नूपुर शर्मा पर SC की टिप्पणी के खिलाफ 117 पूर्व जजों और ब्यूरोक्रेट्स ने लिखा पत्र, कहा- अदालत का सम्मान प्रभावित कर दिया

नूपुर शर्मा के सपोर्ट में 117 पूर्व जज और सैन्याधिकारी: सुप्रीम कोर्ट ने जिन दो जस्टिस ने बिना सुनवाई के नूपुर शर्मा को देश में हो रही मजहबी हिंसा का जिम्मेदार ठहरा दिया था अब उन दोनों जजों के खिलाफ 117 पूर्व जज और नौकरशाह खड़े हो गए हैं

Update: 2022-07-05 09:14 GMT

117 Former Judges And Bureaucrats Wrote A Letter Against SC: सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने देश में हो रही मजहबी हिंसा और पैगम्बर मुहम्मद के नामपर हो रहीं गला काटने की वारदातों पर नूपुर शर्मा को आरोपी ठहरा दिया था. बिना जांच और सुनवाई के SC के द्वारा लिए गए इस फैसले का पूरे देश में विरोध हो रहा है. इस बीच नूपुर शर्मा पर तल्ख़ टिप्पणी करने वाले दोनों जजों के खिलाफ 117 पूर्व जज और नौकरशाह खड़े हो गए हैं. उन्होने खुला पत्र लिखते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की इस तल्ख़ टिप्पणी से देश की न्याय व्यवस्था और और सर्वोच्च अदालत की पवित्रता प्रभावित हुई है. 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नूपुर शर्मा पर हुई तल्ख़ टिप्पणी के बाद 117 पूर्व जजों और पूर्व नौकरशाहों ने ओपन लेटर  लिखते हुए कहा- 'हम इस देश के नागरिक के तौर पर यह मानते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक बरकरार रहेगा, जब तक उसकी सभी संस्थाएं संविधान के हिसाब से अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा को पार कर दिया है, जिस वजह से हम यह खुला खत लिखने को मजबूर हुए हैं. 

देश के पूर्व जज और बड़े पूर्व अधिकारीयों ने नूपुर शर्मा पर स्टैंड लिया है और सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों के खिलाफ पत्र लिखा है. इन पूर्व अधिकारीयों ने SC की नूपुर शर्मा पर हुई तल्ख़ टप्पणी का विरोध किया है. जिन पूर्व अधिकारीयों ने पत्र लिखा है उसमे 15 पूर्व जज, 77 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और 25 रिटायर्ड आर्मी ओफिसर हैं. 

न्याय के सिद्धातों का उल्लंघ किया 

इन सभी सेवानिवृत अधिकारीयों ने SC के नूपुर शर्मा पर टीप पर आपत्ति जताते हुए लिखा है कि- 

"सुप्रीम कोर्ट के दो जजों - जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की बेंच ने नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) द्वारा दायर एक याचिका को ख़ारिज किए जाने के दौरान की गई दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों से देश के अंदर और बाहर के लोगों को तगड़ा झटका लगा है. सभी समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित की गई ये टिप्पणियां न्यायिक लोकाचार के बिलकुल भी अनुरूप नहीं हैं. इन तल्ख़ टिप्पणियों का याचिका में उठाए गए मुद्दे से कोई संबंध नहीं है, इसलिए ऐसा करके न्याय करने के सभी सिद्धांतों का अभूतपूर्व तरीके से उल्लंघन किया गया है"

अदालत की पवित्रता प्रभावित कर दी 

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ ओपन लेटर लिखने वाले पूर्व अधिकारीयों ने कहा कि- 

"सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता (Nupur Sharma)के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के बजाय याचिका का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और उचित फोरम (High Court ) से संपर्क करने के लिए मजबूर किया. जबकि यह बात अच्छी तरह से पता है कि अन्य राज्यों के मुकदमों को स्थानांतरित करना हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. कोई भी यह समझ नहीं पा रहा है कि नूपुर शर्मा के मामले को अलग आधार पर क्यों देखा गया. सुप्रीम कोर्ट के इस तरह के दृष्टिकोण तारीफ नहीं की जा सकती बल्कि ऐसी गैर-जरूरी टिप्पणियों सर्वोच्च अदालत की पवित्रता और उसका सम्मान प्रभावित हुआ है."

सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को क्या कहा था 

बता दें कि नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी के उनकी जान को खतरा है और देश में जहां कहीं भी उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं उन सभी मामलों को दिल्ली शिफ्ट कर दिया जाए, लेकिन जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) ने याचिका को ख़ारिज कर दिया। और इस याचिका से उलट नूपुर शर्मा को देश में हो रहीं मजहबी घटनाओं का जिम्मेदार बताते हुए लाइव चैनल में आकर देशवासियों से माफ़ी मांगने का फरमान सुना दिया। 

(Justice Suryakant) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) ने कहा कि देश में जितनी भी हिंसा हो रही है उसकी जिम्मेदार नूपुर शर्मा है, जो एक घमंडी नेता है, घमंड और विवादित बयान से देश शर्मशार हुआ है। नूपुर शर्मा ने जो माफ़ी मांगी वो भी घमंड में मांगी थी. कन्हैयालाल की हत्या नूपुर शर्मा के कारण हुई. देश में जो कुछ भी हो रहा है, भारत का जितना भी विरोध हुआ है उन सब की जिम्मेदार नूपुर शर्मा हैं. दोनों जजों ने ये ऐसी तल्ख़ टिप्पणी बिना किसी जाँच, बिना किसी सुनवाई सुनवाई, और बिना किसी याचिका, के दे डला था. 

जब देश में इन दोनों जजों के खिलाफ बातें शुरू हो गईं तो जस्टिस परिदवाला ने वीडियो शेयर करते हुए कहा था कि सरकार को सोशल मिडिया को कंट्रोल करना चाहिए कि वो सीधा जजों के खिलाफ कुछ ना कहें। लेकिन अब ऐसा करने वाले जजों के खिलाफ ही देश के बड़े नामी पूर्व जजों और सैन्य अधिकारीयों समेत ब्यूरोक्रेट्स ने ओपन लेटर लिखा है. 


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