झारखंड के पूर्व CM शिबू सोरेन का निधन, 81 की उम्र में 'दिशोम गुरु' ने ली अंतिम सांस

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से जाना जाता था. वे लंबे समय से बीमार थे और आज सुबह दिल्ली में उनका निधन हुआ.;

Update: 2025-08-04 05:40 GMT

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन: झारखंड की राजनीति से एक दुखद खबर सामने आई है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. उन्हें झारखंड में आदिवासी राजनीति के एक बड़े चेहरे और सम्मान से 'दिशोम गुरु' के नाम से जाना जाता था. न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) के अनुसार, उन्होंने आज सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली और उन्हें सुबह 8:56 बजे मृत घोषित किया गया. शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत माना जा रहा है. उनके निधन की खबर से राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है.

एक महीने से लाइफ सपोर्ट पर थे

शिबू सोरेन पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके कारण उनके शरीर के बाईं ओर पक्षाघात (पैरालिसिस) हो गया था. वे पिछले एक महीने से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे. न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनका इलाज कर रही थी. शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी की बीमारी से भी जूझ रहे थे और बीते एक साल से डायलिसिस पर थे. उन्हें मधुमेह (डायबिटीज) भी था और उनकी हार्ट की बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी. पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई थी.

शिबू सोरेन से 'दिशोम गुरु' बनने की कहानी

81 साल के 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के नेमरा गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई, लेकिन उनका जीवन संघर्षों भरा रहा. महज 13 साल की उम्र में उनके पिता की हत्या सूदखोर महाजनों ने कर दी थी. इस घटना के बाद शिबू सोरेन ने पढ़ाई छोड़ दी और महाजनों के खिलाफ संघर्ष करने का फैसला किया. उन्हें लगा कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी आदिवासी समाज को एकजुट करना है. 1970 में वे महाजनों के खिलाफ खुलकर सामने आए और 'धान कटनी आंदोलन' की शुरुआत की. सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाकर वे चर्चा में आए, लेकिन उन्होंने महाजनों को अपना दुश्मन बना लिया.

एक बार उन्हें महाजनों के गुंडों ने घेर लिया. उस समय बारिश का मौसम था और बराकर नदी उफान पर थी. अपनी जान बचाने के लिए उन्होंने आव देखा न ताव, बाइक समेत नदी में छलांग लगा दी. सभी को लगा कि उनका मरना तय है, लेकिन थोड़ी देर बाद शिबू तैरते हुए नदी के दूसरे छोर पर पहुंच गए. लोगों ने इसे एक दैवीय चमत्कार माना और आदिवासियों ने उन्हें 'दिशोम गुरु' (संथाली में जिसका अर्थ 'देश का गुरु') कहना शुरू कर दिया.

यूपीए कार्यकाल में कोयला मंत्री और मुख्यमंत्री का सफर

शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक थे. वे यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान कोयला मंत्री भी रह चुके थे. हालांकि, एक चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

  • पहला कार्यकाल: 2 मार्च 2005 को वे पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण 10 दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
  • दूसरा कार्यकाल: 27 अगस्त 2008 को वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे. इस कारण उन्हें छह महीने में चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना था. 2009 में तमाड़ विधानसभा में हुए उपचुनाव में वे झारखंड पार्टी के राजा पीटर से चुनाव हार गए, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
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