प्रयागराज में हनुमंत लाल के घर पहुंची मां गंगा, कराया स्नान, गिरी बोलें - दो वर्ष बाद यह सुखद अवसर, अब देश से दूर होगी विपदा

प्रयागराज के संगम स्थित बंधान में लेटे हुये हनुमान को स्नान कराने मां गंगा गुरूवार की दोपहर पहुची। इससे साधु-संतो सहित भक्तों में प्रसन्नता व्याप्त हो गई।

Update: 2021-08-06 15:09 GMT

प्रयागराज। उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज स्थित संगम तट के बंधान में लेटे हुये हनुमंत लाल को स्नान कराने के लिये गुरूवार की दोपहर दो बजे मां गंमा पहुची। गंगा का फैलता हुआ निर्मल जल जैसे हनुमान मंदिर पहुचा भक्तों मे प्रसन्नता व्याप्त हो गई।

मंदिर में मां गंगा के पहुचने पर घंटा-घड़ियाल और शंखनाद की ध्वनि के बीच जयकारे लगने लगे। हनुमान जी के पांव पखारने का दृश्य अपनी आंखों में कैद करने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम पहुंचे। पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।


लेटे हनुमान को स्नान कराने आती है गंगा

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बड़े हनुमान मंदिर के संरक्षक नरेंद्र गिरि का कहना है कि इस मंदिर में मां गंगा हनुमान जी को खुद स्नान कराने प्रति वर्ष आती हैं। दरअसल गंगा में बाढ़ आने पर बाढ़ का पानी लेटे हनुमान जी के मंदिर में पहुंचता है। इसे शुभ माना जाता है। मूर्ति में गंगा का पानी पहुचने के बाद बाढ़ का पानी अपने आप घटने लगता है। इस दौरान मंदिर में विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।

माता जानकी ने दिया था जीवन दान

मंदिर के संरक्षक नरेंद्र गिरि का कहना है कि पुराणों में इस मंदिर का उल्लेख है। जनश्रुतियों के अनुसार भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद संगम स्नान करने आए थे। उस समय उनके प्रिय भक्त हनुमान किसी शारीरिक पीड़ा से ग्रसित थे। वह वर्तमान में जहां मंदिर है, वहां गिर पड़े थे। तब माता जानकी ने अपने सिंदूर से उन्हें नया जीवनदान दिया था। हमेशा आरोग्य और चिरायु रहने का आशीर्वाद भी दिया था।

यही वजह है कि हनुमान जी की यह एकलौती लेटे हुए अवस्था में प्रतिमा हैं। हालांकि, इसका कहीं भी लिखित उल्लेख नहीं हैं। इतिहास में दर्ज उल्लेखो के तहत यह मंदिर सन 1787 में बनवाया गया था। मंदिर के अंदर तकरीबन 20 फुट लंबी हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति हैं। इस मूर्ति के पास ही श्री राम और लक्ष्मण जी की भी मूर्तियां हैं। संगम के किनारे बने इस मंदिर की भक्तों में अपार आस्था है।

कोरोना महामारी का होगा खात्‍मा

साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा की मां गंगा दो वर्षो से हनुमान जी को नहीं नहला रही थीं। इस बार यह शुभ अवसर आया है। उन्होंने इसे शुभकारी माना है।

उन्होंने कहा कि गंगा जी द्वारा हनुमान जी को स्नान कराना राष्ट्र के लिए शुभ संकेत है। अब जल्द ही कोरोना महामारी का खात्मा होगा। साथ ही देश उन्नति की राह पर आगे बढ़ेगा। ऐसी मान्यता है कि मां गंगा जिस वर्ष लेटे हनुमान जी को स्नान कराती हैं उस साल कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आती है। इसे मंगलकारी और शुभ माना जाता है।

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