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Varuthini Ekadashi 2022: 26 को है वरुथिनी एकादशी, जानिए पूजा विधि समेत अन्य जानकारियां

Varuthini Ekadashi 2022
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Varuthini Ekadashi 2022: वर्ष के 365 दिन में कई ऐसे दिन आते हैं जिनका अगर सदुपयोग किया जाए तो कई तरह की अद्भुत सफलताएं प्राप्त की जा सकती है।

Varuthini Ekadashi Kab Hai, Varuthini Ekadashi In Hindi, Varuthini Ekadashi 2022: वर्ष के 365 दिन में कई ऐसे दिन आते हैं जिनका अगर सदुपयोग किया जाए तो कई तरह की अद्भुत सफलताएं प्राप्त की जा सकती है। इसी क्रम में हम आपको बताना चाह रहे हैं कि अगले 3 दिन में के बाद आने वाला चौथा दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है। अगर इस चौथे दिन को कुछ विशेष उपाय कर लिए जाएं तो अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। साथ ही बताया गया है कि अपने सौभाग्य को जगाया जा सकता है। हम बात कर रहे हैं 26 अप्रैल को पड़ने वाली वरुथिनी एकादशी के संबंध में।

वर्ष में पडती हैं 24 एकादशी

वैसे तो वर्ष भर में 24 एकादशी की तिथि आती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना सर्वोत्तम बताया गया है। एकादशी के दिन व्रत रहना और भी लाभप्रद बताया गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति वर्ष में पढ़ने वाली सभी 24 एकादशी के दिन कर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं उनका लोक और परलोक दोनों ही संवर जाता है।

Varuthini Ekadashi 2022: 26 को वरुथिनी एकादशी

चैत्र मास की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा गया है। इस बार वरुथिनी एकादशी 26 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करने पर सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

कैसे करें पूजा (Varuthini Ekadashi Pooja Vidhi)

  • वरुथिनी एकादशी सुबह 1ः36 से प्रारंभ होकर 27 अप्रैल दोपहर 12ः47 मिनट तक है। वैसे तो एकादशी 26 और 27 को 2 दिन तक है। लेकिन उदया तिथि 26 को होने की वजह से इस त्यौहार को हम 26 अप्रैल के दिन ही मानेंगे।
  • बताया गया है कि स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। हो सके तो कम से कम ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का एक माला जाप अवश्य करें। उसके बाद जितना भी हो सके माला का जाप कर सकते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को खरबूजे का भोग लगाएं।
  • इस एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह भगवान विष्णु को तुलसी की माला बनाकर पहनाए। तुलसी को जल अर्पित करें तथा एकादशी का व्रत अवश्य सुने। किस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को नमक और भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार में ही 24 घंटे बिताने होते हैं।

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