#PULWAMA_ATTACK : मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा छीनी

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Update: 2021-02-16 06:04 GMT

श्रीनगर। पुलवामा आतंकी हमले के बाद मांग उठी थी कि भारत में रहकर, भारत से ही सुरक्षा पाने और पाकिस्तान का समर्थन करने वाले जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा वापल ले ली जाना चाहिए। मोदी सरकार ने इस पर अमल शुरू कर दिया है। रविवार को स्थानीय प्रशासन ने मीरवाइज उमर फारुख समेत पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली।

उमर फारुख के अलावा अब्दुल ग़नी बट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, शब्बीर शाह की सुरक्षा वापस ले ली गई है। पुलवामा हमले के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस तरह का कदम उठाए जाने के संकेत दिए थे। मालूम हो, अलगाववादी नेता ही कश्मीरी युवाओं के दिमाग में अलगाववाद का जहर भरते हैं और उन्हें आतंकवादी बनने को प्रेरित करता है। अलगाववादी नेता ही पाकिस्तान से पैसे लेकर कश्मीरी युवाओं को देते हैं और इसी पैसे से आतंकवाद और पत्थरबाजी होती है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार हर साल 10 करोड़ रुपए खर्च करती है। मीरवाइज उमर फारुख की सुरक्षा सबसे मजबूत है। उसकी सुरक्षा में डीएसपी रैंक के अधिकारी हैं। उसके सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर पिछले एक दशक में 5 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं।

इसके अलावा यासीन मलीक, सज्जाद लोन, बिलाल लोन , उनकी बहन शबनम, आगा हसन, अब्दुल गनी बट्‌ट और मौलाना अब्बास अंसारी को भी भारी सुरक्षा दी गई है।

अब्दुल गनी बट्ट बोला - भारत-पाक के बीच युद्ध की आशंका सुरक्षा छीने जाने के बाद अलगाववादी नेता अब्दुल गनी बट्ट ने कहा, उन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षा दी थी, जिसकी उन्हें कोई जरूरत नहीं है। उनकी सुरक्षा तो जम्मू-कश्मीर के लोग करते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका है।

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