देश भर में पांच साल के भीतर बने साढ़े 3 लाख फर्जी आधार कार्ड निरस्त, यूआईडीएआई ने किया खुलासा

पिछले पांच साल में बने 3 लाख से अधिक आधार कार्ड मल्टीपल एवं डुप्लीकेट पाए गए। जिन्हें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने निरस्त कर दिया है।

Update: 2022-12-16 09:10 GMT

वर्तमान समय पर आधार कार्ड का अहम रोल रहता है। बैंकिंग खातों, एलपीजी व नेशनल सोशल असिस्टेंट प्रोग्राम सहित कई कल्याणकारी योजनाओं में लोगों को इसकी जरूरत पड़ती है। पिछले पांच साल में बने 3 लाख से अधिक आधार कार्ड मल्टीपल एवं डुप्लीकेट पाए गए। जिन्हें भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने निरस्त कर दिया है।

आरटीआई एक्टिविस्ट ने मांगी थी जानकारी

देश में 2021 तक 128 करोड़ 99 लाख आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। जिनमें पिछले पांच साल के दौरान बनाए गए मध्यप्रदेश के लगभग 10 से 12 हजार आयुष्मान कार्ड मल्टीपल एवं डुप्लीकेट पाए जाने के कारण यूआईडीएआई ने निरस्त किया है। वहीं देश भर में यह संख्या 3 लाख 55 हजार 884 बताई गई है। यूआईडीएआई से मल्टीपल और डुप्लीकेट संबंधी जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ ने पूछी गई थी। जिसमें उनको यूआईडीएसआई द्वारा उक्त जानकारी दी गई। वहीं यूआईडीएआई भोपाल स्थित कार्यालय से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव के अनुसार यूआईडीएआई आधार का काम देखता है। राज्य सरकार का तो केवल इसमें टेक्निकल सपोर्ट रहता है।

इन वजहों से आधार कार्ड हुए निरस्त

विगत पांच सालों में बनाए गए देश के 3 लाख से अधिक आधार कार्ड निरस्त करने के पीछे यूआईडीएआई द्वारा जो वजहें बताई गई हैं। उसके अनुसार फेक आधार कार्ड में फर्जी आईडी प्रूफ पाया गया। इसमें जानकारियों में जैसे नाम, पता, जन्म दिनांक, वर्चुअली आईडी सही नहीं पाई गई। फेक आधार कार्ड का नंबर जब ऑनलाइन यूआईडीएआई के साइट से वेरिफाई किया गया तो डेटाबेस मैच नहीं हुआ। यूआईडी और यूआईडीएआई के डेटाबेस से मैच नहीं होने के कारण इन्हें निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान समय पर आधार अपना महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। एलपीजी, मनरेगा और नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम सहित कई योजनाओं का लाभ तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए पहुंचाने में आधार ब्रिज का रोल अहम होता है।

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