रीवा-शहडोल मार्ग पर बाणसागर बांध का पुल खतरे में! यात्रा करने से पहले पढ़ ले ये खबर, नहीं तो होगा बड़ा हादसा....
रीवा-शहडोल राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाणसागर पुल फिर खतरे में, भारी वाहनों के गुजरते ही होता है कंपन, विधायक ने मुख्यमंत्री से नया पुल माँगा।;
रीवा। रीवा और शहडोल को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग NH-135 पर स्थित बाणसागर बांध का पुल एक बार फिर खतरे के निशान पर आ गया है। 1986 में बना यह पुल, जिसकी हाल ही में मरम्मत की गई थी, अब भारी वाहनों के गुजरने पर कांपने लगा है। इस स्थिति ने न केवल स्थानीय जनता बल्कि इस मार्ग से रोज़ाना यात्रा करने वाले हज़ारों लोगों में भी भय और चिंता पैदा कर दी है।
मरम्मत की गुणवत्ता पर उठे गंभीर सवाल
कुछ समय पहले पुल का एक पाया क्षतिग्रस्त होने के बाद इसे दो महीने के लिए बंद कर दिया गया था। मरम्मत के बाद इसे दोबारा खोला गया, लेकिन कुछ ही महीनों में पुल में कंपन और नई दरारें फिर से सामने आने लगी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, जब भी कोई भारी वाहन जैसे ट्रक या ट्रेलर पुल से गुजरता है, तो पूरी संरचना अस्थिर होकर हिलने लगती है।
इस स्थिति ने मरम्मत कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि यह मरम्मत सिर्फ “कागजों की खानापूर्ति” थी और पुल की बुनियादी कमजोरी को दूर नहीं किया गया।
विधायक शरद कोल ने की नए पुल की मांग
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भाजपा विधायक शरद कोल ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सोन नदी पर एक नया पुल बनवाने की मांग की है। विधायक का कहना है कि यह पुल अपनी आयु सीमा पार कर चुका है और इसकी संरचना स्थायी रूप से कमजोर हो चुकी है। ऐसे में किसी बड़े हादसे से बचने का एकमात्र समाधान एक नई और आधुनिक तकनीक से निर्मित पुल का निर्माण है। विधायक ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी उठाया है, जिससे यह मामला अब व्यापक चर्चा का विषय बन गया है।
प्रशासन की जवाबदेही और आगे की राह
यह पुल केवल एक सड़क मार्ग नहीं, बल्कि हजारों गांवों और शहरों की अर्थव्यवस्था को जोड़ने वाली जीवनरेखा है। रोज़ाना इस पर कृषि उत्पाद, औद्योगिक सामान और यात्री बसें आवाजाही करती हैं। इस खतरे को देखते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) और राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे तुरंत कार्रवाई करें।
विशेषज्ञों और नागरिकों द्वारा कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगाना।
- पुल का तत्काल संरचनात्मक मूल्यांकन (Structural Audit) करवाना।
- शीघ्र ही नए पुल के निर्माण के लिए बजट और टेंडर की प्रक्रिया शुरू करना।
यदि समय रहते इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो एक बड़ा हादसा होने की आशंका बढ़ सकती है। प्रशासन पर अब इस गंभीर खतरे को दूर करने का दबाव है।