रीवा के शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति का बड़ा फर्जीवाड़ा: DEO के हस्ताक्षर से हुए 6 फर्जीवाड़े, FIR दर्ज; कलेक्टर ने डीईओ के खिलाफ भेजा कार्रवाई का प्रस्ताव
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के स्कूल शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अब तक 6 फर्जी नियुक्तियां सामने आई हैं, जिनके आदेशों पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता के ही हस्ताक्षर हैं। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने DEO के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय को भेजा है, जबकि 6 लोगों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज कर ली गई है।;
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के स्कूल शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर एक बड़े और सुनियोजित फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। एक मामले की जांच के बाद अब तक कुल छह ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कूटरचित (फर्जी) दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की गई। इस घोटाले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी छह फर्जी नियुक्ति आदेशों पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता के ही हस्ताक्षर हैं, जिससे वह खुद भी अब जांच के घेरे में आ गए हैं। इस मामले में सिविल लाइन थाने में FIR भी दर्ज करा दी गई है और पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है।
कैसे सामने आया यह पूरा फर्जीवाड़ा?
इस पूरे घोटाले की परतें तब खुलनी शुरू हुईं जब बृजेश कुमार कोल नामक एक व्यक्ति की फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का प्रकरण पकड़ में आया। इसके बाद, जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता ने अपने ही कार्यकाल के दौरान हुई अन्य अनुकंपा नियुक्तियों की फाइलों की जांच शुरू कराई। जांच में पता चला कि पिछले एक साल में कुल 36 अनुकंपा नियुक्तियां की गई थीं। इन सभी 36 लोगों को नोटिस जारी कर उनके मूल दस्तावेजों के साथ जिला शिक्षा कार्यालय में उपस्थित होने के लिए बुलाया गया, लेकिन इनमें से 10 लोग उपस्थित ही नहीं हुए।
जब इन 10 अनुपस्थित लोगों के नियुक्ति संबंधी कागजातों की गहराई से जांच की गई, तो छह नियुक्तियां पूरी तरह से फर्जी पाई गईं, जबकि 4 अन्य नियुक्तियां अभी भी संदिग्ध हैं और उनकी जांच जारी है। यह सारे मामले सिर्फ पिछले एक साल में दी गई अनुकंपा नियुक्तियों के हैं। इस बड़े खुलासे के बाद अब पुराने प्रकरण भी संदेह के घेरे में आ गए हैं और उनकी भी जांच की जा सकती है।
जांच कराने वाले DEO खुद ही शक के घेरे में
इस मामले में सबसे बड़ा और दिलचस्प मोड़ यह है कि जिन जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता ने इस मामले की जांच शुरू कराई, वही अब इस पूरे फर्जीवाड़े के केंद्र में और शक के घेरे में हैं। इसका कारण यह है कि अब तक सामने आए सभी छह फर्जी नियुक्ति आदेश उन्हीं के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं।
इस गंभीर मामले पर रीवा की जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया, "सबसे पहले एक प्रकरण सामने आया था, जिसमें नियुक्ति पाने वाला व्यक्ति ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो रहा था। जब इसकी जांच की गई तो पाया गया कि पांच और नियुक्तियां भी इसी तरह से संदिग्ध लग रही थीं। जब एक विशेष कमेटी बनाकर इन सभी मामलों की जांच कराई गई, तो यह स्पष्ट हो गया कि इन लोगों द्वारा गलत और फर्जी दस्तावेज लगाकर यह अनुकंपा नियुक्तियां पाई गई हैं।"
DEO के खिलाफ कलेक्टर ने भेजा कार्रवाई का प्रस्ताव
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने यह भी पुष्टि की कि इस मामले से जुड़े 6 लोगों के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज करा दी गई है। उन्होंने कहा, "इस मामले में नोडल अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी (सुदामा लाल गुप्ता) के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को लेकर एक विस्तृत प्रस्ताव वरिष्ठ कार्यालय (संभाग आयुक्त या स्कूल शिक्षा निदेशालय) को भेजा गया है।"
6 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त शिकायत के आधार पर सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज करने के बाद पुलिस अब इन फर्जी तरीके से नौकरी पाने वालों और इस गिरोह में शामिल अन्य लोगों की तलाश में जुट गई है। रीवा की एडिशनल एसपी आरती सिंह ने बताया कि इस मामले में अब तक हीरामणि रावत, ओम प्रकाश कोल, सुषमा कोल, विनय रावत और रमा प्रसन्न धर द्विवेदी (जो अनुकंपा नियुक्ति के प्रभारी थे) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन पांच लोगों के अलावा, पहला मामला बृजेश कुमार कोल का था। इस प्रकार कुल 6 लोगों के खिलाफ FIR हुई है।
कैसे हुआ यह फर्जीवाड़ा?
माना जा रहा है कि यह सारा फर्जीवाड़ा अत्यंत गोपनीय और संगठित तरीके से दस्तावेजों में हेर-फेर करके और निर्धारित प्रक्रिया को दरकिनार करके किया गया।
नियमों की अनदेखी: शासन के नियमों के अनुसार, अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन पहले ऑनलाइन माध्यम से संबंधित संकुल (क्लस्टर) के जरिए किए जाने चाहिए थे। इसके बाद, आवेदन की हार्ड कॉपी में संकुल प्रभारी के हस्ताक्षर और सत्यापन के बाद ही उसे जिला शिक्षा कार्यालय भेजा जाना था। लेकिन इन फर्जी मामलों में इस ऑनलाइन प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया गया।
अनुकंपा प्रभारी की संदिग्ध भूमिका: इस फर्जीवाड़े में अनुकंपा नियुक्ति के प्रभारी बनाए गए रमा प्रसन्न धर द्विवेदी की भूमिका भी अत्यंत संदिग्ध मानी जा रही है। उनकी मूल पदस्थापना तो विकास खंड शिक्षा अधिकारी (BEO), रीवा के कार्यालय में है, लेकिन उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता द्वारा विशेष रूप से DEO कार्यालय में अटैच करके अनुकंपा नियुक्ति जैसा महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया था।
इधर, जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता ने कहा, "मैंने 6 मामलों में FIR दर्ज करवाई है। पहले मुझे लगा कि शायद एक ही मामला होगा, लेकिन जब मैंने गहराई से फाइलें खुलवाईं तो एक के बाद एक कई मामले निकलकर सामने आ गए। सभी मामलों में एक ही जैसे पैटर्न पर कूटरचित दस्तावेजों की मदद से यह फर्जीवाड़ा किया गया है।"