किसी स्कूल की बताई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में अभी उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन रायपुर पुलिस को जो भी मदद चाहिए होगी, वे पूरी सहायता करेंगे। रीवा पुलिस भी इस दिशा में अपनी पड़ताल शुरू करेगी।

क्या है पूरा मामला?

रायपुर के टिकरापारा इलाके में सरकारी कार्यालय के पास अंडे का ठेला लगाने वाला दिलावर खान नाम का व्यक्ति एक बांग्लादेशी नागरिक निकला। 13 जून को टिकरापारा पुलिस को इस संबंध में सूचना मिली थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने दिलावर खान की जानकारी जुटाई और टिकरापारा के धर्मनगर इलाके में स्थित उसके किराए के मकान पर छापा मारा।

पुलिस ने दिलावर खान के घर से उसकी पत्नी परवीन बेगम और उसकी नाबालिग बेटी को हिरासत में लिया। दिलावर खान का बेटा इस समय मलेशिया में है, और पुलिस उसकी जानकारी भी जुटा रही है। पुलिस की पूछताछ में दिलावर खान ने कबूल किया कि वह 16 साल पहले अपनी पत्नी परवीन और एक साल के बेटे के साथ रायपुर आया था। हालांकि, उनकी बेटी का जन्म छत्तीसगढ़ में ही हुआ है।

बांग्लादेश के मुंशीगंज से 16 साल पहले दिलावर खान अवैध तरीके से बॉर्डर पार कर रायपुर पहुंचा था। इसके एक साल बाद उसने अपनी पत्नी को भी अवैध तरीके से भारत बुलवा लिया। इतना ही नहीं, उसने एक फर्जी मार्कशीट भी बनवाई, और इसी के आधार पर उसने पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हासिल कर लिए। रायपुर पुलिस ने दिलावर और उसके परिवार के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

छत्तीसगढ़ में पकड़े गए कई बांग्लादेशी नागरिक

दिलावर खान और उसके परिवार के अलावा, छत्तीसगढ़ में अब तक एक दर्जन से ज़्यादा बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं। ये गिरफ्तारियां रायपुर के अलावा दुर्ग और रायगढ़ जिलों में भी हुई हैं। जितने भी बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार हुए हैं, वे सभी लंबे समय से छत्तीसगढ़ में रह रहे थे।

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इनमें से कुछ बांग्लादेशी नागरिक छत्तीसगढ़ में रहने के दौरान 4-5 बार बांग्लादेश होकर भी आए हैं। इसके अलावा, वे फोन और विभिन्न ऐप्स के माध्यम से लगातार अपने देश के लोगों के संपर्क में भी रहे हैं। पुलिस या एटीएस ने हर बार अपने स्तर पर इन बांग्लादेशी नागरिकों पर कार्रवाई की है।

फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने वालों की तलाश

पुलिस दिलावर खान और उसके परिवार को फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने वाले लोगों की कुंडली खंगाल रही है। दिलावर के यहां काम करने वाले कर्मचारी के अलावा, मकान मालिक और दस्तावेज बनाने के लिए अनुशंसा पत्र देने वालों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।

पुलिस ने दिलावर खान के घर से कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं और इन दस्तावेजों की हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाई है। केस की जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिलावर खान के सभी मकान मालिकों और उसके मददगारों पर भी कार्रवाई की जाएगी। दिलावर छत्तीसगढ़ में अब तक 4 किराए के मकानों में रह चुका है।

फर्जी मार्कशीट कैसे बनाई गई?

रायपुर पुलिस के मुताबिक, दिलावर खान को फर्जी मार्कशीट बनाने में उसके ठेले पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने मदद की थी। कर्मचारी ने मार्कशीट बनाने के बदले 1000 रुपये लिए और रीवा जाने के लिए किराया मांगा। दिलावर ने उस कर्मचारी को 1 हजार रुपये दिए। कर्मचारी ने उसे कुछ दिनों बाद मार्कशीट बनाकर दे दी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह मार्कशीट मध्यप्रदेश के रीवा जिले के त्योंथर तहसील के एक माध्यमिक विद्यालय की थी। इसी मार्कशीट और किराएनामे के आधार पर दिलावर ने अपने और अपने परिवार के अन्य सदस्यों के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज बनवाए थे। पुलिस ने अभी तक उस कर्मचारी के नाम का खुलासा नहीं किया है।

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