केरल के पूर्व CM VS अच्युतानंदन का 101 साल की उम्र में निधन, थम गया एक युग
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट आंदोलन के दिग्गज नेता वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे;
वीएस अच्युतानंदन का जन्म 1923 में केरल के अलाप्पुझा जिले के पुन्नपरा गाँव में हुआ था.
तिरुवनंतपुरम: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कम्युनिस्ट आंदोलन के एक बड़े नेता वीएस अच्युतानंदन का सोमवार को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे. अच्युतानंदन भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम थे, जिन्होंने दशकों तक केरल के जनजीवन को प्रभावित किया. उन्हें श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले और भूमि सुधारों व सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक के तौर पर जाना जाता था. उनका निधन केरल के साथ-साथ पूरे देश के कम्युनिस्ट आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है. उनके निधन की खबर से राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है.
कार्डियक अरेस्ट के बाद वेंटिलेटर पर थे
101 वर्षीय वीएस अच्युतानंदन को 23 जून को दिल का दौरा पड़ने के बाद तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब से वे गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. पिछले लगभग एक महीने से वे अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे, और सोमवार को आखिरकार उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके स्वास्थ्य ने 2019 में ही बिगड़ना शुरू कर दिया था, जब उन्हें एक छोटा सा स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली थी. जनवरी 2021 में, उन्होंने प्रशासनिक सुधार समिति के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया था और तब से वे तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे या बेटी के साथ बारी-बारी से रह रहे थे.
राज्य में शोक की लहर
अच्युतानंदन के निधन की खबर मिलते ही केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और सीपीआईएम (CPM) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन सहित कई शीर्ष नेता तुरंत अस्पताल पहुंचे और परिवार से मुलाकात की. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता भी लगातार अस्पताल पहुंच रहे हैं ताकि अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दे सकें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केरल के राज्यपाल, और देश के विभिन्न हिस्सों के नेताओं ने अच्युतानंदन के निधन पर शोक व्यक्त किया है. केरल सरकार ने उनके सम्मान में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है, और 23 जुलाई को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
कम्युनिस्ट आंदोलन के आइकन
वीएस अच्युतानंदन कौन थे? वीएस अच्युतानंदन का जीवन संघर्ष और समर्पण का प्रतीक रहा है. उनका जन्म 1923 में केरल के अलाप्पुझा जिले के पुन्नपरा गाँव में हुआ था और उन्होंने बचपन में ही गरीबी और माता-पिता को खोने का दुख झेला था, जिसके कारण उन्हें 11 साल की उम्र में ही काम शुरू करना पड़ा था. इसी कठिनाई ने उनके संकल्प को और मजबूत किया. उन्होंने 15 साल की उम्र में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और बाद में 1940 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) में शामिल हो गए. वे 1964 में अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद सीपीआईएम (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के संस्थापक नेताओं में से एक थे. उन्होंने 1980 से 1992 तक सीपीआईएम केरल राज्य समिति के सचिव के रूप में कार्य किया.
वह एक जुझारू नेता थे, जिन्होंने मजदूरों के अधिकारों, भूमि सुधारों और गरीबों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. अपने जीवनकाल में उन्हें पांच साल छह महीने जेल में बिताने पड़े और साढ़े चार साल तक भूमिगत रहना पड़ा. उन्होंने अपनी लोकलुभावन छवि और सिद्धांतों से कभी समझौता न करने वाले स्वभाव के कारण दलगत राजनीति से परे भी प्रशंसा हासिल की. उन्हें केरल में भूमि संघर्ष के चेहरे के रूप में भी जाना जाता है.
मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के रूप में कार्यकाल
- वीएस अच्युतानंदन 2001 से 2006 तक विपक्ष के नेता रहे, जिस दौरान उन्होंने एके एंटनी के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार पर कड़ा प्रहार किया था.
- 2006 में, उन्होंने सीपीआईएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) को ऐतिहासिक जीत दिलाई और 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. 82 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर, वे देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बनने वाले व्यक्तियों में से एक थे. उनके कार्यकाल को भूमि अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई, सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और पर्यावरण संरक्षण के लिए याद किया जाता है.
- 2011 में, उन्होंने फिर से एलडीएफ अभियान का नेतृत्व किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के करीब पहुंच गए थे, लेकिन ओमन चांडी के नेतृत्व वाली यूडीएफ ने 140 सीटों वाली राज्य विधानसभा में 72 सीटें जीतकर मुश्किल से जीत हासिल की थी.
- वे 1991-1996, 2001-2006 और 2011-2016 तक भी विपक्ष के नेता रहे. उन्होंने कई बार केरल विधानसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया.
विवादों से भरा रहा सफर
वीएस अच्युतानंदन का राजनीतिक जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा. खासकर उनके प्रतिद्वंद्वी पिनराई विजयन के साथ उनके अक्सर मतभेद सुर्खियों में रहते थे. 2009 में, उन्हें पार्टी पोलित ब्यूरो से हटा दिया गया था. उन्होंने खुद इस बारे में खुलकर टिप्पणी की थी कि उन्हें विजयन के खिलाफ खुले तौर पर बोलने के कारण हटाया गया था.
2013 में, अपने 90वें जन्मदिन पर उन्होंने और भी कड़े बयान दिए. उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि उन्हें पोलित ब्यूरो से इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने एक भ्रष्टाचार मामले के बारे में सच्चाई बताई थी, जिसमें पिनराई विजयन जांच का सामना कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी से कहा था कि वह इस मामले में केवल सच्चाई के साथ खड़े रह सकते हैं, न कि पार्टी की आधिकारिक लाइन के साथ, जो इसे एक मनगढ़ंत मामला बता रही थी. इन मतभेदों के बावजूद, वीएस कम्युनिस्ट आंदोलन के एक मजबूत स्तंभ बने रहे और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बनी रही.
वीएस अच्युतानंदन के बारे में
पूरा नाम: वेलिक्काकाथु संकरन अच्युतानंदन
जन्म: 20 अक्टूबर 1923
निधन: 21 जुलाई 2025 (उम्र: 101 वर्ष)
जन्म स्थान: पुन्नपरा, अलाप्पुझा, केरल
राजनीतिक दल: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)]
शिक्षा: 7वीं कक्षा तक
पेशा (राजनीति से पहले): दर्जी की दुकान और कॉयर फैक्ट्री में मजदूर
पत्नी: के वसुमती
बच्चे: बेटी वीवी आशा और बेटा वीए अरुण कुमार
प्रमुख पद
- केरल के 11वें मुख्यमंत्री (2006-2011)
- केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता (कई बार)
- सीपीआईएम केरल राज्य समिति के सचिव (1980-1992)
- प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष (2016-2021)
खास पहचान: गरीबों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष, भूमि सुधार, भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों के लिए जाने जाते थे.