रीवा समेत MP में CGST का बड़ा एक्शन: फर्जी ITC रैकेट का पर्दाफाश, कई ठिकानों पर छापे
केंद्रीय CGST विभाग ने रीवा समेत मध्य प्रदेश के कई शहरों में बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से जुड़े कर चोरी के संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है.;
रीवा समेत MP में CGST की बड़ी कार्रवाई: केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (CGST) विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से जुड़ी कर अपवंचन (tax evasion) की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है. यह अभियान विशेष खुफिया सूचनाओं और डेटा विश्लेषण के आधार पर चलाया गया. इस कार्रवाई से रीवा समेत मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में कर चोरी के एक संगठित नेटवर्क के संकेत मिले हैं. अभियान के तहत, रीवा, जबलपुर, भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में कई प्रतिष्ठानों के कार्यालयों और आवासीय परिसरों में बड़े पैमाने पर छापेमारी की गई, जिससे यह साफ होता है कि यह एक सुनियोजित और व्यापक घोटाला है.
रीवा में विजय कुमार मिश्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी पर छापा
रीवा में यह बड़ी कार्रवाई विजय कुमार मिश्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठिकानों पर हुई है. इस कंपनी के रीवा स्थित कार्यालय के साथ-साथ भोपाल में भी इसके कार्यालय पर छापेमारी की गई. शुरुआती जांच में पाया गया है कि कुछ संस्थाओं ने किसी भी वास्तविक वस्तु की आपूर्ति किए बिना ही फर्जी चालानों का इस्तेमाल किया. इन फर्जी चालानों के जरिए उन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ उठाया और फिर इसे विभिन्न इकाइयों तक वितरित किया. यह दिखाता है कि कैसे बिना किसी वास्तविक व्यापार के सिर्फ कागजों पर लेनदेन दिखाकर टैक्स चोरी की जा रही थी.
कैसे काम कर रहा था यह फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का नेटवर्क?
फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या होता है? इस संगठित नेटवर्क ने टैक्स चोरी के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया. इसमें मुख्य रूप से अंडर-वैल्यूएशन (सामान की कीमत कम दिखाना), अंडर-वेट (कम वजन दिखाना), अंडर-बिलिंग (कम बिल बनाना) और बिना बिल के माल की ढुलाई शामिल थी. बताया गया है कि रायपुर से आने वाले सरिए (steel bars) को मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में इसी तकनीक का उपयोग करके भेजा जा रहा था, जिससे टैक्स की चोरी की जा सके.
इस पूरे फर्जीवाड़े को उजागर करने के लिए सीजीएसटी विभाग पिछले 15 दिनों से कड़ी निगरानी रख रहा था. इस दौरान ट्रांसपोर्टरों की लगातार निगरानी की गई, ट्रांजिट चेक किए गए, और विभिन्न डीलरों के यहां छापे मारकर विभागीय कार्रवाई की जा रही थी. यह लंबी जांच प्रक्रिया इस बात का संकेत है कि यह घोटाला कितना गहरा और जटिल था.
छापेमारी में क्या-क्या मिला?
रीवा के अलावा, जबलपुर, भोपाल और अन्य कई स्थानों पर की गई जांच के दौरान सीजीएसटी टीम को कई महत्वपूर्ण सबूत हाथ लगे हैं. इन सबूतों में बड़ी संख्या में फर्जी चालान, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स, संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से जुड़े दस्तावेज और विभिन्न डिजिटल सबूत शामिल हैं. इन सभी सबूतों के विश्लेषण से संकेत मिला है कि इस पूरे नेटवर्क में सिर्फ व्यापारी ही नहीं, बल्कि बिचौलिये, ट्रांसपोर्टर और पेशेवर चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CAs) भी शामिल हो सकते हैं. यह दिखाता है कि कैसे टैक्स चोरी के लिए एक पूरा इकोसिस्टम काम कर रहा था, जिसमें अलग-अलग प्रोफेशनल्स अपनी भूमिका निभा रहे थे.
सीजीएसटी आयुक्त ने कहा- आगे भी होगी कार्रवाई
सीजीएसटी आयुक्त ने इस मामले पर क्या बयान दिया? सीजीएसटी आयुक्त लोकेश कुमार ने इस कार्रवाई के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह एक संगठित नेटवर्क लगता है, जिसकी परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं. आयुक्त ने यह भी बताया कि विभाग की टीमें बरामद किए गए डिजिटल सबूतों का गहन विश्लेषण कर रही हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में आगे भी पूछताछ और गिरफ्तारियां संभव हैं. यह बयान साफ दर्शाता है कि विभाग इस घोटाले की जड़ तक पहुंचने और इसमें शामिल सभी दोषियों को बेनकाब करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह कार्रवाई टैक्स चोरी करने वालों के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि कानून से कोई बच नहीं सकता.