US में भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ा झटका: ट्रम्प ने अमेरिकी H-1B वीजा फीस बढ़ाया, $1 लाख सालाना देना होगा
अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस $1 लाख सालाना कर दी, भारतीय पेशेवरों पर बड़ा आर्थिक प्रभाव, ट्रम्प गोल्ड कार्ड और नए वीजा नियम लागू।;
US प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा की फीस में बढ़ोत्तरी की है.
H-1B वीजा क्या है?
H-1B वीजा अमेरिका का नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो विशेष कौशल वाले पेशेवरों के लिए जारी होता है। इसमें IT, इंजीनियरिंग, हेल्थ, आर्किटेक्चर और विज्ञान जैसे क्षेत्र शामिल हैं। यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को ऐसे पेशेवर प्रदान करता है, जिनकी अमेरिका में कमी है। पहले यह 3 साल के लिए वैध होता था और इसे 3 साल और बढ़ाया जा सकता था।
H-1B Visa Fee $100,000 per Year
H-1B वीजा फीस में भारी बढ़ोतरी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 21 सितंबर 2025 से H-1B वीजा की फीस $100,000 (लगभग 88 लाख रुपए) सालाना कर दी है। इससे पहले औसत फीस लगभग 5 लाख रुपए थी। नई फीस नए आवेदन और मौजूदा वीजा धारकों के नवीनीकरण दोनों पर लागू होगी। 6 साल के लिए कुल खर्च अब लगभग 5.28 करोड़ रुपए होगा।
इसका उद्देश्य केवल सबसे योग्य और उच्च कौशल वाले पेशेवरों को अमेरिका बुलाना है। कंपनियों को इस भुगतान का प्रमाण रखना अनिवार्य होगा। भुगतान न होने पर अमेरिकी राज्य विभाग या DHS याचिका रद्द कर सकता है।
भारतीय पेशेवरों पर असर
भारत से सबसे ज्यादा पेशेवर H-1B वीजा पर अमेरिका जाते हैं। साल 2023 में 1,91,000 भारतीय और 2024 में 2,07,000 भारतीय H-1B वीजा पर थे। नई फीस से भारतीय पेशेवरों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा, खासकर मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों पर।
आईटी कंपनियां जैसे इंफोसिस, TCS, विप्रो, HCL और कॉग्निजेंट अब खर्च को ध्यान में रखकर ही कर्मचारियों को अमेरिका भेजेंगी। इससे भारतीय पेशेवरों के अवसर सीमित हो सकते हैं और कंपनियां यूरोप, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख कर सकती हैं।
H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम
H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के तहत हर साल 85,000 वीजा जारी किए जाते हैं। इसमें 65,000 सामान्य श्रेणी और 20,000 उच्च शिक्षा वाले उम्मीदवारों के लिए होते हैं। बड़ी कंपनियों को हर साल हजारों वीजा मिलते हैं। नई फीस से केवल सबसे स्किल्ड पेशेवर ही वीजा प्राप्त करेंगे।
ट्रम्प के नए वीजा कार्ड
ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीजा के साथ ट्रम्प गोल्ड कार्ड, ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड और कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड लॉन्च किए हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड $1 मिलियन की फीस पर मिलेगा और इसके माध्यम से व्यक्ति अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी का अधिकार पाएगा। यह केवल सबसे योग्य पेशेवरों के लिए होगा।
गोल्ड कार्ड की नई सुविधा
गोल्ड कार्ड धारक अमेरिका में स्थायी निवास, नौकरी और अन्य सुविधाएं अमेरिकी नागरिकों जैसी प्राप्त करेंगे। यह EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा। शुरुआत में 80,000 गोल्ड कार्ड जारी होंगे। अमेरिकी सरकार अनुमानित 100 अरब डॉलर की कमाई करेगी।
कंपनियों और वैश्विक आईटी पर असर
नई H-1B फीस और गोल्ड कार्ड नियमों का असर अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा। माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और JP मॉर्गन को अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजने में अधिक खर्च झेलना होगा। भारतीय आईटी कंपनियां अब लागत और योग्यता को ध्यान में रखकर ही अमेरिका भेजेंगी। इससे वैश्विक आईटी उद्योग में भारतीय पेशेवरों के अवसर कम होंगे।
FAQ
Q1: H-1B वीजा किसके लिए है?
A1: यह वीजा उच्च कौशल वाले पेशेवरों जैसे IT, इंजीनियरिंग और हेल्थ सेक्टर के लिए है।
Q2: नई फीस कितनी है?
A2: अब H-1B वीजा के लिए $100,000 यानी लगभग 88 लाख रुपए सालाना फीस होगी।
Q3: भारत पर इसका क्या असर होगा?
A3: 2 लाख से ज्यादा भारतीय पेशेवरों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा।
Q4: गोल्ड कार्ड क्या है?
A4: यह नया वीजा विकल्प है, जो केवल उच्च योग्य कर्मचारियों को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी देगा।