विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल में तड़प रहे मरीज, SGMH में खून ही नहीं!

Rewa MP News: संजय गांधी अस्पताल में रक्त की कमी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

Update: 2022-11-12 06:09 GMT

फाइल फोटो 

Rewa MP News: संजय गांधी अस्पताल में रक्त की कमी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। विंध्य क्षेत्र के नामी चिकित्सालयों में शुमार एसजीएमएच की स्थिति यह है कि यहां मरीजों के लिए ब्लड ही नहीं है। अब बिना ब्लड के यहां भर्ती जरूरतमंद मरीजों की क्या स्थिति होती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। विडंबना तो यह है कि यहां व्याप्त ब्लड की कमी को दूर करने के लिए न तो अस्पताल प्रबंधन ने ही प्रयास किया और न ही प्रशासन ने। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में यहां व्याप्त अव्यवस्था अपने चरम पर होगी।

मौजूद है केवल 25 यूनिट ब्लड

अस्पताल प्रबंधन की माने तो प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है। अस्पताल के ब्लड बैंक की स्थिति यह है कि यहां पिछले 10 दिन से केवल 20 से 25 यूनिट ही ब्लड मौजूद है। प्रतिदिन आधा सैकड़ा से अधिक मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है। एसजीएमएच के ब्लड बैंक के हालात यह है कि यहां ब्लड की कमी बनी ही रहती है। गौरतलब है कि एसजीएमएच के गायनी, पीडियाट्रिक और सर्जरी वार्ड में भर्ती मरीजों को सबसे अधिक ब्लड की जरूरत होती है।

बताया गया है कि ब्लड की कमी को दूर करने के लिए प्रबंधन ने अलग ही रास्ता अपना रखा है। जिसके तहत जरूरतमंद मरीज के परिजन से ब्लड एक्सचेंज किया जाता है। ब्लड एक्सचेंज करने के बाद जरूरतमंद मरीज को ब्लड दे दिया जाता है। समस्या तब आती है जब मरीज बिना ब्लड एक्सचेंज किए ब्लड बैंक से ब्लड लेना चाहते हैं।

ब्लड की कमी का कारण

एसजीएमएच में ब्लड की जरूरत को पूरा करने के दो माध्यम है। जिसमें एक तो सामाजिक संगठनांं और प्रशासन द्वारा ब्लड बैंक शिविर लगा कर इस कमी को दूर करना और दूसरा रक्तदान। बताते हैं कि कई बार कुछ सामाजिक कार्यकर्ता ब्लड बैंक आकर ब्लड डोनेट कर जाते हैं। यह बात अलग है कि रक्तदान करने वालांं की संख्या काफी कम होती है। गौरतलब है कि पिछले दो माह से न तो प्रशासन ने और न ही सामाजिक संगठनों द्वारा ब्लड बैंक शिविर का आयोजन किया गया। जिसके कारण अस्पताल में ब्लड की काफी कमी हो गई है।

निगेटिव ब्लड की काफी कमी

ब्लड गु्रप पॉजिटिव और निगेटिव दो प्रकार के होते हैं। पॉजिटिव ब्लड गु्रप की अपेक्षा निगेटिव ब्लड की हमेशा ही कमी बनी रहती है। इसका कारण यह है कि निगेटिव ब्लड गु्रप रेयर माना जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में जहां अस्पताल मेंं ए पॉजिटिव ब्लड गु्रप की संख्या 10 है वहीं निगेटिव ब्लड गु्रप की संख्या केवल 1, एबी पॉजिटिव 9 तो निगेटिव 2, बी पॉजिटिव की संख्या 4 तो निगेटिव की 2 और ओ पॉजिटिव और निगेटिव ब्लड गु्रप की संख्या 2-2 है। पिछले एक सप्ताह से अस्पताल में ब्लड गु्रप की संख्या इसी आंकडे के आसपास है।

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