रीवा कोर्ट का फैसला: चेक बाउंस मामले में दोषी को एक साल की जेल, ₹3.35 लाख मुआवजा का आदेश
रीवा की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने चेक बाउंस मामले में दोषी लाल बहादुर सिंह को एक साल जेल और ₹3.35 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया। पूरा कोर्ट फैसला यहाँ पढ़ें।;
Rewa Court Convicts Lalbahadur Singh in Cheque Bounce Case, Sentences Him to 1 Year Jail
रीवा जिले की प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने चेक बाउंस के एक महत्वपूर्ण मामले में लालबहादुर सिंह (पिता: चंद्रभान सिंह, आयु 48 वर्ष, निवासी दीन दयाल धाम, पड़रा, थाना सिविल लाइन, रीवा) को धारा 138, Negotiable Instruments Act 1881 के तहत दोषी करार देते हुए 1 वर्ष की साधारण कारावास और ₹3,35,000 का मुआवजा अदा करने का आदेश दिया है।
यह मामला पीड़ित यतीन्द्र चतुर्वेदी (पिता स्व. देवेंद्र चतुर्वेदी, आयु 52 वर्ष, निवासी लपटा, थाना चोरहटा, रीवा) द्वारा दायर किया गया था। कोर्ट का यह फैसला 12 नवंबर 2025 को न्यायिक मजिस्ट्रेट पन्ना नागेश द्वारा सुनाया गया।
Case Background – कैसे शुरू हुआ पूरा मामला?
पीड़ित यतीन्द्र चतुर्वेदी और आरोपी लालबहादुर सिंह के बीच पहले से परिचय था। आरोपी ने अपनी व्यक्तिगत आवश्यकता (Personal Need) का हवाला देकर पीड़ित से ₹2,50,000 उधार लिए। राशि लौटाने के लिए आरोपी ने 26 दिसंबर 2022 को चेक नंबर 989993 जारी किया। जब पीड़ित ने चेक को अपने खाते में जमा किया तो 28 दिसंबर 2022 को बैंक ने “Funds Insufficient” बताकर चेक लौटा दिया।
Legal Notice भेजने के बाद भी नहीं दी राशि
चेक बाउंस होने के बाद पीड़ित ने कानूनी प्रक्रिया के अनुसार 30 दिसंबर 2022 को Legal Demand Notice भेजा। इस नोटिस की डाक रसीदें (Postal Receipts) और अखबार में प्रकाशित सूचना कोर्ट में प्रमाणित हो गईं। नोटिस मिलने के बावजूद आरोपी ने निर्धारित 15 दिनों में भुगतान नहीं किया। यही बात आरोपी के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत साबित हुई।
अदालत ने आरोपी के बचाव को क्यों खारिज किया?
अदालत ने कहा कि:
- चेक पर आरोपी लालबहादुर सिंह के हस्ताक्षर सही पाए गए।
- आरोपी यह साबित नहीं कर सका कि चेक “जबरदस्ती लिया गया” था।
- नोटिस आरोपी के सही पते पर पहुंचा था, इसका स्पष्ट रिकॉर्ड मौजूद था।
- आरोपी ने भुगतान करने की कोई प्रामाणिक कोशिश नहीं दिखाई।
- चेक का दुरुपयोग हुआ, इसका भी कोई सबूत नहीं दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी का रुख गैर-जिम्मेदाराना और भरोसे को ठेस पहुँचाने वाला था। इसलिए उसे दोषी ठहराना न्यायोचित है।
सज़ा: एक साल जेल + ₹3.35 लाख मुआवजा
कोर्ट ने आरोपी को 1 वर्ष की साधारण कैद और ₹3,35,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया। यह राशि पीड़ित यतीन्द्र चतुर्वेदी को प्रदान की जाएगी। यदि आरोपी यह मुआवजा जमा नहीं करता है, तो उसे 2 माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
रीवा कोर्ट का संदेश: चेक बाउंस मजाक नहीं, विश्वासघात है
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चेक बाउंस को छोटी-मोटी गलती मानना गलत है। यह एक गंभीर वित्तीय अपराध है, जो किसी व्यक्ति के भरोसे और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। अदालत ने साफ कहा कि आरोपी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और नोटिस मिलने के बाद भी भुगतान न करके गैर-जिम्मेदारी दिखाई।