सावन में मांस क्यों नहीं खाना चाहिए? सिर्फ आस्था है या इसके बीचे कोई विज्ञान है?

सावन में मांस खाने से क्या होता है: हिन्दुओं के लिए सावन एक पवित्र महीना होता है, रोज़ मांसाहार करने वाले लोग भी इस मास में मांस नहीं खाते

Update: 2023-07-08 10:42 GMT

सावन में मांस क्यों नहीं खाते: सावन का महीना शुरू हो गया है, अगले सोमवार से शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ महाकाल को जल चढ़ाने के लिए पहुंचने लगेगी। बाकी पंथ को मानाने वाले लोगों के लिए यह सिर्फ एक मानसूनी मौसम है लेकिन सनातनियों के लिए यह भगवान शिव को समर्पित माह है. आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि 'चलो आज टंगड़ी चबा लेते हैं क्योंकी कल से सावन शुरू होने वाला है' बहुत से लोग सावन मास में मांस और मदिरा का त्याग कर देते हैं और उनके हिसाब से यही त्याग उनकी आस्था का प्रतीक है. 

लोगों को लगता है कि सावन के महीने में मांस-मदिरा का सेवन इसी लिए नहीं करना चाहिए क्योंकी यह माह भगवान शिव की अर्चना के लिए होता है. ऐसा लॉजिक देने वालों को यह मालूम नहीं होता कि वो शिव की पूजा 12 महीने कर सकते हैं. शिव को अगर आपके मांस खाने से आपत्ति है तो वह बाकी महीनों में भी रहेगी। देखा जाए तो सावन के महीने में मांस का त्याग करना आस्था से अधिक वैज्ञानिक है. आस्था अपनी जगह है और विज्ञान अपनी जगह. 

सावन में मांस क्यों नहीं खाना चाहिए 

सावन का महीना बड़े बदलाव के साथ आता है, प्रकृति हरी-भरी हो जाती है. लेकिन यही रिमझिम बारिश कई बीमारियों और एलर्जी का कारण भी बनती है. सावन में कोशिश यही करनी चाहिए कि ताजा फल-सब्जियां खाई जाएं, बासी भोजन न किया जाए. क्योंकी वातावरण में नमि होती और नमि से फफूंद और फंगल इंफेक्शन पैदा होते हैं. 

कहा जाता है कि सावन में पाचन शक्ति भी कमजोर होने लगती है और मांस पचने में समय लगता है, अगर सही समय पर मांस नहीं पचता है तो वो आंतो में सड़ने लगता है जो फ़ूड पॉइजनिंग का कारण बनता है. इस मौसम में सूर्य का प्रकाश भी कम पड़ता है इसी लिए चीज़ें जल्दी खराब होने लगती हैं. 

वातावरण में कीड़े-मकोड़ों की तादात बढ़ जाती है, कई विषैले कीट पैदा होते हैं. वो घांस-फूस के माध्यम से भेड़-बकरियों के शरीर में जाकर उन्हें बीमार कर देते हैं, मांस के लिए इस्तेमाल होने वाले पक्षी जैसे मुर्गा, बत्तख, तीतर भी बीमार पड़ने लगते हैं. इसी मौसम में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. बीमार जानवर का मांस खाना इंसान के लिए जहर सामान होता है. इसी महीने में मछलिया अंडे देती हैं, उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, वो बीमार भी पड़ती हैं. इसी लिए मछली का मांस भी नहीं खाना चाहिए। मुर्गी के अंडों से भी परहेज करना चाहिए 



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