624 ईस्वी में पहली बार मनाई गई थी ईद, जानिए क्यों खाते है खीर...

624 ईस्वी में पहली बार मनाई गई थी ईद, जानिए क्यों खाते है खीर...ईद का त्योहार हम सब को पसंद है इस दिन सभी एक दूसरे से गले मिल कर भाईचारे

Update: 2021-02-16 06:22 GMT

624 ईस्वी में पहली बार मनाई गई थी ईद, जानिए क्यों खाते है खीर...

ईद का त्योहार हम सब को पसंद है इस दिन सभी एक दूसरे से गले मिल कर भाईचारे को बढ़ावा देतें है और मीठी खीर परोस कर आपसी ताल्लुक़ात में मिठास भर देते है, आज पाक त्योहार ईद उल फितर है, इस खास दिन आइये जानते है क्यों मनाई जाती है ईद और मुस्लिम समाज में क्या है इसका महत्व।

भारत ने कोरोना वैक्सीन बनाने में लगाया जोर, नंबर 1 बनने की कर रहा तैयारी, पढ़िए

इस्लामी केलेंडर में रमजान का महीना चांद का दीदार करने के बाद शुरू होता है और बिना चांद देखे रमजान पूरा नहीं माना जाता। रमजान के आखरी दिन चांद दिखने के अगले दिन ईद मनाई जाती है।ऐसा माना जाता है कि इसी दिन हज़रत मुहम्मद मक्का शहर से मदीने के लिए रवाना हुए थे।

क्यों मनाई जाती है ईद

मक्का से मुहम्मद पैगम्बर के प्रवास के बाद मदीना में ईद उल फितर का उत्सव शुरू हुआ, पैगम्बर ने बद्र की लड़ाई में जीत फतेह की ,जिसके बाद सभी का मुँह मीठा करवाया गया। इसी दिन को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक केलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी के 624 ईसवी में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया वर्तमान के हिसाब से बात करे तो आज से 1400 साल पहले।

केजरीवाल के विधायक ने पानी टैंकर मालिकों से एक माह में ले ली 60 लाख की रिश्वत, पीड़ितों का मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज

सबको साथ ले कर चलने का त्योहार है

ईद का त्योहार सबको साथ ले कर चलने का संदेश देता है। ईद के दिन हर मुसलमान एक साथ नमाज़ पढ़ते है और एक दूसरे को गले लगते हैं। हालांकि इस साल ईद में यह रस्म पूरी नहीं हो सकी क्यूंकि कोरोना के संकट में सरकार ने कुछ पाबंदिया लागू की हैं।कुरान में ज़कात अल-फ़ित्र को अनिवार्य बताया गया है। जकात यानी दान को हर मुसलमान का फर्ज कहा गया है। ये गरीबों को दिए जाने वाला दान है। परंपरागत रूप से इसे रमजान के अंत में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले दिया जाता है। मुस्लिम अपनी संपत्ति को पवित्र करने के रूप में अपनी सालाना बचत का एक हिस्सा गरीब या जरूरतमंदों को कर के रूप में देते हैं। विश्व के कुछ मुस्लिम देशों में ज़कात स्वैच्छिक है, वहीं अन्य देशों में यह अनिवार्य है।

[signoff]

 

Similar News