स्कूल के बाद बच्चों से पूछें ये 5 सवाल, एक्सपर्ट्स ने बताए फायदे | Parenting Tips
Parenting Tips: एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चों से स्कूल के बाद सही सवाल पूछने से उनकी सोच, आत्मविश्वास और सोशल स्किल्स मजबूत होती हैं।;
स्कूल से आने के बाद बच्चों से पूछें ये 5 सवाल, एक्सपर्ट्स ने बताए फायदे |
परिचय: बच्चों से स्कूल के बाद सही सवाल पूछने की ज़रूरत
हर माता-पिता अपने बच्चे की पढ़ाई और भविष्य को लेकर गंभीर रहते हैं। अक्सर जब बच्चा स्कूल से घर लौटता है, तो मां-बाप सबसे पहले उससे पूछते हैं – आज होमवर्क मिला या नहीं? टेस्ट में कितने नंबर आए? टिफिन खाया या नहीं?
ये सवाल ज़रूरी तो हैं, लेकिन child psychology experts का कहना है कि यह बच्चे की इमोशनल और सोशल स्किल्स को मजबूत नहीं करते।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चे से ऐसे सवाल पूछना चाहिए, जो उसकी सोचने की क्षमता को बढ़ाएं और उसे खुलकर अपनी बातें शेयर करने का मौका दें। इसी को ध्यान में रखते हुए, ईएनपॉवर (ENpower) के संस्थापक और चाइल्ड स्पेशलिस्ट सुशील मुंगेकर ने 5 जरूरी सवाल बताए हैं, जिन्हें हर मां-बाप को रोजाना बच्चों से पूछना चाहिए।
बच्चों से बातचीत का महत्व
-बच्चे का भविष्य केवल उसकी पढ़ाई पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इस पर भी कि वह अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करता है और दूसरों से कैसे संबंध बनाता है।
-बच्चों से स्कूल के बाद की बातचीत उन्हें सुरक्षित महसूस कराती है।
-इससे बच्चों की सोचने की क्षमता बढ़ती है।
-वे अपनी समस्याओं और खुशी को शेयर करना सीखते हैं।
-पैरेंट्स और बच्चों के बीच विश्वास का रिश्ता मजबूत होता है।
अगर आप रोजाना बच्चे से सिर्फ नंबर और पढ़ाई पर सवाल करेंगे, तो वह आपको "teacher" समझेगा, "parent" नहीं।
सवाल नंबर 1: आज क्लास में क्या एंजॉय किया?
यह सवाल बच्चे के दिन का सबसे पॉजिटिव हिस्सा जानने का अवसर देता है। जब बच्चा बताता है कि उसने किस एक्टिविटी, गेम, लेक्चर या टीचर के साथ मज़ा किया, तो वह खुशियों को याद करता है।
- इससे बच्चे की positive thinking बढ़ती है।
- बच्चा सीखता है कि दिन में छोटी-छोटी खुशियों की अहमियत कितनी होती है।
- अगर बच्चा रोज आपको अलग-अलग अनुभव बताएगा, तो आप भी समझ पाएंगे कि उसे किन चीजों में ज्यादा दिलचस्पी है।
सवाल नंबर 2: आज क्लास में किस चीज की कमी लगी?
यह सवाल बच्चे की परेशानियों और ज़रूरतों को समझने का सबसे अच्छा तरीका है। हो सकता है –
- उसे किसी विषय में समझ न आया हो,
- क्लास में उसकी किताब भूल गई हो,
- या किसी टीचर से उसे मदद न मिली हो।
जब आप यह सवाल पूछते हैं, तो बच्चा खुलकर अपनी समस्या बताता है। इससे आप समय रहते उसकी मदद कर पाते हैं और बच्चा महसूस करता है कि parents हमेशा उसके साथ हैं।
सवाल नंबर 3: आज आपने किसके साथ अच्छा टाइम बिताया?
हर बच्चे का एक social circle होता है। यह सवाल पूछकर आप जान पाएंगे कि –
- बच्चा किन दोस्तों से जुड़ाव महसूस करता है।
- उसका रिश्ता क्लास टीचर या अन्य बच्चों से कैसा है।
- कहीं वह स्कूल में अकेला तो नहीं महसूस कर रहा।
यह सवाल बच्चे को सिखाता है कि रिश्तों को बनाना और निभाना कितना ज़रूरी है। साथ ही, यह उसके social skills और communication को भी मजबूत करता है।
सवाल नंबर 4: आज क्लास में कुछ नया किया या सीखा?
सीखना सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होता। बच्चा रोज कुछ न कुछ नया अनुभव करता है।
- यह सवाल उसे सोचने पर मजबूर करता है कि उसने नया क्या सीखा।
- इससे बच्चे की learning habit और curiosity बढ़ती है।
- वह पढ़ाई और अनुभव दोनों से सीखने लगता है।
इस तरह बच्चे को समझ में आता है कि जिंदगी में हर दिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।
सवाल नंबर 5: कल स्कूल जाने में आपको मजा आएगा?
यह सवाल सबसे अहम है, क्योंकि इससे आप समझ सकते हैं कि बच्चा स्कूल को लेकर कितना motivated है।
- अगर बच्चा कहे "हां", तो इसका मतलब है कि वह खुश है और स्कूल enjoy कर रहा है।
- अगर बच्चा कहे "नहीं", तो यह संकेत है कि उसे कोई समस्या है – हो सकता है bullying, पढ़ाई में दबाव, या किसी से नाराज़गी।
माता-पिता के लिए यह सवाल बच्चे की emotional health को समझने का आसान तरीका है।
बच्चों के सोशल और इमोशनल डेवलपमेंट पर असर
बच्चों से सही सवाल पूछने के कई फायदे होते हैं:
- Confidence बढ़ता है – जब बच्चे की बात सुनी जाती है, तो वह खुद पर भरोसा करना सीखता है।
- Social Skills मजबूत होती हैं – बच्चा दोस्ती और रिश्तों को समझने लगता है।
- Emotional Growth होती है – बच्चा अपनी फीलिंग्स शेयर करता है।
- Thinking Power बढ़ती है – बच्चा analyze करना और situations को समझना सीखता है।
माता-पिता की जिम्मेदारी: बच्चों से जुड़ाव बढ़ाने के तरीके
- रोजाना बच्चे से 10-15 मिनट बिना मोबाइल और टीवी के बात करें।
- बच्चों से judgmental सवाल न करें, बल्कि open-ended questions पूछें।
- उनकी बात को ध्यान से सुनें और बीच में टोकें नहीं।
- अच्छे व्यवहार पर उनकी सराहना करें।