रिटेल महंगाई 8 साल के निचले स्तर पर: खाने-पीने के सामान सस्ते हुए, आम आदमी को बड़ी राहत
जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 1.55% पर आ गई है, जो बीते 8 साल 1 महीने का सबसे निचला स्तर है। खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी से लोगों को राहत मिली है।;
जुलाई में खुदरा महंगाई 1.55% तक गिरी, 8 साल का रिकॉर्ड टूटा: आम जनता के लिए अच्छी खबर है! जुलाई में खुदरा महंगाई (रिटेल इन्फ्लेशन) दर घटकर 1.55% पर आ गई है, जो पिछले 8 साल 1 महीने का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले जून 2017 में महंगाई दर 1.54% थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने के सामान की कीमतों में आई कमी के कारण हुई है। आज 12 अगस्त को जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा तय किए गए 4% ±2% के लक्ष्य से यह दर काफी नीचे है।
खाने-पीने के सामान सस्ते हुए
महंगाई की गणना में खाने-पीने की चीजों का योगदान लगभग 50% होता है। जुलाई में इनकी महंगाई दर महीने-दर-महीने माइनस 1.06% से घटकर माइनस 1.76% हो गई है। यह दर्शाता है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में बड़ी कमी आई है। ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 1.72% से घटकर 1.18% पर आ गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 2.56% से घटकर 2.05% हो गई है।
| सामान | जून | जुलाई |
|---|---|---|
| अनाज अनाज | 3.73% | 3.03% |
| मीट और मछली | -1.62% | -0.61% |
| दूध | 2.80% | 2.74% |
| खाने का तेल | 17.75% | 19.24% |
| फल | 12.59% | 14.42% |
| सब्जी | -19.00% | -20.69% |
| दालें | -11.76% | -13.76% |
| मसाले | -3.03% | -3.07% |
| सॉफ्ट ड्रिंक्स | 4.32% | 4.60% |
| पान, तंबाकू | 2.41% | 2.45% |
| कपड़े, फुटवियर | 2.55% | 2.50% |
| महीना | महंगाई दर |
|---|---|
| अप्रैल | 4.83% |
| मई | 4.75% |
| जून | 5.08% |
| जुलाई | 3.54% |
| अगस्त | 3.65% |
| सितंबर | 5.49% |
| अक्टूबर | 6.21% |
| नवंबर | 5.48% |
| दिसंबर | 5.22% |
| जनवरी | 4.31% |
| फरवरी | 3.61% |
| मार्च | 3.34% |
| तिमाही | पहले | अब |
|---|---|---|
| Q2FY26 | 3.4% | 2.1% |
| Q3FY26 | 3.9% | 3.1% |
| Q4FY26 | 4.4% | 4.4% |
RBI ने भी घटाया महंगाई का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 4 से 6 अगस्त को हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान भी घटा दिया है। पहले यह अनुमान 3.7% था, जिसे अब घटाकर 3.1% कर दिया गया है। इसी तरह, अप्रैल-जून तिमाही के लिए महंगाई का अनुमान 3.4% से घटाकर 2.1% किया गया है।
महंगाई कैसे काम करती है?
महंगाई का बढ़ना या घटना सीधे तौर पर किसी भी प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। जब लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है तो वे ज्यादा खरीदारी करते हैं। इससे मार्केट में चीजों की डिमांड बढ़ती है। अगर डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाती तो चीजों की कीमतें बढ़ जाती हैं, और महंगाई फैल जाती है। इसका उल्टा होने पर, यानी डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होने पर, महंगाई कम होती है।
CPI से होती है महंगाई की गणना
हम और आप एक ग्राहक के तौर पर जो सामान और सर्विस खरीदते हैं, उनकी कीमतों में हुए बदलाव को कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से मापा जाता है। सीपीआई, ग्राहक द्वारा चुकाए जाने वाले औसत मूल्य को दर्शाता है, जिससे महंगाई दर तय होती है।