अब हर नया स्मार्टफोन ‘Cyber Security’ एप के साथ मिलेगा; सरकार ने कंपनियों को 90 दिन की डेडलाइन दी | Cyber Security Update India 2025
भारत सरकार ने आदेश दिया—हर स्मार्टफोन में अब ‘संचार साथी’ साइबर सुरक्षा एप प्री-इंस्टॉल होगा। Apple, Samsung, Vivo, Oppo, Xiaomi को 90 दिन का समय।;
मुख्य बिंदु (Top Highlights)
- भारत सरकार ने आदेश दिया—हर नया स्मार्टफोन अब ‘संचार साथी’ एप के साथ ही बेचा जाएगा।
- एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी को 90 दिन में नियम लागू करना होगा।
- यूजर इस एप को डिलीट या डिसेबल नहीं कर पाएंगे; पुराने फोन में अपडेट के जरिए आएगा।
- इस एप से IMEI ट्रैकिंग, चोरी रोकने और फ्रॉड कॉल रिपोर्टिंग आसान होगी।
- डुप्लिकेट IMEI और साइबर क्राइम रोकने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है।
अब हर नया स्मार्टफोन ‘संचार साथी’ एप के साथ मिलेगा; सरकार ने मोबाइल कंपनियों को दी 90 दिन की डेडलाइन
भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब देश में बिकने वाला हर नया स्मार्टफोन सरकारी साइबर सिक्योरिटी एप ‘संचार साथी’ के साथ ही प्री-इंस्टॉल होकर आएगा। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश निजी तौर पर मोबाइल कंपनियों को भेजा गया है और उन्हें इसे लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
इस आदेश का असर सीधा एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो, शाओमी जैसी सभी प्रमुख कंपनियों पर पड़ेगा। खास बात यह है कि यह एप डिलीट या डिसेबल नहीं किया जा सकेगा, यानी यह सिस्टम एप की तरह हमेशा फोन में मौजूद रहेगा। पुराने फोन में यह एप सॉफ़्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ दिया जाएगा।
क्यों जरूरी हुआ संचार साथी? सरकार ने बताया कारण
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि फर्जी IMEI, फोन चोरी, नेटवर्क मिसयूज और साइबर फ्रॉड लगातार बढ़ रहे हैं। अपराधी IMEI नंबर क्लोन करके चोरी के फोन को ट्रेस होने से बचा लेते हैं और स्कैम में इस्तेमाल करते हैं।
“संचार साथी एप इन्हीं समस्याओं को रोकने में मदद करेगा। इससे फर्जी IMEI से होने वाले स्कैम में बड़ी कमी आएगी।”
संचार साथी एप क्या है? कैसे करेगा मदद?
‘संचार साथी’ एक सरकारी साइबर सिक्योरिटी टूल है जिसे 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था। फिलहाल यह प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर उपलब्ध है, लेकिन अब नए फोन में यह अनिवार्य होगा।
- चोरी हुए फोन का IMEI चेक करके तुरंत ब्लॉक कर देगा।
- फ्रॉड कॉल, स्पैम SMS और WhatsApp स्कैम की रिपोर्ट सीधे DoT को भेजी जा सकेगी।
- डुप्लिकेट IMEI वाले फोन की पहचान आसानी से हो सकेगी।
- पुलिस और सरकारी एजेंसियों को फोन ट्रेस करने में तेजी मिलेगी।
भारत में सितंबर 2025 तक 22.76 लाख मोबाइल डिवाइस इसी सिस्टम की मदद से ट्रेस हो चुके हैं।
डुप्लिकेट IMEI: भारत में साइबर क्राइम की सबसे बड़ी वजह
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट है—यहां 1.2 अरब से अधिक मोबाइल यूजर्स हैं। लेकिन डुप्लिकेट या क्लोन IMEI के कारण—
- चोरी के फोन ट्रेस नहीं होते
- फ्रॉड कॉल और स्कैम्स बढ़ते हैं
- फोन ब्लैक मार्केट में बिना पहचान के बेच दिए जाते हैं
सरकार का मानना है कि यह नया नियम मोबाइल इकोसिस्टम में बड़ी सुरक्षा क्रांति साबित होगा।
कंपनियों पर असर: Apple के लिए बड़ी चुनौती
इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि बिना कंसल्टेशन आदेश आने की वजह से कंपनियां थोड़ी परेशान हैं। विशेषकर Apple के लिए यह नियम मुश्किल हो सकता है, क्योंकि—
- Apple सिस्टम में गवर्नमेंट या थर्ड-पार्टी एप का प्री-इंस्टॉलेशन नियमों के खिलाफ है।
- पहले भी Apple का एंटी-स्पैम एप को लेकर सरकार से टकराव हुआ था।
सूत्र बताते हैं कि Apple सरकार के साथ नेगोशिएट कर सकता है और संभव है कि iPhone में इसे “वॉलंटरी प्रॉम्प्ट” के रूप में लागू किया जाए। हालांकि अभी किसी भी कंपनी ने आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
खोए या चोरी हुए मोबाइल को ब्लॉक/ट्रैक करने की प्रोसेस (Process to Block/Track Lost or Stolen Mobile Phones)
स्टेप-1 (Step-1) - सबसे पहले संचार साथी की आधिकारिक वेबसाइट sancharsaathi.gov.in पर जाएँ।
स्टेप-2 (Step-2) - अब Block Stolen/Lost Mobile ऑप्शन पर क्लिक करें।
स्टेप-3 (Step-3) - अब वेबपेज पर माँगी गई जानकारी जैसे डिवाइस इन्फॉर्मेशन, लॉस्ट इन्फॉर्मेशन, और ओनर पर्सनल इन्फॉर्मेशन भरनी है।
स्टेप-4 (Step-4) - आइए जानते हैं कहाँ क्या-क्या जानकारी भरनी है...
- डिवाइस इन्फॉर्मेशन (Device Information)
- मोबाइल नंबर
- IMEI नंबर
- डिवाइस ब्रांड
- डिवाइस मॉडल
- मोबाइल परचेज इनवॉइस (खरीद का बिल)
- लॉस्ट इन्फॉर्मेशन (Lost Information)
- डिवाइस गुम/चोरी की जगह का नाम
- डिवाइस गुम/चोरी डेट
- स्टेट, जिला, पुलिस स्टेशन
- पुलिस कम्प्लेन नंबर
- पुलिस कम्प्लेन कॉपी (FIR की कॉपी)
- ओनर पर्सनल इन्फॉर्मेशन (Owner Personal Information)
- ओनर का नाम
- ओनर का एड्रेस
- ID प्रूफ की कॉपी
- अपलोड करें?
- ईमेल आईडी
- मोबाइल नंबर
स्टेप-5 (Step-5)
- सभी जानकारी भरने के बाद सेंक्लिप स्टेप डिक्लेरेशन
- चेकबॉक्स में टिक करें और सबमिट बटन पर क्लिक करें।
स्टेप-6 (Step-6) - जैसे ही आपकी रिक्वेस्ट/रिक्वेस्ट को एक ID दिखाई देगी, जिसे कहीं नोट कर लें। इस ID से आप अपनी रिक्वेस्ट का स्टेटस चेक कर सकेंगे।
यूजर्स को क्या फायदा होगा?
सरकार का कहना है कि इस नियम से सबसे बड़ा लाभ सामान्य यूजर को मिलेगा—
- चोरी का फोन ब्लॉक करना बेहद आसान होगा।
- फ्रॉड कॉल और WhatsApp स्कैम में कमी आएगी।
- IMEI क्लोनिंग तुरंत पकड़ी जा सकेगी।
- साइबर सुरक्षा मजबूत होगी।
हाँ, प्राइवेसी ग्रुप्स सवाल उठा सकते हैं क्योंकि एप को डिलीट नहीं किया जा सकेगा और भविष्य में इसमें और सुरक्षा फीचर्स जोड़े जा सकते हैं।
भविष्य में क्या बदल सकता है?
DoT का कहना है कि आने वाले समय में संचार साथी एप में AI-आधारित फ्रॉड डिटेक्शन, नेटवर्क चौकसी और एडवांस ट्रैकिंग फीचर्स जोड़े जा सकते हैं। यह कदम भारत को दुनिया के सबसे सुरक्षित मोबाइल मार्केट्स में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या 'संचार साथी' एप हर नए फोन में अनिवार्य होगा?
हाँ। सरकार ने कंपनियों को इसे प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया है।
2. क्या यूजर इस एप को हटाने या बंद करने पाएंगे?
नहीं, यह एक सिस्टम एप की तरह रहेगा और डिलीट नहीं किया जा सकेगा।
3. यह एप किस समस्या को हल करेगा?
फर्जी IMEI, फोन चोरी, स्पैम और साइबर फ्रॉड को रोकने में मदद करेगा।
4. Apple क्या इस नियम को लागू कर पाएगा?
Apple के लिए चुनौती है, लेकिन कंपनी सरकार से समाधान निकाल सकती है।
5. पुराने स्मार्टफोनों में यह एप कैसे आएगा?
सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए एप सभी समर्थित डिवाइसेज़ में जोड़ दिया जाएगा।