सेमरिया विधायक अभय मिश्रा FIR विवाद: विधानसभा में हंगामा, विपक्ष ने की निष्पक्ष जांच की मांग | Abhay Mishra FIR Row in MP Assembly

FIR दर्ज होने पर मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष का हंगामा, अभय मिश्रा बोले- मुझे फंसाने की साजिश | Opposition Demands Fair Probe in Assembly;

Update: 2025-07-30 05:40 GMT

भोपाल, मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में उस समय भारी हंगामा हो गया जब सिमरिया से विधायक अभय मिश्रा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का मामला सदन में उठाया गया। विपक्ष ने इस FIR को राजनीतिक दबाव का नतीजा बताया और इसकी निष्पक्ष जांच की जोरदार मांग की।

विपक्ष का आरोप: FIR राजनीतिक साजिश का हिस्सा

नेता प्रतिपक्ष और अन्य विपक्षी दलों ने सदन में कहा कि विधायक अभय मिश्रा को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चौराहाटा थाने में दर्ज FIR पूरी तरह पूर्वनियोजित साजिश है।

विपक्ष ने मांग की कि इस मामले की गहराई से जांच हो और अगर आरोप निर्मूल पाए जाते हैं, तो FIR को तत्काल रद्द किया जाए।

अभय मिश्रा का बयान: "मुझे बदनाम करने की कोशिश"

विधायक अभय मिश्रा ने सदन में खुलकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज FIR एक फर्जी केस है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला उन्हें बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है। मिश्रा ने दावा किया कि एक महिला सीएसपी पर हमला करने का जो मामला सामने लाया गया, उसमें असल में 150 लोग शामिल थे, जिनमें एक पूर्व विधायक और कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी थे।

सरकार का जवाब: मुख्यमंत्री से हो चुकी है बातचीत

विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में कहा कि इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री से सीधी बातचीत हो चुकी है और सरकार इस प्रकरण को गंभीरता से ले रही है।

हालांकि विपक्ष इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ। उन्होंने दोहराया कि जब तक विधानसभा स्तर पर निष्पक्ष जांच नहीं करवाई जाती, वे शांत नहीं बैठेंगे।

विपक्ष का अडिग रुख: "ये लोकतंत्र की पारदर्शिता का सवाल"

विपक्षी नेताओं ने कहा कि इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता ही लोकतंत्र की रीढ़ है। यदि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस तरह से टारगेट किया जाएगा, तो यह एक खतरनाक परंपरा बनेगी।

वीडियो क्लिप का ज़िक्र: मामला कहां पहुंचेगा?

इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है, जिसमें विधायक मिश्रा के बयान और विपक्ष के आरोपों को देखा जा सकता है।

अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार विपक्ष की जांच की मांग को मानती है या मामला राजनीतिक बहस तक ही सीमित रहेगा।

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