अध्यात्म

Somvati Amavasya Vrat Katha: सोमवती अमावस्या पर महिलाएं क्यों करती है पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा, आइए जाने व्रत कथा

Somvati Amavasya Vrat 2023 Katha
x
Somvati Amavasya Vrat 2023 Katha In Hindi: सोमवती अमावस्या महिलाओं के लिए बहुत ही पवित्र और शुभ दिन बताया गया है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।

Somvati Amavasya Vrat 2023 Katha In Hindi: सोमवती अमावस्या महिलाओं के लिए बहुत ही पवित्र और शुभ दिन बताया गया है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं। परिक्रमा करते समय महिलाएं अपने हाथ में अक्षत और कोई भी वस्तु रखती है। महिलाएं पीपल के वृक्ष की विधि विधान से पूजा करती हैं। यह क्रम सदियों से चला आ रहा है। इसके लिए हमारी सनातन धर्म में एक कथा भी प्रचलन में है। जिसमें धोबिन ने अपने पुण्य कार्य के प्रभाव से मृत पति को जीवित कर लिया था। इस कथा के बारे में जानकारी ले।

Somvati Amavasya Vrat Katha: क्या है सोमवती अमावस्या व्रत कथा

बताया गया है कि देश के किसी राज्य में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण परिवार में पत्नी के अलावा एक पुत्री थी। वह पुत्री समय के साथ बढ़ती गई सुंदर संस्कारवान और गुणवान थी।

घर में एक दिन एक साधु महाराज पधारे उन्होंने गरीब ब्राह्मण की सेवा से प्रसन्न हो गए। ब्रह्मण परिवार ने साधु महाराज से अपनी बेटी के विवाह के संबंध में कुछ बताने के लिए कहा। जिस पर साधु महाराज ने लड़की का हाथ देखकर बताया कि इसके हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है।

इस पर माता-पिता ने उपाय पूछा। साधु महाराज ने बताया कि गांव के पास ही एक सोना नामक धोबिन रहती है। वह बहुत ही संस्कारवान और पति परायण है। अगर वह अपने माथे का सिंदूर इस लड़की को दे देती है तो इसका विवाह होगा साथ में सुहाग अटल रहेगा। लेकिन इसके लिए धोबन को प्रसन्न करना होगा।

बताते हैं कि साधु महाराज की इन बातों को सुनकर बिटिया के माता पिता ने ठान लिया कि वह धोबिन को अवश्य खुश करेंगे। उन्होंने अपनी बेटी को धोबिन का घर दिखा दिया। उसे सारी बात बता कर धोबिन के घर ले गए।

बताते हैं कि भोर के समय ही वह लड़की धोबन के घर पहुंच जाती। उसके घर के सारे काम पूरा कर सूर्य उदय के पहले ही अपने घर वापस आ जाती थी। यह क्रम काफी दिनों तक चला।

एक दिन धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि तुम इस समय सुबह उठकर घर के सारे काम कर लेती हो। यह बहुत अच्छा है। लेकिन बहू ने जवाब दिया कि मुझे तो लगा कि सुबह उठकर सारे काम आप ही कर लिया करती है। दोनों को पता चला कि वह काम नहीं करती है तो प्रश्न उठता है कि आखिर घर का सारा काम कौन कर जाता है। इसके बाद सास बहू घर की निगरानी करने लगी कि आखिर कौन आता है।

बताते हैं एक दिन ब्राह्मण कन्या धोबिन के घर का सारा काम कर जा रही थी। उसी समय सोना धोबिन ने उस कन्या का हाथ पकड़ लिया। और उससे पूछा आप कौन हैं और हमारे घर में यह कार्य क्यों करती है। जिस पर उस ब्राह्मण कन्या ने साधु महाराज की सारी बातें बताइए। यह जानने के बाद सोना ने तय किया कि वह इस ब्राह्मण कन्या को अपने मांग का सिंदूर देगी और उसने ऐसा किया भी।

बताते हैं कि धोबन ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर कन्या के मांग में लगाया सोना धोवन का पति मर गया। इसके बाद सोना घोबिन ने तय किया कि वह निर्जला रहते हुए सोमवती अमावस्या का व्रत करेगी।

वह निर्जला रहते हुए गांव के पास पीपल के पेड़ की विधि विधान से पूजा की और ईंट के 108 छोटे-छोटे टुकड़ों को लेकर भंवरी दी। बताते हैं कि इस पुण्य कार्य को करने से सोना धोबिन के पति जीवित हो गए। तब से यह प्रथा प्रचलित है की सोमवार के दिन पडने वाली अमावस्या पर सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भंवरी देती है।

Next Story