जगदीप धनखड़ को सरकारी आवास खाली करने का फरमान, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के दो दिन बाद ऑफिस सील

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया. पद से हटते ही उन्हें सरकारी आवास खाली करने को कहा गया है, और उनके कार्यालय को सील कर दिया गया है.;

Update: 2025-07-23 15:07 GMT

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह "स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं" और "चिकित्सा सलाह का पालन" बताया है. 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभाला था और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, यानी उन्होंने अपने तय कार्यकाल से लगभग दो साल पहले ही पद छोड़ दिया है. उनके इस अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है. इस्तीफा देने के दो दिन बाद, बुधवार को जगदीप धनखड़ को अपना आधिकारिक निवास खाली करने के लिए कहा गया है. साथ ही उनका कार्यालय सील कर दिया गया है.

धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जिसमें उन्होंने लिखा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से, संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार इस्तीफा देता हूं." 

इस्तीफे के बाद तुरंत मिला आवास खाली करने का निर्देश

उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के दो दिन बाद, बुधवार को जगदीप धनखड़ को अपना आधिकारिक निवास खाली करने के लिए कहा गया है. सूत्रों ने बताया है कि उनके कार्यालय को भी सील कर दिया गया है और उनकी सोशल मीडिया टीम को भी भंग कर दिया गया है. यह प्रक्रिया प्रोटोकॉल के तहत होती है, जिसमें पद छोड़ने वाले संवैधानिक पदाधिकारी को सरकारी आवास और उससे जुड़ी सुविधाएं तुरंत खाली करनी होती हैं. यह घटनाक्रम दिखाता है कि उनका इस्तीफा कितनी तेजी से स्वीकार किया गया और पदभार से मुक्ति की प्रक्रिया कितनी त्वरित रही है. धनखड़ ने इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही कथित तौर पर अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया था, जिससे अटकलें और तेज हो गईं थीं.

संविधान का अनुच्छेद 67(ए) और उपराष्ट्रपति का पद

भारत के संविधान का अनुच्छेद 67(ए) उपराष्ट्रपति के पदत्याग (इस्तीफे) से संबंधित प्रावधान करता है. इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा. यह त्यागपत्र उस तारीख से प्रभावी होता है, जिससे उसे स्वीकार किया जाता है. उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है, और वे राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं. इस पद का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि का होता है. जगदीप धनखड़, देश के ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया है. इससे पहले वीवी गिरी (1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए) और रामास्वामी वेंकटरमन (1987 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के लिए) भी अपने कार्यकाल से पहले इस्तीफा दे चुके हैं.

धनखड़ का कार्यकाल: अगस्त 2022 से जुलाई 2025 तक का सफर

जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. अपने कार्यकाल के दौरान, वे राज्यसभा के सभापति के रूप में कई बार चर्चा में रहे. उन्होंने संसद के भीतर विपक्ष के साथ तीखी बहस भी की. न्यायपालिका के कुछ फैसलों पर उनकी टिप्पणियां भी सुर्खियों में रहीं, खासकर जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने की आलोचना की थी. उनका कार्यकाल लगभग ढाई साल का रहा, जबकि उनका पूरा कार्यकाल 2027 में समाप्त होना था. मार्च 2025 में उन्हें हृदय संबंधी समस्या के कारण एम्स (AIIMS) में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) में रखा गया था, जिसकी निगरानी एम्स के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट कर रहे थे.

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की अटकलें

जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन कई विपक्षी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि इसके पीछे कोई और वजह है.

सियासी मतभेद: कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, मॉनसून सत्र के पहले दिन जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए लाए गए एक प्रस्ताव को लेकर सरकार और धनखड़ के बीच कथित तौर पर मतभेद हुए थे. बताया गया कि धनखड़ ने इस प्रस्ताव की घोषणा सरकार को बिना बताए की थी, जिससे सत्ता पक्ष हैरान रह गया था.

न्यायपालिका पर टिप्पणी: धनखड़ ने कई मौकों पर न्यायपालिका पर तीखी टिप्पणियां की थीं, जिसे कुछ लोग सरकार का रुख मान रहे थे, जिससे सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा.

अविश्वास: खबरें यह भी थीं कि पिछले कुछ महीनों में सरकार और धनखड़ के बीच अविश्वास बढ़ा था.

हालांकि, धनखड़ के करीबी सूत्रों ने साफ किया है कि उन्होंने अपनी सेहत के मद्देनजर ही पद छोड़ा है और अपने पद छोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं कर रहे हैं.

अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया कब शुरू होगी?

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उपराष्ट्रपति का पद खाली हो गया है. अब निर्वाचन आयोग अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगा. संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के बाद जितनी जल्दी हो सके, चुनाव कराना होता है. आमतौर पर ऐसी प्रक्रिया 45 से 50 दिनों में पूरी हो जाती है.

चुनाव आयोग ने इस संबंध में एक विज्ञप्ति जारी कर दी है और चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इन तैयारियों में इलेक्टोरल कॉलेज की पूरी सूची बनाना शामिल है, जिसमें चुने हुए और नॉमिनेटेड सांसद शामिल होंगे. उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) द्वारा किया जाता है. मतदान गुप्त और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है. निर्वाचन आयोग जल्द ही उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा. जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, राज्यसभा का संचालन उपसभापति द्वारा किया जाएगा.

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