Jabalpur Family Court का फैसला: पति से अधिक कमा रही तलाकशुदा पत्नी, नहीं मिलेगा भरण-पोषण
जबलपुर कुटुंब न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि तलाकशुदा पत्नी पति के बराबर या पर्याप्त आय कमा रही है, तो वह भरण-पोषण की अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी।;
Highlights – Jabalpur Family Court Maintenance Verdict
- तलाकशुदा महिला ने पूर्व पति से मासिक भरण-पोषण की मांग की थी
- कोर्ट ने पाया कि महिला स्वयं 10,000 प्रतिमाह आय अर्जित कर रही है
- पति मात्र 7,000 रुपये मासिक कमाता है और बच्चे की जिम्मेदारी भी वही निभा रहा है
- कोर्ट ने कहा—महिला की अपनी आय ही भरण-पोषण के लिए पर्याप्त
- याचिका को आधारहीन मानते हुए खारिज किया गया
जबलपुर। कुटुंब न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण और मिसाल पेश करने वाले निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि यदि तलाकशुदा पत्नी स्वयं पर्याप्त आय अर्जित कर रही है, तो उसे पूर्व पति से अलग से भरण-पोषण दिलाना न्यायसंगत नहीं है। कुटुंब न्यायालय के प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए महिला की ओर से दायर गुज़ारे भत्ते की अर्जी को निरस्त कर दिया।
अर्जी दाखिल करने वाली जबलपुर निवासी महिला ने कहा था कि तलाक के बाद उसका खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है, इसलिए पूर्व पति आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए। लेकिन सुनवाई के दौरान तथ्य कुछ अलग ही सामने आए।
पति का पक्ष— पत्नी की आय छुपाई गई
सुनवाई के दौरान पति की ओर से कोर्ट में बताया गया कि तलाक के बाद महिला नौकरी कर रही है। लेकिन भरण-पोषण के लिए जमा की गई फार्म में उसने अपनी आय वाले कॉलम में “कुछ नहीं” लिखकर जानबूझकर आय छुपाई है। पति ने कहा कि वह स्वयं मात्र 7,000 रुपये प्रतिमाह की मामूली सैलरी पर परिवार संभाल रहा है और उनका बेटा भी उसी के साथ रहता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी वह अकेले निभा रहा है।
जब कोर्ट ने महिला से उसकी वास्तविक आय के बारे में पूछा, तो उसने स्वयं स्वीकार किया कि वह 10,000 रुपये प्रतिमाह वेतन प्राप्त कर रही है। इसके बाद अदालत ने मामले का कानूनी मूल्यांकन शुरू किया।
कोर्ट का अवलोकन— “आय पर्याप्त है, भरण-पोषण का कोई आधार नहीं”
न्यायालय ने अपने निर्णय में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा— “तलाकशुदा महिला भरण-पोषण की अधिकारी अवश्य होती है, लेकिन यदि वह स्वयं पर्याप्त आय अर्जित कर रही है और अपनी बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी कर सकती है, तो उसे अलग से भरण-पोषण दिलाया जाना न्यायसंगत नहीं है।”
कोर्ट ने यह भी माना कि जब महिला की आय उसके पति की आय से अधिक है और बच्चा भी पति के साथ रह रहा है, तो आर्थिक रूप से महिला खुद आत्मनिर्भर है। ऐसे में आर्थिक सहायता मांगने का कोई औचित्य नहीं बनता।
आवेदन खारिज— कोर्ट ने दिया स्पष्ट निर्णय
सभी दलीलों और प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करने के बाद अदालत ने महिला की भरण-पोषण याचिका निरस्त कर दी। कोर्ट ने कहा कि महिला अपनी आय से आराम से खुद का भरण-पोषण कर सकती है, और इस स्थिति में पूर्व पति से गुज़ारे भत्ते की मांग स्वीकार्य नहीं है।
कानूनी पहलुओं पर कोर्ट की टिप्पणी
भारतीय कानून के अनुसार, तलाकशुदा महिला को भरण-पोषण का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि—
- महिला स्वयं आय अर्जित करती हो,
- आय बुनियादी जरूरतों के लिए पर्याप्त हो,
- पति की आय कम हो या अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ हों,
तो अदालत भरण-पोषण याचिका को स्वीकार नहीं करती। इस प्रकरण में हर मानक पर यही स्थिति पाई गई।
मामले से कानूनी रूप से क्या समझ आता है?
यह निर्णय उन मामलों में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है जहाँ पक्षकार अपनी वास्तविक आय छुपाकर आर्थिक लाभ लेना चाहते हैं। साथ ही यह साफ करता है कि भरण-पोषण का उद्देश्य सिर्फ उन महिलाओं को सुरक्षा देना है जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, न कि उन लोगों को जो पहले से आय अर्जित कर रहे हों।
FAQs – Jabalpur Court Maintenance Case
महिला को भरण-पोषण क्यों नहीं मिला?
क्योंकि वह खुद 10,000 रुपये प्रतिमाह कमा रही थी और उसकी आय भरण-पोषण के लिए पर्याप्त मानी गई।
पति कितना कमाता था?
पति की आय 7,000 रुपये प्रतिमाह थी और बच्चा भी उसी के साथ रहता था।
क्या तलाकशुदा महिला हमेशा भरण-पोषण पाने की हकदार होती है?
नहीं। यदि महिला स्वयं पर्याप्त आय अर्जित करती है, तो उसे भरण-पोषण नहीं दिया जाता।
क्या यह निर्णय अन्य मामलों के लिए भी मिसाल बनेगा?
हाँ, इसी तरह के अन्य मामलों में यह निर्णय महत्वपूर्ण संदर्भ बन सकता है।