विंध्य की राजनैतिक उपेक्षा के लिए कौन जिम्मेदार ? पढ़िए पूरी खबर

विंध्य की राजनैतिक उपेक्षा के लिए कौन जिम्मेदार ? पढ़िए पूरी खबर रीवा। ऐसा सिर्फ हम महसूस कर रहे हैं या सचमुच में विंध्य की राजनैतिक उपेक्षा

Update: 2021-02-16 06:36 GMT

विंध्य की राजनैतिक उपेक्षा के लिए कौन जिम्मेदार ? पढ़िए पूरी खबर

रीवा। ऐसा सिर्फ हम महसूस कर रहे हैं या सचमुच में विंध्य की राजनैतिक उपेक्षा की जा रही है। और यदि यह सच है तो क्या कारण है, यह जानना विंध्य की जनता को जरूरी है।

विंध्य प्रदेश की राजधानी रीवा जिले को काफी निराश किया गया है। रीवा जिले की आठ विधानसभा सीटों में भाजपा प्रत्याशियों को विजयश्री दिलाने वाली जनता ठगी सी महसूस कर रही है। वह सोच रही है कि आखिर उसका क्या दोष है।

जब कांग्रेस सरकार बनी तब लोगों ने यह संतोष किया कि विंध्य से कांग्रेस के ज्यादा प्रत्याशी नहीं जीत पाये हैं इसलिए प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। लेकिन भाजपा ने रीवा जिले की आठों विधानसभा सीट पर परचम लहराया है फिर भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला। आखिर क्या कारण है। जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं में कमी है, उनमें राजनैतिक कौशल नही है या वरिष्ठ नेताओं द्वारा विंध्य की उपेक्षा की जा रही है।

मुँह में फेबीकोल लगाकर बैठे नेता

फिजूल की बातों पर धरना प्रदर्शन करने वाले नेता विंध्य की उपेक्षा पर चुप हैं। वह जैसे मुंह में फेबीकोल लगाकर बैठ गये हों। उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रही है। जनता को भ्रमित कर वोट मांगने में सभी माहिर हैं लेकिन विंध्य प्रदेश की उपेक्षा, रीवा संभाग की उपेक्षा, जिले की उपेक्षा पर आवाज नहीं निकल पा रही है। जबकि जनता को घुटन हो रही है। जो जिला एक प्रदेश की राजधानी था, वहां का प्रतिनिधित्व ही शून्य हो जाना बड़े शर्म की बात है। वैसे चाहे यहां के नेता अपने आपको बड़ा ही राजनीतिज्ञ मानकर बैठे हों लेकिन सच तो यह है कि वह भीगी बिल्ली से ज्यादा कुछ नही हैं।

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डरपोक नेताओं के कारण घटा विंध्य सम्मान

यदि हम बोलने से डरते हैं, हमें पार्टी के बड़े नेताओं का डर है। पार्टी से निकालने का डर है अथवा अन्य कोई डर हमारे मन समाया है तो इस स्थिति में विंध्य का, जिले व क्षेत्र सम्मान गिराएंगे। जिले के नेताओं में यही डर समाया है कि यदि बोलेंगे तो पार्टी से निकाल दिया जायेगा, फिर हम किसी काम नहीं रहेंगे। अरे! नेता पार्टी नहीं जनता बनाती है।

जब आप क्षेत्र और जनता सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे तो जनता आपके साथ कंधा से कंधा मिलाएगी। लेकिन चापलूसी की राजनीति करने वालों में वह जज्वा कहां जो ऐसा करने का साहस जुटा सकें। उन्हें तो बस मौके का इंतजार रहता है कि हमारे आगे वाले का समय खराब आये और हम उसे खांई में धकेलकर आगे निकल जायें। ऐसे प्रतिनिधित्व करने वालों के कारण आज विंध्य का मप्र विधानसभा में प्रतिनिधित्व शून्य है जो विंध्य के लिए अच्छा नहीं है।

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