रीवा के दो सियासी गुंडे, एक फार्महाउस वाले-दूसरे बाहर के: सेमरिया विधायक पर FIR से राजनीति गरमाई, कांग्रेस का प्रदर्शन; दोनों दल आमने-सामने

रीवा में कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर मारपीट का मामला दर्ज होने के बाद कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. पार्टी ने इसे सत्ता के दबाव में दर्ज FIR बताया और विरोध प्रदर्शन किया, वहीं भाजपा ने सख्त कार्रवाई की मांग की.;

Update: 2025-07-28 05:03 GMT

एक तरफ जहां रीवा विधानसभा की जनता के जनप्रतिनिधि 'माननीय' हैं. वहीं दूसरी तरफ रीवा जिले के ही सेमरिया विधानसभा की जनता अपने क्षेत्र में एक माननीय के लिए तरस रही है. जनता के पास कोई विकल्प होता भी नहीं। चाहे बात अपना-अपना वर्चस्व दिखाने की हो या फिर चुनाव के समय की. सेमरिया में रक्त तो बहा है, किसी न किसी की कुटाई तो हुई है. अब तो यहाँ की जनता भी कहने लगी है... साहब! आपके पास तो माननीय हैं, हमारे यहां तो सियासी गुंडे हैं. एक फार्महाउस वाले, तो एक बाहर वाले. फार्महाउस वाले बाहर भोले बनते हैं और अंदर यमराज के दूत. तो बाहर वाले का तो सत्ता का नशा अब तक उतरा ही नहीं. 56 की टोली में कहीं भी टपकते हैं और न्याय के देवता बनने के चक्कर में कांड कर बैठते हैं. मतलब हम जाएँ तो जाएँ कहाँ...! 

ये पीड़ा है सेमरिया के लोगों की. उन जनता की जिन्होने वोट दिया था विकास के लिए, रोजगार के लिए, कानून व्यवस्था के लिए. लेकिन ये सब तो छोड़िए, ये वोटर न अपने विधायक से डरते हैं की कहीं पीड़ा बयान करें तो साहब कूट न दें. और न ही विपक्षी दल से कि वो कह न दें वोट ता हमही दिहय नहीं. खैर सेमरिया की राजनीति कभी भी आसान नहीं रही. तो चलिए लौटते हैं, हाल ही में हुए एक नए कांड पर. इस कांड का सेमरिया से तो कोई लेना-देना नहीं है. न सेमरिया में घटना हुई और न ही सेमरिया में बवाल. इस बार सेमरिया के कांडियों ने कांड किया है रीवा में! सियासी आखाडा बनाया है, चोरहटा थाना को. फार्महाउस में कुटाई हुई है एक 'कर्मचारी' की. गाली पड़ी है बड़े रैंक वाली महिला पुलिस अधिकारी को. हांथ जोड़ना पड़ा है थाना के दारोगा को. 

सियासी गलियारों में उस समय हड़कंप मच गया जब कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर मारपीट के मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज कर ली गई. इस कार्रवाई के तुरंत बाद, कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में पार्टी का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल सोमवार को आईजी गौरव राजपूत से मुलाकात करने पहुंचा. कांग्रेस ने इस एफआईआर को "सत्ता के दबाव में दर्ज" बताया और इसके विरोध में जमकर प्रदर्शन किया. इस प्रतिनिधिमंडल में विधायक की पत्नी नीलम मिश्रा भी शामिल थीं, जो खुद पूर्व लोकसभा प्रत्याशी रह चुकी हैं. यह मामला अब रीवा की राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दे चुका है.

कांग्रेस का आरोप: 'सत्ता के दबाव में दर्ज हुई FIR', पुलिस पर सवाल

रीवा में अभय मिश्रा पर एफआईआर क्यों हुई? कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए इस एफआईआर पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि दो कर्मचारियों की आपसी लड़ाई को लेकर एक विधायक पर मामला दर्ज करना बेहद शर्मनाक है. राजेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने में सुबह से रात तक धरना देकर पुलिस पर लगातार दबाव बनाया, जिसके चलते 25 जुलाई की रात को विधायक अभय मिश्रा पर एफआईआर दर्ज की गई.

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब एक कर्मचारी की उंगली काट दी गई थी, तब भाजपा नेता उस पर मौन साधे हुए क्यों थे, लेकिन विधायक पर एफआईआर के लिए पुलिस पर दबाव डाला गया. कांग्रेस ने इस एफआईआर का कड़ा विरोध करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है. उनका कहना है कि यह कांग्रेस विधायक की छवि धूमिल करने की कोशिश है.

भाजपा का पलटवार: 'बर्बर हमला', पीड़ितों से मुलाकात और सख्त धाराओं की मांग

जहां एक ओर कांग्रेस इस कार्रवाई का विरोध कर रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है. भाजपा के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता, सांसद जनार्दन मिश्रा और पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी घायल अभिषेक तिवारी से मुलाकात करने पहुंचे. भाजपा नेताओं ने घायल अभिषेक तिवारी की हालत देखी और उनके प्रति संवेदना व्यक्त की.

वीरेंद्र गुप्ता ने इस घटना को "बर्बर हमला" करार दिया और मांग की कि अभिषेक तिवारी की एक्सरे रिपोर्ट आने के बाद एफआईआर में और सख्त धाराएं जोड़ी जाएं. उन्होंने पीड़ित के पिता को आश्वासन दिया कि भाजपा इस मामले में अभिषेक तिवारी को हरसंभव न्याय दिलवाने के लिए उनके साथ खड़ी है. भाजपा का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और दोषी को सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो.

क्या हुआ था 24 जुलाई की रात? विवाद की पूरी कहानी

रीवा में अभय मिश्रा का विवाद क्या है? यह पूरा विवाद 24 जुलाई की रात को शुरू हुआ. जानकारी के अनुसार, उस रात अशोक तिवारी नामक व्यक्ति ने अभिषेक तिवारी पर मारपीट और उंगली काटने की एफआईआर सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई थी. इसके बाद अगले दिन, 25 जुलाई की सुबह, घायल अभिषेक तिवारी खुद चोरहटा थाने पहुंचा. वहां उसने कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए. अभिषेक तिवारी ने दावा किया कि उन्हें सैलरी मांगने पर हमला किया गया था, और विधायक अभय मिश्रा इस मारपीट में शामिल थे. उनके इस आरोप के बाद मामला और भी गंभीर हो गया.

एफआईआर दर्ज होने तक का घटनाक्रम: भाजपा का धरना और कांग्रेस का विरोध

अभिषेक तिवारी के विधायक पर आरोप लगाने के बाद भी जब थाने में तुरंत एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो भाजपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया. पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी अपने समर्थकों के साथ थाने में ही धरने पर बैठ गए और एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगे. इस दौरान भाजपा नेताओं और पुलिस के बीच तीखी बहस भी हुई, जिससे थाने में तनाव का माहौल बन गया. अंततः, भाजपा के लगातार दबाव और प्रदर्शन के बाद, 25 जुलाई की रात को कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर एफआईआर दर्ज की गई, जिससे रीवा में सियासी पारा और चढ़ गया.

रीवा में सियासी संग्राम तेज

इस पूरे घटनाक्रम के बाद रीवा में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. जहां कांग्रेस इस एफआईआर को सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया कदम बता रही है, वहीं भाजपा इसे एक पीड़ित को न्याय दिलाने की पहल बता रही है. अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच आगे क्या रुख लेती है और क्या इस मामले में और गिरफ्तारियां होती हैं. 

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