Story Of Dhirendra Shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी

Story of Peethadhishwar Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी (Biography of Dhirendra Krishna Shastri) पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे

Update: 2023-01-20 13:00 GMT

Biography of Dhirendra Krishna Shastri: इस वक़्त देश के मिडिया चैनलों में सबसे ज़्यादा ट्रेंड हो रहे बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) को लेकर तरह-तरह के दावे हो रहे हैं. कोई कहता है कि वह जादू-टोना करते हैं तो कोई कहता है धीरेंद्र शास्त्री ने जिन्नो को वश में किया है. कोई कहता है बागेश्वर वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लोगों को मुर्ख बनाते हैं तो कोई कहता है उनके पास सचमुच दिव्य शक्तियां हैं. और खुद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि उनके ऊपर भगवान हनुमान जी की कृपा है 

बिना पूछे-बताए अपने पर्चे में भक्तों की पीड़ा लिख देने वाले बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हैं कौन? वह अचानक इतने फेमस कैसे हो गए, वह कथावाचक बने कैसे और उन्हें यह दिव्यशक्तयां कैसे मिली आइये जानते हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी 

 धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सन् 1996 में हुआ था. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर के गढ़ा गांव के रहने वाले हैं. जबतक वह पीठाधीश्वर नहीं बने थे तबतक लोग उन्हें धीरेंद्र गर्ग के नाम से जानते थे और उनका निक नेम धीरू है. 

बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री की कहानी 


Story of Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham: धीरू ने अपनी पढाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की. वह सिर्फ इंटरमीडिएट तक पड़े. इसके बाद वह अपने पिता की तरह पूजा-पाठ का काम करवाकर परिवार का पालन-पोषण करने लगे. धीरू के पिता पंडित थे तो घर की माली हालत अच्छी नहीं थी. जब परिवार का बंटवारा हुआ तो गरीबी ने जीना मुश्किल कर दिया। इस दौरान धीरू की माता अपनी भैंस का दूध घर-घर जाकर बेचने का काम करने लगी थीं 

धीरू से कैसे बने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

कहा जाता है कि धीरू ने धर्म का ज्ञान अपने पिता से लिया। वह कम उम्र में गांव-गांव जाकर कथा सुनना शुरू कर चुके थे.  कुछ समय बाद वह इस काम में निपुण हो गए. 2009 में उन्होंने पहली बार भागवत कथा अपने पास के गांव में सुनाई थी. धीरे-धीरे वह प्रख्यात होते गए. मगर हमारी-आपकी और मिडिया की नज़रों में तब आए जब उन्होंने बुलडोजर वाला विवादित बयान दिया था. 

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कैसे बने 


बात 2016 की है. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के गांव में स्थापित बागेश्वर मंदिर में विशाल यज्ञ का आयोजन हुआ था. मंदिर में भगवान बालाजी की एक प्रतिमा की स्थापना की गई थी. तभी से यह स्थान बागेश्वर धाम के नाम से मशहूर हो गया था. 

श्री बाला जी महाराज के मंदिर के पीछे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग संन्यासी बाबा की समाधि है. इसी स्थान पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कई बार भागवत कथा का आयोजन किया. आसपास के इलाकों के सभी धर्म प्रेमियों को बुलाना शुरू किया. अपने धार्मिक ज्ञान एवं शक्तियों और कथा की शैली से लोगों को जोड़ना शुरू किया तो इनके भक्त बढ़ने लगे. यहीं से शुरू हुआ धीरू के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहलाने का सफ़र. बागेश्वर धाम के महाराज ने अपनी ऐसी आभा दिखाई की लोग हजारों लाखों की संख्या में यहां दर्शन करने पहुंचने लगे. 


धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर्चे में सबकुछ कैसे लिख देते हैं 

पहले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिर्फ कथा वाचक थे. बाद में उन्होंने दरबार बुलाना शुरू किया, वह भूत-प्रेत भगाने के साथ लोगों के कष्टों को बिना सुने-बताए अपने पर्चे में लिखने लगे. यहां तक की शरीर की किस नस में दिक्क्त है बाबा ये भी बता देते हैं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि यह विद्या उन्हें अपने दादाजी दादा सेतुलाल गर्ग संन्यासी बाबा के आशीर्वाद से मिली है. वे कहते हैं कि हनुमान जी की  कृपा है 

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