नेताजी की मजबूरी, टूटा अविवाहित रहने का संकल्प, बिना मुहूर्त के करनी पड़ी शादी...

बलिया। जवानी के दिनों में शादी के लिए रिस्ते तो बहुत आये। लेकिन नेता बनने का सपना और अविवाहित रहते हुए गांव देश की सेवा करने का संकल 45 वर्ष की उम्र में टूट गया। मजबूरन नेताजी को शादी करनी पड़ी वह भी बिना मुहूर्त के। नेताजी ने यह समझौता सिर्फ गांव की जनता की सेवा के लिए किया है। उनका कहना है कि अगर ग्रामपंचायत की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित न होती होती तो वह कभी भी शादी नहीं करते। 

Update: 2021-04-01 14:27 GMT

बलिया। जवानी के दिनों में शादी के लिए रिस्ते तो बहुत आये। लेकिन नेता बनने का सपना और अविवाहित रहते हुए गांव देश की सेवा करने का संकल 45 वर्ष की उम्र में टूट गया। मजबूरन नेताजी को शादी करनी पड़ी वह भी बिना मुहूर्त के। नेताजी ने यह समझौता सिर्फ गांव की जनता की सेवा के लिए किया है। उनका कहना है कि अगर ग्रामपंचायत की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित न होती होती तो वह कभी भी शादी नहीं करते। 

क्या है मामला 

मामला उत्तर प्रदेश बलिया जिले का है। मुरलीछपरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपर के रहने वाले जितेंद्र सिंह हाथी ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। वह राजनीति में सक्रिय है। कई सालों से ग्राम प्रधान पद की तैयारी में जुटे थे। वर्ष 2015 के चुनाव लडे लेकिन कुछ बोटों से उन्हे हार का सामना करना पड़। इस बार वह नेये सिरे से तैयारी मेे लगे थे। लेकिन पंचायत महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया। ऐसे में उन्हे शादी करनी पडी। 

पंचायत महिला सीट

जानकारी के अनुसार जितेंद्र सिंह की ग्राम पंचायत महिला के लिए आरक्षित कर दी गई। जितेंद्र सिंह अविवाहित थे उनकी माता जी काफी वृद्ध हो चुकी हैं। वह चुनाव नही लड सकती थी। ऐसे में उनके सहयोगियांे ने शदी करने की सलाह दी। जिसे जितेन्द्र सिंह ने स्वीकार कर लिया। 

छपरा में हुआ विवाह

बताया जाता है कि शादी की मंशा जाहिर करते ही जितेन्द्र सिंह के रिस्तेदार कई रिस्ते लेकर पहुंच गये। अंत में बिहार के छपरा जिले के नेवतरी गांव निवासी राजेंद्र सिंह की बेटी निधि सिंह का रिश्ता तय हो गया। दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद बीते 26 मार्च को कुछ रिश्तेदारों के बीच शादी रचा ली। अब 13 अप्रैल को नामांकन की आखिरी तारीख है। इससे पहले वह नामांकन भर कर चुनाव लड़ने वाले हैं।
 

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