रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 88.49 तक पहुंचा, करेंसी मार्केट अपडेट | Rupee Hits Record Low Against Dollar
रुपया आज 23 सितंबर को डॉलर के मुकाबले गिरकर 88.49 पर पहुंच गया। जानिए क्या हैं कारण और इसका असर इम्पोर्ट, IT सेक्टर और छात्रों पर।;
- रुपया 23 सितंबर को डॉलर के मुकाबले 88.49 पर पहुंचा, ऑल टाइम लो तोड़ा।
- 2025 में रुपया अब तक 3.25% कमजोर हुआ।
- अमेरिकी टैरिफ और H1B वीजा फीस बढ़ने से रुपए पर दबाव।
- रुपए में गिरावट से इम्पोर्ट, पढ़ाई और यात्रा महंगी हुई।
रुपए में गिरावट के कारण और असर | Reasons and Impact of Rupee Fall
रुपया आज, 23 सितंबर 2025 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह के कारोबार में रुपया 88.49 पर कारोबार करता दिखा, जो दो हफ्ते पहले का ऑल टाइम लो 88.46 को पार कर गया। बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि एशियाई करेंसी में कमजोरी और अमेरिकी डॉलर की मजबूती रुपए की गिरावट का मुख्य कारण हैं। साथ ही अमेरिका द्वारा H1B वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर करने और भारतीय गुड्स पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने रुपये पर दोहरी मार की है।
रुपया 2025 में 3.25% कमजोर | Rupee Weakens 3.25% in 2025
वर्ष 2025 में रुपया अब तक 3.25% कमजोर हुआ है। 1 जनवरी 2025 को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.70 पर था, जो अब 88.49 तक गिर गया है। करेंसी एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी प्रशासन की नई नीतियों ने भारतीय मुद्रा पर दबाव बनाया है। अमेरिकी टैरिफ बढ़ाने से भारत के एक्सपोर्ट कॉस्ट में इजाफा हुआ है और IT सेक्टर पर भी इसका असर पड़ा है। यह स्थिति भारतीय व्यवसायों और निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
इम्पोर्ट और विदेश यात्रा महंगी हुई | Imports and Overseas Travel More Expensive
रुपए में गिरावट का सीधा असर इम्पोर्टेड वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है। इसके अलावा विदेश में पढ़ाई और यात्रा भी महंगी हो गई है। उदाहरण के तौर पर, यदि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत पहले 50 थी, तो अब 1 डॉलर के लिए 88.49 रुपए खर्च करने होंगे। इसका असर छात्रों की फीस, रहन-सहन और रोजमर्रा के खर्चों पर होगा। भारतीय परिवारों के लिए यह वित्तीय दबाव बढ़ा सकता है।
करेंसी की कीमत कैसे तय होती है? | How Currency Value is Determined
किसी भी देश की मुद्रा की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। डॉलर की तुलना में अगर किसी अन्य करेंसी की वैल्यू घटती है तो इसे मुद्रा का गिरना या डेप्रिसिएशन कहते हैं। भारत में फॉरेन रिजर्व के स्तर का सीधा असर रुपए की कीमत पर पड़ता है। यदि फॉरेन रिजर्व में डॉलर की मात्रा पर्याप्त है तो रुपया स्थिर रहेगा। इसके विपरीत डॉलर की कमी से रुपया कमजोर होता है। यह फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहलाता है।
FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: रुपया डॉलर के मुकाबले क्यों गिर रहा है?
A1: इसका मुख्य कारण एशियाई करेंसी की कमजोरी, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और अमेरिका द्वारा टैरिफ व H1B वीजा फीस बढ़ाना है।
Q2: रुपे की कमजोरी का आम लोगों पर क्या असर होगा?
A2: इम्पोर्ट महंगा होगा, विदेश में पढ़ाई और यात्रा खर्च बढ़ेगा, और रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी होंगी।
Q3: 2025 में रुपे की गिरावट कितनी रही?
A3: 1 जनवरी 2025 से अब तक रुपया 3.25% कमजोर हुआ है।
Q4: करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?
A4: मुद्रा की कीमत फॉरेन रिजर्व, अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन और डॉलर की तुलना में कीमत घटने-बढ़ने पर निर्भर करती है।