मुकुंदपुर समेत 6 गांव मैहर में रहे या रीवा से जुड़े, प्रस्ताव को लेकर विवाद बढ़ा: रहवासी रीवा से जुड़ना चाहते हैं, मैहर MLA और सतना सांसद विरोध में; कहा- ऐसा होने नहीं देंगे

मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी को लेकर रीवा और मैहर के बीच राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। छह गांवों के रीवा में शामिल होने के प्रस्ताव पर ग्रामीणों और नेताओं में टकराव बढ़ गया है।;

Update: 2025-08-31 06:00 GMT

रीवा / सतना / मैहर। विंध्य क्षेत्र का गौरव माने जाने वाला मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी इन दिनों सियासी घमासान का केंद्र बना हुआ है। मुकुंदपुर और उसके आसपास के छह गांवों को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव ने मैहर और रीवा के बीच खींचतान खड़ी कर दी है।

 

यह विवाद तब शुरू हुआ जब मैहर के अतिरिक्त कलेक्टर ने अमरपाटन के राजस्व अधिकारी को एक पत्र भेजा। इस पत्र में मुकुंदपुर, धौबाहट, अमीन, परसिया, आनंदगढ़ और पापरा गांवों को रीवा जिले में शामिल करने को लेकर राय मांगी गई। जैसे ही यह पत्र सामने आया, राजनीति में हलचल मच गई।

सियासी घमासान और आरोप-प्रत्यारोप

सतना सांसद गणेश सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर गांवों को रीवा में शामिल करने का विरोध किया। वहीं, विंध्य जनता पार्टी के संस्थापक और पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला पर मुकुंदपुर को रीवा में मिलाने की साजिश का आरोप लगाया।

कांग्रेस भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि इस फैसले का उद्देश्य सफारी क्षेत्र पर नियंत्रण पाना है। उन्होंने ऐलान किया कि वे गांधीवादी आंदोलन और “मैहर जेल भरो” अभियान चलाएंगे।

ग्रामीणों की राय: रीवा में मिलना बेहतर

कई ग्रामीणों का मानना है कि रीवा में शामिल होने से उन्हें विकास मिलेगा। मुकुंदपुर निवासी श्यामलाल साकेत का कहना है कि हर जरूरी काम के लिए उन्हें रीवा जाना पड़ता है, जबकि मैहर और सतना ने कभी ध्यान नहीं दिया।

गांवों में बिजली, स्वास्थ्य और सड़क जैसी समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, मोबाइल नेटवर्क तक नहीं पहुंचा और कई घरों में अब तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना है कि रीवा जिले में शामिल होने से हालात बदल सकते हैं।

व्हाइट टाइगर सफारी से मिली पहचान

2016 में स्थापित महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर की पहचान है। यह सफारी 1951 में पकड़े गए पहले सफेद बाघ की याद में बनाई गई थी। आज यहां सफेद बाघों के अलावा कई वन्यजीव भी हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

 

प्रशासन की भूमिका और आगे की राह

पुनर्गठन आयोग ने मैहर प्रशासन से छह गांवों की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि गांव रीवा जिले में शामिल होंगे या नहीं।

मैहर अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि इस मामले में पंचायतों और जनप्रतिनिधियों से राय ली जा रही है। वरिष्ठ कार्यालयों से दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय होगी।

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