56 दिन, 736 स्थानांतरण, कोई भी जनहितैषी कार्य नहीं, वित्तीय व्यवस्थाएं ठप्प, भगवान भरोसे 'कमलनाथ सरकार'

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Update: 2021-02-16 06:04 GMT

भोपाल। प्रदेश में 18 दिसंबर को सहयोगी दलों के साथ शपथ लेकर सत्तासीन हुई कांग्रेस सरकार अब भगवान भरोसे चल रही है। हालात ऐसे हैं कि 56 दिनों बाद भी कमलनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार ने 736 अधिकारियों के तबादले ही किए हैं। इसके अलावा कोई जनहितैषी कार्य अब तक नहीं किया है।

आजादी के बाद से सर्वाधित समय देश व प्रदेश की सत्ता पर विद्यमान रही अनुभवी कांग्रेस पार्टी की वर्तमान कार्यप्रणाली से ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे किसी नए दल की सरकार ने पहली बार सत्ता सम्हाली हो। 18 दिसंबर से लगातार विवादों एवं आपसी मनमुटाव में चल रही कमलनाथ सरकार ने महज औपचारिक घोषणाएं ही की है। प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था ठप्प है। वहीं भाजपा के नेताओं का मानना है प्रदेश सरकार जनहितैषी कार्यों को छोड़कर बदले की भावना वाले कार्य कर रही है। तभी 55 दिनों में सरकार ने 736 अधिकारियों को तितर बितर कर डाले। दिनों के हिसाब से देखें तो कांग्रेस सरकार में हर दिन 13 अफसर बदले गए। भाजपा ने सरकार पर आनन-फानन में अफसरों के तबादले करने पर सवाल उठाए हैं। जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि भाजपा सरकार के समय से प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था ठप हो गई थी, तो उसे सुधार रहा हूं। इस प्रक्रिया में फेरबदल तो होता ही है। इसमें भाजपा के पेट में न जाने क्यों दर्द हो रहा है।

वहीं भाजपा का आरोप है की कृषि ऋण माफी की आड़ में सरकार ने सभी वित्तीय व्यवस्थाएं ठप्प कर रखी है। जिसकी वजह से प्रदेश का विकास ठप्प पड़ गया है। ऐसे हालात में प्रदेश ने जिस रफ्तार से पूर्ववर्ती सरकार के समय गति पकड़ी थी, वह पीछे धरी रह जाएगी।

कमलनाथ स्वयं यूपीए सरकार के केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। काफी अनुभवी एवं राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं। परंतु कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार किसी भी तरह के निर्णय लेने से बचती नजर आ रही है। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो सरकार के लिए आने वाला समय काफी मुश्किल साबित होने वाला है।

प्रदेश में कोयला की कमी की वजह से बिजली संकट सामने आ रहा है। प्रदेश भर में अघोषित कटौतियां की जा रही हैं। बावजूद सरकार के सामने इस संकट से निवारण का कोई विकल्प मौजूद नहीं है।

कर्जमाफी के चलते नहीं मिल पा रहा लोन सरकार के कर्जमाफी के फैंसले के बाद से बैंक भी किसी भी तरह का लोन हितग्राहियों को देने से बचने लगे हैं। हालात ऐसे हैं कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से लेकर प्रधानमंत्री सृजन विकास योजना, कृषकों को बोवनी के लिए क्रेडिट कार्ड से मिलने वाले ऋण तक बैंक देने से मना कर रहें हैं।

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